स्वस्थ शरीर
पाने के लिए योगाभ्यास और षट्कर्म
मानव को स्वस्थ बनाने में आयुर्वेदिक दवाइयों के अलावा
योगशास्त्र को भी महत्वपूर्ण माना गया है | आयुर्वेद और योग को एक सिक्के के दो
पहलू माना जाता है. जिस भी व्यक्ति को योग विद्या ग्रहण करने की इच्छा है तो उस
व्यक्ति को योगशास्त्र के अध्यन के लिए किसी भी अच्छे योगगुरु के पास जाकर शिक्षा
लेनी चाहिए | प्राचीन काल से हमारे ऋषि –
मुनियों ने योग के द्वारा ज्ञान प्राप्त किया | और लोगों को स्वस्थ रखने के लिए और अनेक बीमारियों से बचने के लिए
योगाभ्यास की शिक्षा दी जाती थी | प्राचीन काल से ही योग की शिक्षा गुरु से शिष्य
और शिष्य से पीड़ित व्यक्तियों को दी जाती रही है | इन्ही गुरूओ में से स्वामी
रामदेव जी का नाम आज के युग में प्रचलित है | भारतीय योग के महत्व को देखते हुए
भारत देश की पहल के कारण सम्पूर्ण विश्व ने योग को अपनाया और योग दिवस को सम्पूर्ण
संसार में 21 जून 2015 को पहली बार मनाया गया. आज भी लोग अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए
योगाभ्यास करते है |
अलग अलग बीमारियों को
ठीक करने के लिए योग की अलग अलग मुद्राओं का वर्णन किया गया है , शरीर की जरुरत
अनुसार योग के आसन और षट्कर्म का उपयोग किया जाता है | परन्तु हम अपने अनुसंधान और
प्रयोग के आधार पर यह निष्कर्ष निकालते है कि अधिकतर बीमारियों के उपचार के लिए
केवल साधारण आठ प्राणायाम और बारह आसन की क्रियाओं की ही आवश्कता होती है | लेकिन
यदि परिस्थिति ज्यादा खराब हो जाती है तो ऐसी अवस्था में कुछ विशेष प्रकार के
प्रणायाम और आसन का अभ्यास किया जाता है | कुछ योग क्रियाओं का गंभीर रोग होने पर
वर्जित भी बताया गया. योग के निरंतर अभ्यास
करने से त्रिदोषों का संतुलन बनाते है , और अष्ट धातुओ का पोषण होकर शरीर बलशाली
और रोग प्रतिरोधक होता है | रक्त शुद्ध होता है , मानव के मन की शुद्धी होती है ,
योग के अभ्यास करने से मानव का मन सिथर और शांत होता है जो आगे चलकर आत्म्बोथ तक
पहुँचता है |
जिस अवस्था में शरीर शांत होने लगता है उस अवस्था को स्वास्थ्य या
आरोग्य कहा जाता है क्योकि तब शरीर में रोग जन्म नहीं लेते वो शुद्ध हो जाता है |
मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए और अनेक बीमारियों से बचाने के लिए योग अथवा
व्यायाम को एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है | योग ग्रंथों में जहाँ योग और
व्यायाम के बारे में विस्तृत और बोधिगत जानकारी दी गई है वहां मानव शरीर को किस
तरह स्वस्थ रखना चाहिए शरीर का बैलंस किस तरह रखना है इस बात की सम्पूर्ण जानकारी
योग शास्त्रों में नहीं दी गई है | परन्तु आयुर्वेद के जिज्ञासु को यह बात मालूम
होनी चाहिए कि जिस तरह आयुर्वेदिक औशधियों से शरीर के सभी दोषों को ठीक किया जाता
है | विषम दोषों को सम किया जाता है उसी तरह योगाभ्यास और व्यायाम करने से मानव
शरीर के विषम दोषों को सम किया जाता है शरीर को रोगों से लड़ने के लिए तैयार करता
है |
योग का महत्व |
हमारी बॉडी के विकारों को ठीक करने के लिए अनेक तरह के योग है जैसे :- सूर्य
नमस्कार , सुबह – सुबह उठकर सैर करना और व्यायाम आदि को किया जाता है हर प्रकार की
एक्सरसाइज ( exercise ) में योग छुपा हुआ है | मानव के रोगों को ठीक करने के लिए
और शरीर की शुद्धी के लिए षट्कर्म की विधि को अपनाया जाता है | इस कर्म में नेति ,
धोती और वमन शंख आदि क्रियाओं के द्वारा मानव शरीर की शुद्धी की जाती है | लेकिन
इन सभी कर्मो को किसी भी अनुभवी योग्य गुरु की शिक्षा के अनुसार करना चाहिए |
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