वातरक्त बीमारी का ईलाज
इंसान के शरीर में अनेकों अंग है
और सभी अंग छोटी और बड़ी हड्डियों से आपस में जुड़े हुए है , जब इन अंगों में जकडन
आरम्भ होती है तो इनको मोड़ने तरोड़ने में दिक्कत शुरू हो जाती है, तब आप इसको बाव,
वातरक्त , या फिर गठिया की बीमारी कहते है ,
कारण – आलस्य वातरक्त की बीमारी
का प्रमुख कारण है , जब हम शरीर को कम से कम गति देते है और फिजिकल वर्क कम करते
है या बिलकुल ही नहीं करते तो उस अवस्था में जोड़ों पर अतिरक्त चर्बी जमा होकर
उनमें जकडन पैदा करती है इसलिए योगासन और थोड़ी बहुत शारीरिक कसरत जरूरी है ,
प्रयोग – 1
सामग्री :-
१. पीड़ान्तक तेल(peedantak tel) :- २०० ग्राम /gram
२. दशमूल क्वाथ (dashmool kwath) :- १०० ग्राम /gram
इन दोनों औषधियों को आपस में
मिलाकर एक मिश्रण बना ले | फिर किसी बड़े बर्तन में ४०० मिलीलीटर पानी लेकर इस पानी में एक चम्मच औषधि का मिश्रण मिला
लें | और इसे मन्दाग्नि पर पकाए | पकते – पकते जब इसका पानी १०० मिलीलीटर बच जाए |
तो इसे छानकर खाली पेट सुबह और शाम के समय पीयें | इस विधि का उपयोग करने से
वातरक्त का रोग दूर हो जाता है |
प्रयोग – 2
सामग्री
१. गिलोयघन वटी (giloy vati) :- ६० ग्राम / Gram
इस आयुर्वेदिक औषधि की २ -२ गोली रोजाना सुबह और शाम के समय उपर लिखित औषधी
क्वाथ के साथ खाए | हमारे शरीर को विशेष लाभ मिलेगा |
प्रयोग – 3
सामाग्री :-
कैशोरगुग्गुलु (kaishore guggal) :- ६०ग्राम
आरोग्यवर्धिनी वटी(aarogyavardhini vati):- ४० ग्राम
पीड़ान्तक
तेल (pidantak tel ) :- ४० ग्राम
ऊपर लिखी हुई तीनों आयुर्वेदिक
औषधियों की एक – एक गोली दिन में कम से कम
तीन बार लें | इन गोलियों को सुबह , दोपहर और रात को भोजन करने के लगभग आधा घंटा
पहले खाए | इस प्रकार का प्रयोग एक महीने तक रोजाना करने से वातरक्त की बीमारी ठीक
हो जाती है |
प्रयोग - 4
सामग्री
वातारि चूर्ण (vatari Churan) :- १०० ग्राम
अजमोदादी चूर्ण (ajmodadi Churan) :- १०० ग्राम
इस चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि के
चूर्ण की आधा चम्मच की मात्रा को रोजाना रात को सोते समय हल्के गर्म पानी के साथ
खाए | इससे हमारे शरीर की बीमारी ठीक होती
है ही साथ ही साथ शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है |
प्रयोग -5
सामग्री
महावातविध्वंसन रस(MahavatVidhvsan Rasa):- ५ ग्राम
प्रवाल पिष्टी (praval pisti ) :- १० ग्राम
स्वर्ण माक्षिक भस्म (swaran makshik bhasma) :- ५ ग्राम
गोदन्ती भस्म (godanti bhasma) :- १० ग्राम
इन सभी चमत्कारी औषधियों का एक
मिश्रण बनाकर एक बराबर मात्रा की ६० पुड़ियाँ बना ले | इन पुड़ियाँ को किसी डिब्बे में बंद करके सुरक्षित स्थान पर रख दें
| प्रतिदिन एक पुड़ियाँ सुबह नाश्ते के समय एक पुड़ियाँ रात के समय खाना खाने से आधा
घंटा पहले ताज़े पानी के साथ या शहद के साथ खाएं | इस प्रिकिया को रोजाना २ महीने
तक लगातार करने से वातरक्त का रोग और उसकी पीड़ा शांत हो जाती है | और मनुष्य पूरी
तरह से स्वस्थ हो जाता है |
Gout is very painful. To treat this Diet and Organic Gout Supplements are very useful for me.
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