साँस का फूलना :-
साँस फूलने के कई कारण हो सकते है | जब किसी व्यक्ति को
एलर्जी होती है , किसी प्रकार का संक्रमण होता है , चोट लगती है या सुजन आ जाती है
तो उस समय व्यक्ति की साँस फूलती है या उसे साँस लेने में परेशानी होती है | मनुष्य
की साँस उस समय फूलती है जब शरीर के फेफड़ों से समन्धित कोई बीमारी हो जाए | इसके
आलावा फेफड़ों और ब्रोकाइल ट्यूब सूज जाती है तो साँस फूल जाती है | इसी प्रकार से
जब कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार का धूम्रपान करता है तो उसे साँस लेने में परेशानी
होती है | इसके आलावा किसी जब रोगी को दिल से जुडी ही कोई बीमारी लग जाती है तो
उसे भी साँस फूलता है | आज हम आपको साँस
फूलने का क्या कारण है और इसका इलाज किस प्रकार से करना है इस बात की जानकारी
देंगे |
साँस फूलने से होने वाले रोग और उपचार |
साँस मुख्य रूप से दो कारणों से फोल्लती है |
1, ब्रोकाइट्स
दमा |
दमा रोग किसे कहते है :- जब किसी
व्यक्ति को साँस की छोटी नालियों में किसी प्रकार का रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति
को साँस लेने में परेशानी होती है | इसी कारण व्यक्ति को खांसी होने लगती है | इस परिस्थित को दमा कहते है |
Dma Rog Ke Lakshn |
दमा रोग के लक्षण :- जिस व्यक्ति को दमा का रोग है |
उसे साँस लेने में और साँस को छोड़ने में बहुत जोर लगाना पड़ता है | यह इसलिए होता
है क्योंकि रोगी की साँस लेने वाली नालियां पूरी तरह से साँस को अंदर खिंच नही
पाती | दमा एक ऐसी बीमारी है जिसमे व्यक्ति अच्छी तरह से साँस नही ले सकता जिससे
उस व्यक्ति की हालत बिगड़ने लगती है | दमा के रोगी जब साँस अंदर लेटे है तो हल्की –
हल्की सिटी की आवाज सुनाई पडती है | जिस व्यक्ति को दमा रोग होता है उस व्यक्ति का
रोग बहुत ज्यादा बढ़ जाता है | तो उस व्यक्ति को दोरे आने शुरू हो जाते है | जिस
लोगो को साँस लेने में बहुत ज्यादा कठीनाई होती है और व्यक्ति छटपटाने लगता है |
तब दौरे में अधिक गति होती है | ऑक्सिजन की कमी होने के कारण व्यक्ति के चेहरे का
रंग नीला पड़ जाता है |यह बीमारी लड़का हो या लड़की किसी को भी हो सकती है | दमा के
व्यक्ति को सुखी खांसी होती है और हाफने वाली खासी भी होती है| इस रोग से पीड़ित
व्यक्ति कितना भी खासी के द्वारा बलगम निकालने की कोशिश करे फिर भी लेकिन बलगम
बाहर नही निकलता है | क्या आपको लगता है कि दमा के रोग को पूरी तरह से ठीक किया जा
सकता है | जी हाँ दमा के रोग को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है | लेकिन इससे
पहले हम आपको पहले दमा के रोग के कुछ कारणों के बारे में बतायेंगे | जिसे जानकर आप
दमा के रोग को आसानी से पहचान सकते है |
दमा रोग होने का कारण :- धुल के कण के कारण |
प्रत्युत्तर जनक भोजन का अधिक सेवन करने के कारण भी दमा का रोग हो जाता है
|
यदि भोजन भूख से अधिक खाया जाता है तो भी दमा का रोग हो जाता है |
हृदय के कमजोर होने के कारण , गुर्दे की कमजोरी के कारण , आंतों और फेफड़ों
की कमजोरी के कारण दमा रोग हो जाता है |
जब मनुष्य का स्नायु तन्त्र कमजोर पड़ जाता है तो यह रोग हो सकता है |
अधिक मिर्च ,मसाले वाला भोजन करने से या गरिष्ट लगने वाला भोजन करने से दमा
का रोग हो सकता है | इसके आलावा मनुष्य के शरीर के पाचन की नलिकाओं में जलन
