आसान तरीके से करें मिर्गी जैसे बड़े रोग का उपचार |
मिर्गी का उपचार :- पुराने समय में
मिर्गी का कोई इलाज नही था | लेकिन आज के समय में विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है
कि उसने मिर्गी जैसे बड़े रोग का भी इलाज निकाल लिया है | जी हाँ मिर्गी कोई ला
इलाज रोग नही है | इसका इलाज संभव है | यदि आप मिर्गी एक रोगी का इलाज सही ढंग से
कराएं , तो इस बीमारी से मुक्ति पा सकते है | इस बीमारी के इलाज के लिए आपको धैर्य
और सहनशीलता से काम लेना पड़ेगा |
MIRGI KE ROG ka karan |
मिर्गी एक ऐसी बीमारी है | जिसे लेकर
लोग हमेशा चिंता में रहते है | परन्तु सच ये भी है रोग चाहे छोटा हो या बड़ा रोग तो
रोग ही होता है | जो मानव को परेशान करता है | इसलिए हमे कोई भी रोग होता है तो
उसे अनदेखा नही करना चाहिए | विशेष तौर पर मिर्गी जैसा बड़ा और घातक रोग | इस रोग के मामलें में हमे हमेशा
सतर्कता से काम लेना चाहिए | क्योंकि इस रोग से पीड़ित रोगी हमेशा एक ही बात से
परेशान रहते है कि वे दुसरे लोगों की तरह जीवन नही बिता सकते | इन रोगियों को कई
चीजों से परहेज करना पड़ता है | मुख्य रूप से अपने जीवन में कुछ परिवर्तन करने होंगे
| जिसमे रोगी को अकेले घर से जाना मुख्य विषय है | अब हम इस बात पर चर्चा करते है
कि मिर्गी का रोग आखिर क्या होता है |
हमारे शरीर के सभी कोष विधुत नाड़ियों
के जरिये आपस में सम्पर्क कायम करते है | मष्तिष्क के सारे कोष में एक विधुत का
प्रवाह होता है | परन्तु जब मष्तिष्क के अंदर कुछ असामन्य रूप से विधुत का प्रवाह
होने लगता है | तो व्यक्ति को विशेष प्रकार के झटके लगते है | इस झटके के कारण
रोगी कभी – कभी बेहोश भी हो जाता है | या कुछ मिनट तक हो सकता है कुछ घंटों तक उसके
उपर बेहोशी छाई रहती है | सबसे बड़ी हैरानी करने वाली एक बात है कि जब रोगी का दौरा
ठीक हो जाता है तो रोगी सामान्य हो जाता है | उस रोगी में थोड़ी सी भी कमजोरी का
बहाव नही होता |
दौरे पड़ सकते है |
मिर्गी का रोग व्यक्ति को किसी भी
उम्र में हो सकता है | छोटे बच्चे भी इस रोग का शिकार हो सकते है | परन्तु इस रोग
के कुछ कारण है | यदि किसी बच्चे को मिर्गी के दौरे पड़ते है तो उसके पीछे कोई बड़ा
कारण हो सकता है | पहला कारण यह है कि जब बच्चे का जन्म होता है और बच्चा कम से कम
दो या तीन तक ना रोयें तो उस बच्चे को बड़े होने के बाद इस समस्या का समाना करना पड़
सकता है | इस कारण के आलावा और एक कारण है | यदि बच्चे के शरीर का तापमान १०१ से
अधिक हो जाये | कहने का अर्थ है | कि किसी भी मनुष्य के शरीर का तापमान सामान्य
रहना चाहिए | यदि जरूरत से अधिक तापमान होता है तो उस व्यक्ति को रोगी बना सकता है
और उसे मिर्गी जैसी बड़ा रोग हो सकता है |
तीसरा कारण :- यदि किसी को सिर पर
गहरी चोट लग जाये | तो उस समय मिर्गी के दौरे पड़ सकते है | इसके आलावा सिर में ट्यूमर हो जाता है तो ऐसी
