नस पर नस चढने पर क्या उपचार करें , Nas Pr Nas Chdhne Pr Kya Upay Kren |

नस पर नस चढने पर क्या उपचार करें
नस पर नस चढने पर क्या उपचार करें


नस पर नस चढना :- आज के समय में नस पर नस चढना कोई बड़ी बीमारी नही है | बल्कि यूँ कहो कि ये बीमारी ही नही है | लेकिन फिर भी लोग नस पर नस चढने से परेशान हो जाते है | जब व्यक्ति की नस – नस पर चढ़ जाती है तो वह ठीक प्रकार से कार्य नही कर पाता | वह इसे ठीक करने के लिए तरह – तरह की तकनीक अपनाता है | मनुष्य के नस पर नस क्यों चढ़ती है | इसका कारण कोई नही जानता | यह किसी भी व्यक्ति को किसी न किसी कर्ण और कभी भी हो सकता है | इस दर्द को कम करने के लिए लोग गोलियों का भी सहारा लेटे है तो कुछ लोग घरेलू तरीका अपनाकर इसे ठीक करते है | आज हम आपको ऐसे ही दर्द से मुक्ति पाने के लिए कुछ उपाय के बारे में बतायेंगे |
कई बार व्यक्तियों को रात के समय सोते हुए नस पर नस चढ़ जाती है | उसके पैरों में ऐठन भी हो जाती है | टांगों और पिंडलियों में हल्का – हल्का दर्द भी होता है | इसके आलावा पैरों में दर्द के साथ , जलन , झनझनाहट और सूई चुभने जैसा एक एहसास होता है | ये सभी लक्षण होते है नस पर नस चढने के | मनुष्य के शरीर में कंही पर भी दर्द होता है | तो लोग इसका इलाज थेरेपी से या पेन किलर खाकर करते है | पेन किलर के नशे की तरह ही होता है | जब तक इस दवा का प्रभाव होगा तब तक दर्द नही होगा | और जैसे ही इस दवा का असर खत्म हुआ की दर्द होना शुरू हो जाता है | क्या आप जानते है कि पेन किलर खाने से हमे हानि भी हो सकती है | शरीर में दर्द की या नस पर नस चढने का मुख्य कारण निम्न है |
pen kilr khate hai
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गलत तरीके से उठना – बैठना
बेड या सोफे पर आधे लटके हुई अवस्था में रहना
उल्टा सोना इसके आलावा दो – दो सिरहाने रखकर सोना
बेड पर लेटकर अधिक देर तक मोबाईल या लेपटोप का उपयोग करना
अधिक देर तक बैठे रहने से
अधिक देर तक खड़े रहने से |
पुराने जमाने में लोगो की प्रतिदन की काम के चीजों की पूर्ति मशीनों के द्वारा मही होती है | लोगों को बहुत दूर तक पैदल चलकर जाना पड़ता था | शरीरिक मेहनत करनी पडती थी , लकड़ियों को काटने के लिए ऊँचे – ऊँचे पेड़ों पर चढना पड़ता था | इसके आलावा उन्हें जलाने के लिए लकड़ियों को छोटे – छोटे टुकड़ों में काटना पड़ता था और फिर धुप में सुखाना होता था | जब लोगों खेती करते थे | तो उसके लिए खुरपी , दरांती , फावड़ा आदि चीजों का उपयोग करते थे | लेकिन फिर भी वे लोग बहुत ही कम बीमार पड़ते थे | और उनके हाथ पैरों में दर्द भी कम होता था | क्योंकि उनका उपचार स्वयं प्राकतिक करती थी | इसलिए  पुराने जमाने के लोग हमेशा स्वस्थ रहते थे |
रोग होने का कारण :- हमारे शरीर में जब रोगों से लड़ने की ताकत खत्म हो जाती है | या कमजोर पड़ जाती है | तो हमे कोई न कोई रोग घेर ही लेता है | रोग होने के कारण हमारी मसपेशियों को नुकसान होता है | इसके आलावा जब हमारे शरीर को कोई बड़ा रोग घेर लेता है , तो हम कम से कम एक या दो साल तक अपने आप को स्वस्थ महसूस नही करते | एक और कारण है हमारे बीमार होने का वो ये है कि जब हमारे शरीर की कुछ ग्रन्थिय जरूरत से कम काम करती है या जरूरत