उत्त्पन करने वाले भोजन का सेवन करने से भी दमा का रोग हो सकता है |
DHUMRPAAN NAA KREN |
जब किसी मनुष्य के साँस लेने वाली नलिकाओं में धुल जम जाती है या ठंड लगती
है तो उस समय व्यक्ति को साँस लेने में कठनाई होती है | ऐसी अवस्था में दमा का रोग
होने की अधिक संभावना हो सकती है |
मल या मूत्र के वेग को आने से बार – बार रोका जाता है तो भी दमा रोग का एक
कारण बन जाता है |
जो व्यक्ति अधिक से अधिक नशे वाले पदार्थों का सेवन करता है उसे भी दमा का
रोग हो सकता है |
जब कोई व्यक्ति किसी दुसरे रोग को ठीक करने के लिए अधिक से अधिक दवाइयों का
उपयोग करता है तो उस मनुष्य की छाती में कफ जम जाता है जिसके कारण वह सही प्रकार
से साँस नही ले सकता है | इसी कारण दमा का रोग हो जाता है |
अगर किसी व्यक्ति को नजला है और वह उस समय के दौरान सेक्स करता है तो उसे
दमा होने की संभावना हो जाती है |
जो व्यक्ति मानसिक तनाव में रहता है , अधिक गुस्सा आता है और अधिक डर भी
लगता है तो इससे भी दमा का रोग हो सकता है |
नजला रोग , खांसी और जुकाम का अधिक समय तक रहने से दमा के रोग को पैदा करता
है |
धूम्रपान करने से या उन लोगों के साथ रहने से दमा हो सकता है | क्योंकि जब
कोई दूसरा व्यक्ति धूम्रपान करता है तो उसका धुआं आपके फेफड़ों में जाता है | जिससे
दमा हो सकता है |
अगर खून में किसी प्रकार का दोष उत्पन्न होता है तो दमा हो सकता है |
दमा के रोग के लक्षण :-
जिस व्यक्ति को दमा है उसका कफ सख्त , बदबूदार ओ डोरिदारा निकलता है |
दमा के रोग से पीड़ित व्यक्ति को साँस लेने में कठनाई होती है |
दमा का रोगी जब भी साँस लेता है तो उसे अधिक जोर लगाना पड़ता है जिसके कारण
उसका चेहरा भी लाल हो जाता है |
दमा के रोग से पीड़ित व्यक्ति की शुरू के समय की खांसी में सरसराहट की आवाजे
आती है और साँस उखड़ने लगती है कभी – कभी तो दौरे भी पड़ने लगते है |
Dma Rog Ke Hone Ka Kran |
दमा के रोगी को आमतौर पर दौरे तो पड़ते ही रहते है लेकिन रात के समय यह दौरे
अधिक पड़ते है |
दमा के रोगी में सबसे अधिक एक ही
लक्षण देखा गया है वो है उसका सही प्रकार से साँस न लेना | यही कुछ लक्षण है
जिन्हें जानकर आप अपने दोस्तों की रिश्तेदार की या खुद के रोग का पता लगा सकते है
| इसके बाद बात करते है इस बीमारी के इलाज की |
दमा के रोग को घरेलू उपाय करके कम किया जा सकता है लेकिन एक बार डॉक्टर की
सलाह अवश्य लें | तो आज हम इस छोटे से लेख के माध्यम से आपको दमा के रोग को ठीक
करने के कुछ उपायों के बारे में जानकारी देंगे |
उपाय :- दमा के रोग से पीड़ित व्यक्ति को सफेद पेठे के रस , नारियल का पानी
, पत्ता गोभी का रस , चुकन्दर का रस , दूब का रस , अंगूर का रस , और साधारण पानी
अधिक से अधिक पिलाना चाहिए | यह बहुत ही लाभदायक उपाय है |
जिस व्यक्ति को दमा का रोग है |उसे रोजाना नीबू और शहद को मिलाकर पानी पीना
चाहिए | इसके आलावा उसे सप्ताह में एक बार व्रत अवश्य करना चाहिए | व्रत में केवल
फलों का ही सेवन करें | सी व्रत के करने के बाद लगातार एक सप्ताह तक ताज़े फलों का
रस . हरी पत्तेदार सब्जियां और उनका उबला हुआ पानी या सूप का सेवन करें | इस विधि
को करने के बाद लगभग 2 सप्ताह तक बिना पका हुआ भोजन करना चाहिए और फिर इसके बाद
साधारण भोज का सेवन करना चाहिए | जो व्यक्ति इस विधि का अनुसरण करता है वह जल्द ही