अवस्था में भी मिर्गी के दौरे पड़ सकते है | आखिर मे यह कहा जा सकता है कि जब किसी
शिशु और बच्चे को सिर से जुडी हुई कोई बीमारी है | तो उस अवस्था में भी मिर्गी का
रोग घेर लेता है | मिर्गी में रोगी को दौरे पड़ते है | और दौरे पड़ने से रोगी की
कैसी अवस्था हो जाती है | इस बात के बारे में केवल वो ही लोग जान सकते है | जिनके
घर में मिर्गी की बीमारी का कोई रोगी होता है | वो लोग जानते है कि रोगी के साथ
कितनी सावधानी बरतनी चाहिए | जिन लोगों को मिर्गी का रोग होता है , और उसे जब दौरा
पड़ता है तो उसे देखने वाला व्यक्ति भी डर जाता है | क्योंकि जब रोगी को दौरा पड़ता
है तो रोगी के मुंह से झाग निकलने लगता है और उसके शरीर अकड़ने लगता है | मिर्गी की
पूर्ण रूप से जानकारी ना होने के कारण लोग इसे नाजाने कितनी तरह की बीमारी बताने
लगते है | लेकिन हम आपको एक बात साफ – साफ बता रहे है, कि मिर्गी कोई मानसिक रोग
नही है | इसलिए रोगी को मानसिक रोगी समझने की भूल ना करें | और ना ही उसे इस बात
का एहसास होने दें | अन्यथा स्थिति और भी बिगड़ सकती है |
मिर्गी के प्रकार |
वैसे मिर्गी का रोग दो तरह का होता है
| आंशिक और पूर्ण |
आंशिक मिर्गी में :- इस तरह के रोग
में व्यक्ति के मष्तिष्क का एक भाग ज्यादा प्रभावित होता है |
पूर्ण मष्तिष्क रोग में :- इस तरह की
बीमारी में रोगी के मष्तिष्क के दोनों भाग प्रभावित होते है |
इन दोनों तरह के रोगों के लक्षण भी
अलग – अलग होते है | जब रोगी को मिर्गी के दौरे पड़ते है, तो कुछ मरीज बेहोश हो
जाते है | मिर्गी का रोग अधिकतर उन लोगों को परेशान करती है | जिनका भाग दौड़ भरा
जीवन होता है | उन लोगों को जरूरत से अधिक तनाव होता है , उनकी नींद पूरी नही होती
और शारीरिक कार्य क्षमता के अनुसार काम अधिक करना पड़ता है |
ऐसे में किसी भी
व्यक्ति को मिर्गी का रोग हो सकता है | लेकिन आज के समय में विज्ञान ने इतनी
तरक्की कर ली है कि उसने मिर्गी जैसे बड़े रोग का भी इलाज निकाल लिया है | जी हाँ
मिर्गी कोई ला इलाज रोग नही है | इसका इलाज संभव है | यदि आप मिर्गी एक रोगी का
इलाज सही ढंग से कराएं , तो इस बीमारी से मुक्ति पा सकते है | इस रोग का इलाज लगभग
3 से 5 साल तक चलता है | इस रोग के लिए आयुर्वेद में लगभग 15 से 20 दवाइयां उपलब्ध
है | जो किसी अच्छे चिकत्सक की देखरेख में रोगी की क्षमता और रोग के अनुसार दी
जाती है | यदि किसी एक दवाई से रोगी को आराम नही मिलता तो दूसरी दवाइयों का भी
उपयोग किया जाता है | जैसे ही दवाई अपना प्रभाव दिखाती है | वैसे – वैसे मरीज ठीक
होने लगता है |
जामुन के रस का सेवन करें |
शहतूत के जूस का सेवन करें |
मिर्गी का रोग बहुत ही घातक होता है |
यदि यह रोग किसी गर्भवती महिला को होता है, तो उन्हें और दुसरे रोगी की अपेक्षा
अधिक सावधानी से इस रोग का सामना करना पड़ता है | लेकिन माना जाता है कि मिर्गी की
अवस्था में गर्भ धारण करने में कोई परेशानी नही होती | क्योंकि इस बीमारी का
