ऋषि
चरक ने भोजन करने के लिए कुछ नियमों का उल्लेख किया है जो इस प्रकार है ।
1. आहार
सही मात्रा में, शुद्ध
तेल से घर में बना हुआ होना चाहिए
2. डिब्बो में पैक हुआ सड़ा - गला
भोजन
नहीं करना चाहिए । बल्कि हमे ताजे आटे से ताज़ा व् गुनगुना भोजन करना चाहिए । अधिक ठंडा या फिर अधिक
गर्म भोजन वर्जित है,
3. आहार हमेशा एकांत, शांत
स्थान,
जीवाणु रहित , साफ़ सफाई वाले स्थान और
सुन्दर वातावरण में बैठकर करना चाहिए ।
सुबह का भोजन |
4. टी वी तथा वद्यान्त्र और ज्यादा शोर वाली जगह पर बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए
5. खाना खाते समय हमे बातें नहीं करनी चाहिए ऐसा करने से श्वास
सम्बन्धी रोग हो जाते है , धसक से खांसी और श्वास नाली को क्षति पहुच सकती है ,
6. सही प्रकार से जमीन पर पालथी मारकर अपना घर में बनाया हुआ शुद्ध
और शाकाहारी भोजन करना उत्तम माना गया है ।
7. मनुष्य को अपने मन को शांत और प्रसन्न रखना चाहिए । भोजन के प्रति सकारात्मक भाव रखना चाहिए । पाप की कमाई द्वारा
भोजन न करे. क्योकि जैसा हम अन्न खाते है वैसा ही हमारा मन हो जाता है
दोपहर का भोजन |
8. हमारे शास्त्रों में लिखा गया है कि हमे भोजन सही समय पर खाना चाहिए । हमे सुबह ( हल्का भोजन ) , दोपहर
( भर
पेट भोजन ) और रात को ( हल्का भोजन ) करना चाहिए
, या फिर अपने शरीर के अनुसार और उचित मात्रा में भोजन का सेवन करना चाहिए ।
9. भोजन को हमेशा धीरे - धीरे
और चबा - चबाकर
खाना चाहिए । इस प्रकार से भोजन करने से भोजन का पाचन सरलता से होता है और पेट सम्बन्धी रोग
नहीं पनपते ।
10. रात्री में खट्टे पदार्थों का सेवन न करे इससे हमे वात या बलगम रोग हो
सकता है , जैसे खट्टी दही या लस्सी का सेवन न करे .
11 . भोजन के पश्चात तुरंत पानी न पाये ऐसा करने से पाचन
क्रिया बाधित हो जाती है
12 . भोजन के बाद तुरंत नहीं सोना चाहिए ऐसा करने से मोटापा
और बदहजमी हो जाती है , रात्री का भोजन करने के बाद कम से कम आधा घंटा धीरे धीरे टहलना
चाहिए , और भोजन के बाद कम से कम १.५ घंटे
बाद सोना चाहिए
रात्री का भोजन |
इस
प्रकार जो व्यक्ति नियमों का पालन करके हुए सरलता से पचने वाला और उचित भोजन करने वाला है वह व्यक्ति कभी बीमार नहीं हो सकता और सदा । और यदि किसी वजह से बीमार हो भी जाता है । तो पौष्टिक भोजन करने से और कुछ चीजो का परहेज करके बीमारी अपने आप ठीक हो जाती है । इससे किसी प्रकार की दवाई या औषधि की जरूरत नहीं होती । दूसरी और यदि मानव कितनी भी अच्छी दवाई या औषधि का प्रयोग कर ले परन्तु बाद में कोई भी परहेज न करे तो उसका रोग कभी ठीक नहीं हो सकता । उसकी प्रयोग की हुई औषधि बेकार हो जायगी ।
Bhojan ke Niyam |
पौष्टिक
आहार और परहेज न करने से बीमारियाँ बढ़ती है । आयुर्वेद में यह बात कही है कि परहेज करने वाले को औषधि की जरूरत नहीं होती और जो व्यक्ति परहेज न करे तो उसे औषधि खाने से कोई फायदा नहीं मिलता ।
लोकप्रसिद्ध
बात है कि अन्न प्राणियों के लिए प्राण है । इसी कारण मनुष्य अन्न की तरफ भागते है । अन्न मनुष्य के जीवन का आधार है ।
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