से अधिक काम करती है तो उस अवस्था में भी हम बीमार हो जाते है | हम लोग ये सोचते है कि हमे बुढ़ापा आ गया है या प्रोटीन्स , विटामिन्स की कमी , थकान के कारण या प्रणायाम ना करने के कारण हम बीमार हो गये है | स बात को सोचने के बाद हम दवाई का उपयोग करते है |  इन दवाइयों का उपयोग करके हमारी ग्रन्थि ठीक नही होती बल्कि थोडा – थोडा काम करना शुरू कर देती है | रोग छोटा हो या बड़ा बीमारी तो बीमारी ही होती है | जिसमे मनुष्य अपने आप को शरीरिक रूप से बहुत कमजोर समझने लगता है| रोग जैसे :- मधुमेह का रोग , ब्लडप्रेशर हाई या लो , किडनी से जुडी हुई समस्या , नाड़ी तन्त्र से जुदा हुआ रोग , आदि कुछ रोग ऐसे है जिनसे मासपेशियों पर नियंत्रण कम हो जाता है |
नस पर नस चढना तो एक प्रकार की समस्या होती है | लेकिन यह शरीर के किस – किस हिस्से में पड़ जाये इसके बारे में कुछ कह नही सकते  | यह दर्द मसल नोट के कारण होता है | यह दर्द कमर में कंधे पर , गर्दन में , छाती में दर्द , कोहनी में बाजु में दर्द , टांगों में अंगूठे में दर्द आदि कुछ हिस्सों में हो सकता है | हमारे शरीर में लगभग 600 मासपेशियाँ होती है | जिसमे से लगभग 200  मासपेशियाँ मसल नोट से प्रभावित होती है |
paeron ke neeche tkiya rakhen
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नस पर नस चढना :- हमारे शरीर में जंहा – जंहा खून का संचार होता है | वंहा – वंहा खून के बराबर बिजली भी जा रही है | इसे बायो इलेक्ट्रसिटी कहते है | यह हमारी धमनी और शिराओं में चलता है और करंटजो हमारे तंत्रिकाओं में चलता है | यदि हमारे शरीर के किसे भी हिस्से में खून का संचार नही होता है तो वह हिस्सा सुन्न हो जाता है | इसके आलावा जब हमारी मासपेशियों पर हमारा नियंत्रण नही रहता है तो उस स्थान पर हाथ से छु कर देखने पर ठंडा महसूस होता है | हमारे शरीर के जिस हिस्से में बायो इलेक्ट्रसिटी नही जाती उस स्थान दर्द होने लगता है |
नस पर नस चढ़ने का कारण :- जब हमारे शरीर में जल की कमी और खून में सोडियम , पोटेशियम की कमी  कैल्शियम और मैग्नीशियम का स्तर कम हो जाता है., तो ऐसी अवस्था में नस पर नस चढ़ जाती है |
मधुमेह के रोग में , अधिक शराब पीने से या किसी बड़ी बीमारी होने के कारण हमारी नसें कमजोर हो जाती है |
जो लोग कोलेस्ट्रोल को कम करने वाली दवाइयों का उपयोग करते है , उनकी नसे भी कमजोर हो जाती है |
जो लोग पेशाब अधिक होने के लिए ड्यूरेटिक दवाइयों का सेवन करते है | उन लोगों के शरीर में जल , खिनज लवण की मात्रा कम हो जाती है |  
जरूरत से अधिक व्यायाम करने से या कठिन से कठिन व्यायाम करने से , खलने से अधिक कठोर परिश्रम करने से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है |
पैरों में स्नायुओं के मधुमेह रोग होने के कारण
जो लोग सिगरेट , तम्बाकू और शराब का सेवन करते है | उनके शरीर में पौषक तत्वों की कमी आ जाती है |
ghrelu upay kren
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एक ही स्थिति में एक लम्बे समय तक खड़े रहने से या बैठने से या मोड़ें रहने से मासपेशियों में थकान हो जाती है |
यही सब कुछ कारण है | जिनसे नस पर नस चढ़ जाती है | आगे बात करते है कि जब नस पर नस चढ़ जाती है तो उसके क्या लक्षण होते है |