प्रभाव बच्चे पर नही पड़ता है | मिर्गी से पीड़ित गर्भवती महिला को लगातार जाँच
करवाने के लिए डॉक्टर के पास जाना चाहिए और उचित दवाइयों का सेवन करना चाहिए |
मिर्गी के रोग से पीड़ित लोगों को घर
से बाहर जाने के लिए कुछ बातो का अवश्य ध्यान रखना चाहिए | कि घर से बाहर जाने से
पहले अपना कोई आइडेंटी कार्ड अवश्य अपने पास रखें | और साथ ही साथ अपनी दवा का
विवरण भी | ताकि यदि आपकी बीच रस्ते में स्थिति बिगड़ जाती है | तो वह आपकी सहायता
कर सकता है | एक बात का और ध्यान रखें कि जिनके घर में मिर्गी का मरीज है , उसे
दौरा पड़ने के समय मरीज के हाथों में लोहे की कोई चीज पकड़ा दें या फिर जूता सुंघा
दें | ये उपाय को करने से वैसे तो कोई फर्क नही होता है | क्योंकि मिर्गी का दौरा लगभग
2 से 3 मिनट तक ही रहता है | इसलिए लोगों को यह लगता है कि उनके उपाय को करने से रोगी
ठीक हो गया है |
मिर्गी का रोग नाड़ी मंडल से जुड़ा हुआ
होता है | जो मष्तिष्क से भी जुड़ा हुआ है | जैसा कि आप जानते है कि मष्तिष्क में
विद्यत का प्रवाह होता है | और इसी के असामन्य प्रवाह के कारण इस रोग का जन्म होता
है | मिर्गी के रोग में जब रोगी को दौरा पड़ता है ,तो रोगी के मुंह से झाग आता है ,
इस रोग के अधिकतर रोगी बेहोश हो जाते है और आँखों की पुतलियाँ भी उल्ट जाती है | रोगी
को कोई होश नही होता | इसके आलावा शरीर में थोड़े से झटके आने शुरू हो जाते है | लेकिन
मिर्गी में झाग आना इस रोग का मुख्य कारण है |
पेठे का सेवन करें |
आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है
कि मिर्गी जैसी भयानक बीमारी से भी आप पीछा छुड़ा सकते है | लेकिन यह रोगी की हालत
पर और रोग के उपर निब्र करता है | यदि रोगी के जीवन शैली में भी कुछ बदलाव कर दे ,
तो इस रोग को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है | मिर्गी के रोगी के लिए उसके साथ
परिवार का होना बहुत जरूरी है | इन रोगियों को शांत और आरामदायक वातावरण में रहते
हुये , नियंत्रित भोजन की प्रणाली को अपनाना चाहिए |
रोगी को थोडा – थोडा भोजन कई बार करना
चाहिए | रोगी को कभी भी पेट भरकर भोजन नही करना चाहिए | भूख से थोडा कम ही खाएं |
मिर्गी के रोगी को एक सप्ताह में एक दिन फलाहार
करना चाहिए | इसके आलावा रोगी को हल्का – हल्का व्यायाम करना चाहिए |
तुलसी के पत्ते क उपयोग करें |
मिर्गी के रोगी का इलाज कैसे करें ;- मिर्गी
के रोगी को अंगूर के रस का सेवन करना चाहिए | यह रस का सेकन करने से रोगी को काफी
मदद मिलती है |रोजाना आधा किलो अंगूर का रस निकालकर सुबह के समय खाली पेट पीना
चाहिए | इस उपचार को कम से कम 6 महीने तक करने से लाभ मिलता है | मैग्नीशियम युक्त पानी से नहायें | इस उपाय को
करने से मिर्गी के दौरे में कमी आ जाती है | लेकिन भयंकर किस्म के दौरे नही पड़ते |
रोजाना विटामिन b6 का उपयोग करने से
लाभ मिलता है | इस तरह का विटामिन गाजर , चावल
मूंगफली , हरी पत्तेदार सब्जियां , दालों में पाया जाता है | एक दिन में कम