इस रोग से मुक्त हो जाता है |
नारियल का पानी पीयें |
दमा के रोग से पीड़ित रोगी को रात के समय थोड़े से मेथी के दानों को पानी में भिगोकर रखना चाहिए | अगले दिन सुबह
भीगे मेथी को खा लें | और इसके पानी में थोडा सा शहद मिलाकर पी लें | इस उपाय को
करने से जल्द से जल्द आराम मिलता है |
दमा के रोग से पीड़ित रोगी को कभी भी चिंता नही करनी चाहिए | इससे रोगी को
मानसिक रोग हो सकता है | इस रोग को होने से रोकना चाहिए | क्योंकि यह दमा के रोग
में पड़ने वाले दौरों को और भी बढ़ा देता है | इस लिए दमा के पशेंट को कभी की तनाव
और चिंता में नही रहना चाहिए |
दमा के रोगी को अपने भोज्य पदार्थो में नमक और चीनी का सेवन नही करना चाहिए
| यदि आप प्रयोग करेंगे तो केवल नाम मात्र ही प्रयोग करें | अन्यथा स्वस्थ और भी
खराब हो सकता है |
सेंधा नमक का उपयोग करें |
दमा के रोगी को रोजन खुली और स्वच्छ हवा मे अपनी कमर को सीधी करके लम्बी –
लम्बी साँस लेनी चाहिए और वायु में साँस को छोड़ें | इसके आलावा रोगी को रोजाना
सुबह एक समय सैर करने के लिए जाना चाहिए | यह एक आसान उपाय है | इससे आपका
स्वास्थ्य ठीक रहता है |
दमा के रोग से पीड़ित
रोगी को अपना पेट साफ़ रखना चाहिए | उसे अपने पेट में कभी भी कब्ज नही बनने देना
चाहिए |
जिस व्यक्ति को दमा का रोग है उसे कभी भी धूम्रपान नही करना चाहिए | और ना
ही धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के साथ रहना चाहिए | अन्यथा इस रुग का प्रकोप बढ़
जाता है | जो आगे चलकर हमारे लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है |
दमा के रोग से पीड़ित रोगी को कभी भी दूध या दूध से बनी हुई वस्तु का सेवन
नही करना चाहियें | यह उसके स्वास्थ्य के लिए हितकर नही है |
जिस व्यक्ति को दमा का रोग है उसे रोजाना तुलसी के पौधे के पत्ते का ताज़ा
रस और अदरक का रस और शहद को आपस में मिलाकर पीना चाहिए | इस उपचार को करने से दमा
का रोग शांत हो सकता है |
दमा के रोग से पीड़ित व्यक्ति को यदि इस रोग से छुटकारा पाना है तो उसे
त्रिफला का चूर्ण और निम्बू के रस को आपस में मिलाकर सेवन करना चाहिए | इस उपाय को
करने से दमा के रोग से जल्द से जल्द छुटकारा मिल जाता है |
एक कप पानी को हल्का गर्म कर लें | इसमें थोडा सा शहद मिलाकर पीयें | इस
उपाय को एक दिन में कम से कम दो से तीन बार करने से दमा के रोग से छुटकारा मिल
जाता है |
शहद का उपयोग करें |
दमा के रोग से पीड़ित रोगी को रात के समय का भोजन जल्द ही करना चाहिए | और
जल्दी ही सो जाना चाहिए | इसके आलावा जब भी वह रात को सोयें सोने से पहले हल्का गर्म
पानी पी लें इसके बाद सोयें | अगर आप रात को अजवाइन की भाप लेते है तो और भी बेहतर
होगा | इस उपाय को करने से रोगी को अधिक लाभ मिलता है |
दमा के रोगी को अपने शरीर की रीढ़ की हड्डी और छाती पर सरसों के तेल में कपूर
को डालकर मालिश करनी चाहिए | मालिश करने के बाद भाप से स्नान करना चाहिए | इस तरह
का उपाय थोडा सा मुश्किल तो जरुर है लेकिन इस उपाय को करने से रोगी को दमा के रोग
से जल्द ही मुक्ति मिल जाती है | दमा के रोग से पीड़ित व्यक्ति को कुछ योगासन भी
करने चाहिए | जैसे योगमुद्रा आसन , और भी कुछ और आसन है इसके बारे में आप अपने
चिकित्सक से पूछ सकते है | | इसके आलावा आप एक और तरीका अपना कते है | जैसे :- दमा एक रोगी को अपने शरीर के पेडू पर मिटटी की
