अफीम की खेती में
होने वाले रोग और उसके उपाय
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खेत में खाद और
उर्वरक का प्रयोग :- अफीम का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने
के लिए खेत में खाद और उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए | इसके लिए 20 से 30 किवंटल
अच्छी तरह से सडाई हुई गोबर की खाद को खेत की तैयारी करते समय डालें | इसके आलावा
३८ किलोग्राम यूरिया , सिंगल सुपरफास्ट की 50 किलोग्राम की मात्रा और म्यूरेट ऑफ़
पोटाश की आधा किलोग्राम की मात्रा और गंधक की 10 भरी की मात्रा को एक साथ मिलाकर
खेत में डालें | अफीम की अच्छी फसल और अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उचित
प्रकार की मृदा का उपयोग करना चाहिए | इसके लिए खेत में लोबिया और सनई को हरी खाद
को बोना चाहिए |
अफीम की फसल पर लगने वाले रोग :-
1. रोमिल फफूंदी :- रोमिल की बीमारी एक
बार जिस खेत में हो जाती है उस खेत में अगले तीन सालों तक अफीम की खेती नही करनी
चाहिए | इस बीमारी की रोकथाम करने के लिए एक उपाय है जिसका वर्णन इस प्रकार से है
|
अफीम की खेती को बेहतर बनाने के कुछ उपाय |
2. रोकथाम करने का उपाय :- नीम की पत्तियों का
काढ़ा तैयार करें | इस काढ़े की 500 मिलीलीटर की मात्रा में माइक्रो झाझम की 25 मिलीलीटर
की मात्रा को मिलाकर एक अच्छा सा घोल बनाएं | अब एक पम्प में पानी भर लें और तैयार
घोल को पम्प में मिला दें और फसलों पर छिडकाव करें | इस प्रकार के घोल का कम से कम
3 बार छिडकाव करें | एक बुआई से लगभग 30 दिन के बाद फिर 50 दिन के बाद और आखिरी 70
दिन के बाद छिडकाव करें | इस रोग से मुक्ति मिल जाती है |
3. चूर्णी फफूंदी :- पौधे में इस रोग का
प्रभाव दिखने लगे तो फरवरी के महीने में ढाई किलोग्राम गंधक को पानी में मिलाकर एक
घोल बनाएं | इस प्रकार से तैयार घोल को एक हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें | चूर्णी
नामक फफूंदी से निजात मिल जाती है |
4. डोडा लट :- अफीम के पौधे में
फूल आने से पहले और डोडा लगने के बाद माइक्रो झाझम की 500 मिलीलीटर की मात्रा को
400 से 500 लीटर पानी में मिलाकर किसी पम्प में डालकर फसलों पर छिडकाव करें| यह
मात्रा एक हेक्टयर भूमि के लिए पर्याप्त है |
5. अफीम की अच्छी फसल और अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए कुछ जरूरी
जानकारी निम्नलिखित है |
1. हमेशा अच्छी किस्म की बीजों का उपयोग करें |
2. बीजों को उपचरित करके बुआई करें |
3. फफूदी नाशक और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग समय पर करें |
4. लूना ठंडे मौसम में ही करें |
5. खसखस उत्पादन करने के लिए डोडा के पूरी तरह पकने पर ही कटाई करें | बीजों
को अधिक गहराई में ना बोयें |
7. पौषे में काली मिस्सी या कोडिया से बचाव करने के लिए दवा का छिडकाव 20
से 25 दिन पर अवश्य करें |
8. बीजो को समय पर बोये |
सबसे अच्छी और ख़ास बात जिससे हम अफीम का अच्छा उत्पादन कर सकते है | किसान
को यदि किसी भी तरह की परेशानी होती है तो उसे किसान हेल्पलाइन से सम्पर्क करना
चाहिए | इसके आलावा किसानों को बीजो का उपचारित करके बुआई करनी चाहिए | मिटटी के
परिक्षण के आधार पर ही उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए |
अफीम की खेती |
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