आज के मानव का जीवन भले ही आरामदायक होता है | सभी कार्य मशीनों से होता है | लेकिन फिर भी लोगों को कोई न कोई बीमारी तो हो ही जाती है | जब हमारे हाथ पैरों में सुन्नपन आ जाता है तो रात को सोते समय यदि हाथ थोडा सा दब जाये तो सुन्न हो जाता है |
गर्दन के आस – पास के हिस्से में ताकत की कमी हो जाती है | जब हम गर्दन को घुमाते है तो दर्द होता है |
हाथों की पकड़ ढीली होना |
जब हम सीढियों पर चढ़ते है तो घुटनों के नीचे खिचाव महसूस होता है |
चलने का संतुलन बिगड़ जाता है |
हाथ पैरों का कापना
शरीर में सुइयां चुभती है |
दिल की धडकनों का बढना |
Nas Pr Nas Chdhne Pr Ghrelu Upay Krne
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आज हम आपको घरेलू उपाय से नस पर नस चढने को दूर करने के उपाय के बारे में बता रहे है |
नस पर नस चढने के पर घरेलू उपचार करें :- यदि आपकी नस पर नस चढ़ जाती है | जैसे पैर की नस चढ़ गई है तो उसी तरफ के हाथ की ऊँगली के नाख़ून के नीचे के भाग को अच्छी तरह से दबाकर रखें | और इसे तब तक ना छोड़े जब तक की नस पर नस ठीक ना हो जाये |
नस पर नस चढना एक आम सी बात है | लेकिन जब किसी मनुष्य को यह समस्या होती है तो उसे दर्द भी बहुत होता है | इतना दर्द होता है कि मानो जान ही निकल गई | यदि रात को सोते समय नस पर नस चढ़ जाती है तो व्यक्ति चाहे कितनी ही गहरी नींद में क्यों ना सो रहा हो उठकर बैठ जाता है |
सूजन अ जाये और दर्द भी हो तो आपको तुरंत ही उपचार करना चाहिए |
यदि आपके पैरों में नस पर नस चढ़ गई है तो , रात को सोते समय पैरों के नीचे तकिया रख कर सोयें | आराम करें और अपने पैरों को ऊंचाई वाले स्थान पर रखें |
शरीर के जिस हिस्से में नस पर नस चढ़ गई है तो उस स्थान पर बर्फ की ठंडी सिकाई करें | लगभग 3 से 4 दिनों तक इसी प्रकार से सिकाई करते रहे |लाभ मिलता है |
यदि आप बर्फ से भी और गर्म पानी से भी सिकाई करते है तो इससे भी अधिक लाभ मिलता है |
जिस स्थान पर नस पर नस चढ़ी है | उस स्थान पर हल्का खिंचाव देकर तेल से या किसी दर्द निवारक मलहम से मालिश करें |
पैरों पर इलास्टिक पट्टी बांधे | ताकि पैरों में खून ना जमे |
grm patti banadhe
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यदि आपको ब्लडप्रेशर या मधुमेह आदि का रोग है , तो परहेज करें और अच्छी तरह से उपचार करवाएं |
जिस भोजन में फाइबर की मात्रा अधिक होती है | उस भोजन का सेवन करें | जैसे चपाती , ब्राउन ब्रेड , सब्जियां और फल | इसके आलावा रिफ़ाइन्ड फ़ूड का सेवन बिल्कुल भी ना करें |
आरामदायक जूते पहने |
शराब , तम्बाकू और नशीले तत्वों का सेवन ना करें |
यह समस्या ना हो , इसके लिए रोजाना सैर पर जाएँ | इससे टांगों की मजबूती बनी रहती है |
भोजन कैसा करना चाहिए |
Bhojn Kaesa Krna Chahiye|
Bhojn Kaesa Krna Chahiye
अपने भोजन में निम्बू का पानी , नारियल का पानी , मौसमी का रस या अनार का रस आदि पीयें | इसके आलावा सेब , पपीता ओ केले जैसे फलों का सेवन करें |
सब्जियों में पालक , टमाटर , सलाद , फलियों , आलू , गाजर , चुकन्दर का अधिक सेवन करें |
रोजाना अखरोट की गिरी , पिस्ता , बादाम और किशमिश का सेवन करें |



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