एक पट्टी चढ़ानी चहिये | इस पट्टी पर गुनगुने पानी की एनिमा लेनी चाहिए | जब इस
क्रिया को करते हुए 10 मिनट बीत जाये तो एक सुनहरी रंग की बोतल में सूर्यतप्त पानी
को भर लें | और इस पानी को 25 मिलीलीटर की मात्रा को पी लें | हमारे बताये हुए इस
चिकत्सा पद्धति को जो कोई दमा का रोगी अपनाता है तो उसे इस रोग से जल्द से जल्द
छुटकारा मिल जाता है | रोगी को एक सप्ताह में दो या तीन बार दातुन या कुल्ला करना
चाहिए | इसके बाद कम से कम 1 से डेढ़ लीटर पानी में थोडा सा सेंधा नमक मिलाकर धीरे –
धीरे पीयें | इसके बाद गले में ऊँगली करके उल्टी करें | इस तरह के उपचार को करने
से रोगी के शरीर का व्यर्थ पदार्थ बाहर निकल जाता है और वह इस रोग से मुक्त हो
जाता है |
दमा के रोग को होने पर व्यक्ति को प्राकृतिक चिकत्सा करवानी चाहिए | इसके
लिए पहले पेशंट को सबसे हटा कर रखें | इसके बाद दमा के रोग को बढ़ाने वाली चीजों से
परहेज कराएं | इस रोग के होने पर व्यक्ति को अधिक घबराना नही चाहिए | क्योंकि यदि
घबराहट हो गई तो इस रोग में पड़ने वाले दौरे तेज़ हो जाते है |
शराब का सेवन बंद कर दें |
जो व्यक्ति दमा के रोग से पीड़ित है उस रोगी का उपचार करने से पहले कम से कम
10 से 15 मिनट तक कुर्सी पर आराम से बिठाएं ताकि उसके फेफ्दें ठंडे हो सके | इसके
बाद रोगी को थोड़ी – थोड़ी मात्रा में होंठों से हवा खीचनी चाहिए और धीरे – धीरे
साँस को अंदर लेना चाहिए | इस तरह के उपाय को करने से दमा का रोग कुछ ही दिनों में
ठीक हो जाता है |
दमा के रोगी को हमेशा गर्म बिस्तर
पर ही सोना चाहिए | यह उसके सेहत के लिए उचित होता है |
दमा के रोगी को अपने शरीर की रीढ़ की हड्डी और छाती पर सरसों के तेल में
कपूर को डालकर मालिश करनी चाहिए | मालिश करने के बाद कमर की सिकाई करनी चाहिए |
यदि रोगी अपनी छाती पर न्यूट्रल लेपट करवाता है तो इससे अधिक लाभ मिलता है और रोगी
का रोग जल्द ही दूर हो जाता है |
दमा के रोगी के लिए कुछ सावधानीयां इस प्रकार से है |
दमा के रोगी को कभी भी धूम्रपान नही करना चाहिए और ना ही नशीले पदार्थों का
सेवन करना चाहिए | ऐसा करने से दमा के रोगी को हालत गंभीर हो सकती है |
दमा के पेशंट को अपने भोज्य पदार्थों में लेसदार भोजन और अधिक मिर्च
मसालेदार भोजन को शामिल नही करना चाहिए | इससे सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है |
हरी सब्जियां खाएं |
दमा के रोग से पीड़ित व्यक्ति को धुएं और धुल भरे वातावरण से दुरी बनाये
रखना चाहिए | क्योंकि धुल और धुएं के कारण
यह रोग और भी बढ़ जाता है |
दमा के रोगी को कभी भी धूम्रपान नही करना चाहिए और ना ही नशीले पदार्थों
जैसे शराब , सिगरेट और तम्बाकू आदि नशे वाले पदार्थ का सेवन नही करना चाहिए | इससे
यह रोग और भी उग्र हो जाता है | कई बार तो व्यक्ति की जान भी चली जाती है |
रोगी को कभी भी मानसिक तनाव नही लेना चाहिए गुस्सा नही करना चाहिए और लड़ाई
झगड़ों से बच कर रहना चाहिए |
तो ये थे कुछ उपाय जिनको करने से यह रोग ठीक हो सकता है |
ब्रोकिइट्स का रोग :- इस बीमारी के कारण रोगी को सर्दी के मौसम में अधिक
खांसी होती है और गर्मी के मौसम में कम खांसी होती है | परन्तु जब यह रोग अधिक पुराना हो जाता है तो सर्दी और
गर्मी के मौसम में एक जैसी खांसी होती है
