कलश पूजन विधि | कलश स्थापना कैसे करे | Kalash Pujan Vidhi in Hindi

कलश स्थापना के लिए सामग्री:-

पान के पत्ते आम के पत्ते, कनेर के लाल फूल, फूल की माला, धुपबत्ती अगर बत्ती , घी का दीपक,  कुमकुम, मोली, रोली, अनाज, नारियल, रेती, जौ, फूल माला, प्रसाद और जौ बोने के लिए मिट्टी का बर्तन| 


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कलश स्थापना विधि विधान :-

हमारे हिन्दू धर्म में कलश स्थापना का अपना महत्व होता है. घर में कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले कलश की स्थापना की जाती है जो की सुख समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है | जैसे कि नये घर में प्रवेश , माता का जागरण ,दीवाली , नव वर्ष के शुरुआत में और नौरात्रो में कलश स्थापना करते है |  जिस दिन से नौ रात्रे शुरू होते है जिस जगह हमें माता जी का मन्दिर बनाना है उस स्थान को साफ सुधरा करे | हमें प्रात: ब्रह्ममहूर्त में उठ कर स्नान आदि से निवृत हो कर सबसे पहले घट (कलश) की स्थपना करनी चाहिए | जो मिटटी से बना मटके जैसे आकार का बर्तन होता है | जिसके ऊपर का हिस्सा कम चौड़ा और नीचे का धड़ ज्यादा चोड़ा होता है | हमारे शास्त्रों की मान्यता अनुसार कलश  मुख वाले हिस्से में  विष्णु जी का निवास स्थान होता है | और गले (कंठ) के हिस्से  में शिव जी और कलश के मध्य (बीच) वाले हिस्से में देवी शक्ति का निवास स्थान होता है  कलश के मूल (नीचे) के हिस्से में ब्रह्मा जी का निवास स्थान होता है | जब हम अपने घर में माँ भगवती की पूजा करते है तो कलश को हम माता की शक्ति और सभी तीर्थ स्थान का प्रतीक मान कर स्थापित करते है | इससे घर में खुशियाँ और मानसिक शांति प्राप्त होती है | आप मिटटी के बर्तन में रेती डाल कर जौ को रेती के ऊपर डाले और ऊपर से पानी छिडक दे | सबसे पहले आप कलश के गले (कंठ) पर मोली (कलावा) बांध ले उसके बाद रोली (कुमकुम) से स्वस्तिक बनाएं|


बिना जल के कलश को स्थापित करना अशुभ और वर्जित माना जाता है |  जब हम कलश में जल भरते है तो जल में गंगा जल भी डालना है ताकि वह जल गंगाजल के समान पवित्र हो जाए उसके बाद जल में सुपारी सिक्के अगर ताम्बे के हो तो और भी शुभ रहता है दूर्वा - कुश भी जल में डाले | नरियल कुमकुम से स्वास्तिक बना ले उसके बाद नारियल पर 11 या 21 रूपये रख कर मोली (कलावे) से सात बार बांधे उसके बाद कलश मुख के ऊपर आम के पत्ते लगाकर पत्तो पर नारियल रखा जाता है | नारियल पर फिर फूल की माला चढ़ाये, प्रसाद चढ़ाये और धूप घी का दीपक जला कर कलश की आरती करे | अगर आप चाहे तो अलग से मिटटी के बर्तन में रेती डाल कर जौ को बोये और हर रोज पूजा शुरू करने से पहले थोडा थोडा पानी छिडक दे | 

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