से कम 150 ग्राम से 200 ग्राम विटामिन b6 का सेवन करना चाहिए |
पालक का सेवन करें |
रोगी को मानसिक तनाव और शरीरिक मेहनत
करने से बचना चाहिए | यह रोगी के लिए हानिकारक होता है |
मिर्गी के रोगी को बकरी का दूध का
सेवन करना चाहिए | यदि दूध में मेहँदी के पत्तों को मिलाकर पीयें | इस उपाय को
लगभग दो सप्ताह तक करने से मिर्गी के दौरे कम हो जाते है | ये तरीका जरुर आजमायें
|
रोगी को तुलसी के पौधे की कुछ
पत्तियों को चबा –चबाकर खाने से रोगी के रोग कुछ हद तक ठीक हो जाते है |
निम्बू और हिंग का उपयोग करें |
मिर्गी के रोगी को पेठा देना चहिये | क्योंकि
पेठे में कुछ ऐसे तत्व होते है जो मष्तिष्क की नाड़ी के संचालन को सही करता है | इससे
रोगी की गम्भीरता में गिरावट आती है | इसके आलावा आप पेठे की सब्जी का भी इस्तेमाल
कर सकते है | परन्तु पेठे के जूस के सेवन से विशेषतौर पर लाभ मिलता है | यदि आप
इसके स्वाद को बदलना चाहते है तो इसमें मुलहटी या शक्कर डालकर पीयें | यह एक
चमत्कारी घरेलू उपाय है |
एक गिलास दूध में चार कली लहसुन की
डालकर उबाल लें | इस तरह से तैयार किये हुए दूध को रात को सोने से पहले पीयें | इस
उपाय को कुछ दिनों तक लगातार करने से लाभ मिलता है |
गाजर है लाभकारी |
गाय के दूध से तैयार किये मक्खन से आप
मिर्गी के रोग को कुछ हद तक कम कर सकते है | गाय के घी को लगभग 1० ग्राम की मात्रा
में खाएं |
तुलसी के पौधे की पत्तियों के साथ
कपूर को मिलाकर सूंघने से मिर्गी के रोगी को होश आ जाता है |
राई को पीसकर उसका बारीक़ चूर्ण बनाएं
| जब भी मिर्गी के रोगी को दौरा पड़ें | तो उसे ये सुंघा दें | इससे रोगी बेहोशी की
हालत से बाहर आ जाता है |
जो लोग मिर्गी के रोग से पीड़ित है ,
उन्हें शहतुत के रस का सेवन करना चाहिए | इसके आलावा आप सेब का जूस भी पी सकते है
|
तुलसी के पत्ते का उपयोग करें |
मिर्गी के रोगी को थोड़ी सी हिंग और
निम्बू के रस को एक साथ मिलाकर चुसना चाहिए | लाभ मिलता है |
तुलसी के पत्तों को पीसकर रोगी के शरीर पर लगाने से मिर्गी के रोग में
लाभ मिलता है | इसके आलावा तुलसी के पौधे की कुछ पत्तियों को तोडकर उसका रस निकाल
लें | इस रस में थोडा सा सेंधा नमक मिलाकर एक मिश्रण बनाएं | इस मिश्रण की एक या
दो बूंद को नाक में डालें | इस उपाय को करने से मिर्गी के रोग में लाभ मिलता है |
आक के पौधे के पत्ते |
मिर्गी के रोगी के तलवे पर आक के पौधे
के पत्ते की लगभग 8 से 10 बूंदों को शाम के समय मले | इस उपाय को करने से मिर्गी
के रोग को लाभ मिलता है| इस उपाय को कम स
एकम दो महीने तक करें |
आसान तरीके से करें मिर्गी जैसे बड़े
रोग का उपचार , Asaan Trike
Se Kren Mirgi Jaese Bade Rog Ka Upchar , Mirgi Aane Ka Karan , Mirgi Ke Doure
Pdne Se Kya Preshani Hoti Hai , Mirgi Ke Prakr , Mirgi Mein Kya Khayen Or Kin
Chijon Se Prhej Kren , |
No comments:
Post a Comment