|
काढ़ा बनाएं |
तेज़ ब्रोकिइट्स के रोग के लक्षण :- तेज़
ब्रोकाईट्स में रोगी की साँस फूल जाती है |
रोगी को खांसी होती ही रहती है और कई बार तो बुखार भी हो जाता है |
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को बैचेनी से होने लगती है और भूख भी कम लगती है |
इस बीमारी के होने के क्या कारण है |
जब हमारे फेफड़ों में से होकर जो भी साँस की नली जाती है उसमे किसी तरह का
संक्रमण हो जाता है तो उस स्थान की सतह फूल जाती है | इस कारण हमारी साँस की नली
पतली हो जाती है | इसके बाद हमारे गले में श्लेष्मा नामक तत्व जमा हो जाता है , और
हमे अधिक खांसी होने लगती है | जिसके कारण यह रोग हो जाता है |
पुराना ब्रोकाईटस के कारण :- पुराना ब्रोकाईटस यह एक ऐसा रोग है जो रोगी को
बार – बार उभरता रहता है | इस बीमारी के कारण रोगी के फेफ्दें धीरे – धीरे गलने
लगते है | इसके आलावा तेज़ ब्रोकाईटस के रोगी को त्तेज़ दर्द भी होता है | इस रोग
में साँस की नली में संक्रमण के कारण एक मोटी सी परत जम जाती है जो हवा के आने –
जाने पर रोक लगाती है | इस अवस्था में फ्लू का भी रोग हो सकता है |
पुराना ब्रोकाईटस के
लक्षण :- इस बीमारी के निम्नलिखित लक्षण है |
इस रोग में रोगी को सुबह उठते ही तेज़ खांसी होती है और खांसी के साथ ही साथ
बलगम भी आता है | शुरुआती खांसी में यह रोग एक समान्य सा रोग लगता है | परन्तु जब
रोगी को साँस उखड़ने लगती है तो यह रोग एक गंभीर समस्या का रूप ले लेता है | इस रोग
में रोगी को ओक्सिजन पर्याप्त मात्रा में नही मिलता | जिसके कारण रोगी का चेहरा
नीला हो जाता है |
इस रोग के होने का मुख्य कारण धूम्रपान को माना जाता है | धूम्रपान करने
वाला व्यक्ति खुद तो इस बीमारी का शिकार होता है और साथ ही साथ अपने आस – पास रहने
वाले लोगों को भी इस बीमारी का शिकार बना
देता है |
तेज़ ब्रोकिइट्स के रोग का उपचार :- इस रोग का उपचार हम घरेलू तरीके भी कर
सकते है | इन उपायों का वर्णन निम्नलिखित है |
जब किसी व्यक्ति को तेज़ ब्रोकिइट्स का रोग हो जाता है तो उसे कम से कम 1 या
2 दिन का व्रत रखना चाहिए | इसके बाद रोगी को ताज़े फलों का जूस पीना चाहिये और साथ
ही साथ दिन में लगभग दो बार छाती पर मिटटी की गर्म गीली लगानी चाहिए | इस तरह के
उपाय को प्रयोग करके आप इस बीमारी से मुक्त हो जाते है | यह एक असरदार उपाय है |
गर्म पानी पीयें |
एक गहरे रंग की कांच की बोतल लें | इस बोतल में पानी भरकर सूर्य की रौशनी
में रख दें | जब यह पानी गर्म हो जाये तो इस सूर्य तप्त जल की 25 मिलीलीटर की
मात्रा को प्रतिदन 5 से 6 बार पीयें | इसके आलावा इस सूर्य तप्त जल में कपड़े को
गीला करके यदि गले पर लपेटते है तो यह रोग जल्द से जल्द ठीक हो जाता है |
पुराना ब्रोकिइट्स का रोग कभी – कभी जल्दी ठीक नही होता | इसे ठीक करने के
लिए रोगी को नमकीन और जो भोजन खारा होता है उसे भोजन का अधिक मात्रा में सेवन करना
चाहियें | इसके आलावा एक और उपाय करें अपनी क्षमता के अनुसार प्रणायाम और व्यायाम
करें | इस तरह के उपाय को अपनाकर आप इस रोग से जल्द से जल्द छुटकारा पा सकते है |
पुराना ब्रोकिइट्स के
रोग में रोगी को सबसे पहले लगभग दो से तीन दिनों तक ताज़े फलों का जूस पीना चाहिए |
इससे सेहत ठीक रहती है | पेट को साफ करने के लिए रोगी को अपने पेट पर एनिमा का लेप
