Types of Pranayam | प्राणायाम के प्रकार

विभिन्न बीमारियों में प्रयोग होने वाले प्राणायाम

कपालभाती प्राणायाम / kapalbhati pranayam :- 

इस योग को करने से अनेक परेशानियों और रोगों का निदान और समाधान हो सकता है | कपालभाती प्रणायाम को सबसे अच्छा प्राणायाम बताया गया है | इस प्राणायाम की गुणवता को देखते हुए कपालभाती प्रणायाम को इस पृथ्वी पर मानव शरीर के लिए संजीवनी कहा जाता है | इस प्रणायाम के नित्य नियम प्रयोग में लाने से कफज विकार ( cough ), दमा ( Asthma ) , एलर्जी ( Alergy ) , साइनस - synus, मोटापा - Extra fat, मधुमेह – diabetes , गैस - gass, कब्ज constipation, अम्लपित , वृक्क , और प्रोस्टेट , से जुडी हुई समस्या अमाशय और यकृत प्लीहा की बीमारियों से बड़ी ही आसानी से छुटकारा मिलता है |

kapalbhati pranayam
kapalbhati pranayam

भ्रित्रिका प्राणायाम / bhitrika pranayam :- 

 इस प्रणायाम का अभ्यास खुली और पेड़ पौधों से हरी भरी साफ जगह पर करना चाहिए, क्योकि यदि हम इस प्राणायाम का अभ्यास polution या प्रदुषण में करेगें तो हमारे फेफड़ों में दूषित हवा का संचार होगा और हमें कोई लाभ नहीं मिलेगा | और इस प्राणायाम को करने से पहले अपने नाक को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए | क्योंकि इस योग में हम नाक के द्वारा साँस लेते है और छोड़ते है | यह प्रणायाम जरूरत से ज्यादा नहीं करना चाहिए| इस प्रणायाम को करने से गले की सारी परेशानियों से निज़ात मिल जाती है | इसके आलावा सर्दी , जुकाम – cold , एलर्जी , सांस से जुडी हुई समस्या – breathing problems, दमा - dama, पुराने से पुराना नजला – old najla, साइनस , थायराइड - thyroid, टांसिल -tonsils, आदि बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है |

बाह्य प्राणायाम / bahaya pranayam :- 

यह प्रणायाम एक चमत्कारी और अतिशीघ्र फलदायक है इस प्राणायाम के प्रयोग से स्वप्न दोष – swapandosh , और शीघ्र पतन – premature ejaculation आदि बीमारियों को दूर किया जाता है, कोई भी प्राणायाम हो उसको सही समय और शरीर की क्षमता के अनुसार ही करना चाहिए | इन बीमारियों के आलावा पेट की परेशानी गुद भ्रंश , बवासीर khooni bawasir, भन्दर – bhander rog, योनी की बीमारी private part diseases or yoni rog, ज्यादा पेशाब आना - urine blockage आदि बीमारियों को ठीक किया जा सकता है | और मानव शरीर को निरोग रखने में सहायता करता है |
भ्रामरी प्राणायाम
bhramari pranayam 
उज्जायी प्राणायाम / ujjayi pranayam :- 

हमारे जीवन को निरोग रखने में और उसे सुचारू रूप से चलने में योग का बहुत महत्त्व है | उज्जायी प्रणायाम भी एक इसी प्रकार का योग है | इस प्रणायाम को हम दो प्रकार से कर सकते है १. बैठकर या लेटकर कर सकते है |इस योग को करने से जीर्ण प्रतिश्याय , पुराणी से पुराणी खांसी , दिल से जुडी हुई परेशानियां , फुफ्फुस एवं गले के रोग , नींद कम आना , टांसिल , आमवात , मानसिक तनाव , जलोदर क्षय रोग आदि बीमारियों  को देय करता है | और हमारे शरीर की बीमारियों को दूर करता है |

अनुलोम – विलोम प्राणायाम / anulom vilom pranayam :- 

इस साधारण सा दिखने वाला प्राणायाम बड़ा कारगर है हमारे नाड़ी तंत्र के शोधन के लिए बड़ा ही उत्तम प्रणायाम माना गया है | इस प्राणायाम में एक नाक से साँस लेते है और दूसरे नाक से साँस को छोड़ते है | फिर जिस नाक से साँस छोड़ी है उसी नाक से भर पेट श्वास अंदर लेना है और दुसरे नाक से वायु को बाहर करना है बाहर करते समय पेट पूरी तरह खाली हो जाना चाहिए , और श्वास लेते समय पूरे फेफड़े हवा से भर लेने चाहिए, यह पूरी प्रक्रिया बहुत धीरे धीरे करनी है . यह योग सबसे आसान योग है | इस प्रणायाम को करने से केंसर , शेव्त्र त्वचा की बीमारी नपुंसकता - napunsakta, एड्स - aids , अस्थमा - asthma, जुकाम - jukham, खांसी - khansi , टांसिल tonsils, आदि बीमारियों को दूर करता है | इस प्रणायाम को किसी भी खुले स्थान पर कर सकते है |

anulom vilom
anulom vilom
भ्रामरी प्राणायाम / bhramari pranayam :- 

इस प्रणायाम को रोजाना करने से बहुत फायदा मिलता है इसे करने से मन की चंचलता दूर हो जाती और हमारा मन एक्काग्र हो जाता है | स्कूली बच्चों के लिए ये बहुत लाभदायक होता है उनका मन पढाई पर केन्द्रित होकर ज्ञान अर्जन करता है , इस प्रणायाम को करने से केंसर cancer अवसाद , आधाशीशी का दर्द – adha sisi ka sir dard, दिल की बीमारी – heart problem, आँखों के रोग – eyes proble, मानसिक तनाव - tension, बी.पी हाई होना – blood pressure high low hona, आदि पेशानियो को दूर करता है |

उद्गीथ प्राणायाम
उद्गीथ प्राणायाम / udgeeth pranayam :- 

यह प्रणायाम सबसे साधारण प्राणायाम है इसमें हम ॐ की ध्वनी निकालते है इस योग को हमें रोजाना करना चाहिए | इस प्रणायाम को ५ से १० मिनट तक करते रहना चाहिए | इस प्राणायाम को रोज करने से हमारे शरीर में रक्त का संचार होता है , हदय की गति सामान्य हो जाती है , ब्लडप्रेशर सम्बन्धी शिकायत दूर होती है , नित्य इस प्रयोग को करने से मिर्गी रोग भी ठीक होता देखा गया है , साँस से जुडी हुई समस्या और कफज की परेशानी को दूर करता है |


प्रणव प्राणायाम / pranav pranayam :- 


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