करना चाहिए | इस उपचार को करने के बाद रोगी को साधारण सा भोजन करना चाहिए | इस तरह
के उपचार का नियमानुसार प्रयोग करने से रोगी का यह रोग ठीक हो जाता है |
पुराना ब्रोकिइट्स का
रोग ठीक करने के लिए रोगी को नमकीन और खारा , तीखा और चटपटा भोजन का सेवन करना
चाहिए | आप अपने भोजन में आलू की सब्जी , हरी पत्तेदार सब्जियां , सूखे मेवे, गेंहू के आटे की चोकर
समेत रोटी , और सालद आदि को भी शामिल कर सकते है | इस तरह के भोजन का सेवन करने से
इस रोग में लाभ मिलता है |
मेथी के दाने के उपयोग |
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को गर्म पिलायें और उसके सिर पर ठंडे पानी की भीगी
हुई पट्टी रखकर उसके पैरों को गर्म पानी से धोना चाहिए | इस किर्या के बाद रोगी को
रम पानी से ही नहायें | नहाने के बाद रोगी के शरीर पर गीली चादर लपेट दें | इस
क्रिया के बाद रोगी के शरीर में गर्मी आने के लिए मोटे और गर्म कम्बल ओढ़ा दें | और
रोगी को आराम करने दें | इस तरह के उपचार को एक दिन में कम से कम दो बार करें |
पुराना ब्रोकिइट्स का रोग ठीक होने में कम से कम समय लगता है |
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की अवस्था जब गंभीर हो जाती है तो उसकी छाती को
भाप स्नान देना चाहिए | यदि रोगी को इस रोग में अधिक खांसी हो तो रोगी को दिन में
जब भी पानी पीये तो वह केवल गर्म पानी ही पीयें |और साथ ही साथ गर्म पानी से नाक
और मुंह से भाप को अंदर खिचे | इस तरह की विधि को अपनाकर आप इस रोग से मुक्ति पा
सकते है |
इस रोग से पीड़ित रोगी को खुली और ताज़ी हवा में घूमना चाहिए | और पानी में
निम्बू का रस मिलाकर पीना चाहिए | इस पानी का रोगी जितना सेवन करता है उतना ही
उसके रोग को ठीक होने में मदद मिलती है | रोगी को सप्ताह में एक या दो बार पानी को
गर्म करके उसमे नमक डालकर नहाना चाहिए | इस विधि को जो कोई भी रोगी अपनाता है तो
उसका रोग जल्द ही ठीक हो जाता है |
ताज़े फलों का जूस पीयें |
पुराना ब्रोकिइट्स के रोगी को अपने कमर और रीढ़ की हड्डी की सिकाई करवानी
चाहिए | लेकिन सिकाई से पहले सरसों के तेल में कपूर डालकर मालिश करवाएं | इस
प्रिकिया को कर्ण इसे अधिक लाभ मिलता है | और रोग जल्द ही ठीक हो जाता है | इसके
आलावा रोगी को रोजाना छाती पर रम पट्टी बांधनी चाहिए |
पुराना ब्रोकिइट्स के रोगी को सुबह के समय हल्का फुल्का प्रणायाम करना चाहिए | इस उपाय को करने से शवसन तन्त्र के भाग को बल मिलता है | और उसमे जमा हुआ गंध साफ हो जाता है | परिणाम स्वरूप इस रोग से छुटकारा मिल जाता है |
पुराना ब्रोकिइट्स के रोगी को सुबह के समय हल्का फुल्का प्रणायाम करना चाहिए | इस उपाय को करने से शवसन तन्त्र के भाग को बल मिलता है | और उसमे जमा हुआ गंध साफ हो जाता है | परिणाम स्वरूप इस रोग से छुटकारा मिल जाता है |
पुराना ब्रोकिइट्स के रोगी के लिए कुछ सावधानियाँ इस प्रकार से है :-
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को कभी भी धूम्रपान नही करना चाहिए | क्योंकि
धूम्रपान करने से यह रोग और भी अधिक बढ़ जाता है |
सरसों के तेल से मालिश करें |
रोगी को लेसदार पदार्थों का सेवन नही करना चाहिए | क्योंकि इस भोजन से बलगम
बनता है |
इस रोग से पीड़ित रोगी को
एक बार डॉक्टर से जरुर दिखाएँ
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