सर्प दंश का उपचार कैसे करें ,Srp Dansh Ka Upchaar Kaese Kren |

सर्प दंश का उपचार कैसे करें
सर्प दंश का उपचार कैसे करें 
सर्प दंश :- सांप के काटने को सर्प दंश कहते है | पहले के समय में सांप के काटने पर लोग मर जाते है | क्योंकि लोगों को उस समय यह पता नही था कि सांप के काटने पर क्या करना चहिये और क्या नही करना चाहिए | यह बात बहुत ही कम लोग जानते है कि हर सांप जहरीला नही होता | क्या आप जानते है कि भारत में लगभग 5 से 6 किस्म के सांप पाए जाते है | जिसमे बहुत ही कम सांप जहरीले होते है | देखा गया है कि जब किसी व्यक्ति को सांप कटता है तो वह यह सोचता है कि सांप जहरीला है या नही इसी सोच के कारण वह इन्सान मर जाता है | उसके मरने की वजह दिल का दौरा भी हो सकता है |
सांप के काटने पर व्यक्ति को प्राथमिक उपचार जल्द से जल्द देना चाहिए | इसके लिए व्यक्ति को जिस स्थान पर सांप से काटा है उस स्थान से थोडा सा उपर से नीचे तक किसी रस्सी या किसी अन्य कपड़े से अच्छी तरह से कसकर बांध देना चहिये | ऐसा करने से खून का प्रवाह रुक जाता है | इसके बाद एक लोहे का चाकू लें | इसे लाल होने तक गर्म करें | जब चाकू लाल रंग का हो जाये तो चाकू से सांप के काटे हुए स्थान पर आधा इंच लम्बा और एक चौथाई इंच चौड़ा चीरा लगा दें | इससे खून बाहर निकल जायेगा | बाद इसके साबुन या नमक के पानी से चीरे को धो लें | यदि इसमें पोटाश परमेगनेट को भी मिला दिया जाये तो बेहतर होगा | इसके आलावा आप एक और उपाय कर सकते है | घर में पुरानी दीवार के चुने को खुरच कर चीरे से बने घाव को भर दें | प्राथमिक उपचार देने के बाद व्यक्ति को किसी आस- पास के अस्पताल में भर्ती करना चहिये | उसे उचित आराम देना चाहिए | सांप के काटे हुए स्थान पर किसी भी परिस्थिति में गर्म सेंक नही करना चाहिए | केवल बर्फ का ही उपयोग करें | सांप के काटने पर रोगी को घबराहट होने लगती है | इसके लिए उसे दवा दें | जिससे उसकी घबराहट दूर हो जाये | रोगी को केवल ठंडे पदाथों का ही सेवन करना चाहिए | अगर किसी कारणवश रोगी को साँस लेने में कठनाई हो तो उसे कृत्रिम साँस का सहारा लेना चाहिए | रोगी को चाय , दूध या कॉफ़ी का सेवन करा सकते है |सांप के काटे हुए व्यक्ति को कभी भी शर्ब या अन्य किसी प्रकार से नशे का इस्तेमाल नही करना चहिये | अगर किसी व्यक्ति को सांप ने काट लिया है तो उसे घबराना नही चाहिए | बल्कि थोडा सा सयंम रखना चाहिए | ताकि उसके दिल की धडकन तेज़ ना हों | क्योंकि जब सांप काटता है तो उसका जहर सीधे खून में जाकर खून में उपस्थित रक्त कणिकाओं को नष्ट करता है | ये दिल की गति तेज़ हो गई तो जहर जल्द ही खून के माध्यम से दिल तक जाकर उसे हानि पंहुचा सकता है |इसलिए सांप के काटने पर घबराना नही चाहिए और तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाएँ |
 Kobra Snake Ke Kaatne Ke Lakshan
 Kobra Snake Ke Kaatne Ke Lakshan
कोबरा सांप के काटने के लक्षण :- जब किसी व्यक्ति को कोबरा सांप काटता है तो काटा हुआ स्थान सूजने लगता है | यह कोबरा सांप के काटने का सबसे पहला लक्षण है | जिस स्थान पर कोबरा सांप ने काटा है उस स्थान पर दो मोटी सूई जैसे सुराख़ बन जाते है | यह सुराख़ कोबरा के दांतों के होते है | इसका प्राथमिक उपचार को करने के लिए नई बेल्ड से उस निशान पर चीरा लगायें |जब चीरा लग जाये तो उस स्थान पर दबा – दबाकर खून निकालें | इसके आलावा खून को चूस – चूसकर भी निकाल सकते है | लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि मुंह में कोई छाला और घाव नही होना चाहिए |      
इस सांप का जहर खून में जाने के बाद ही होता है | यदि किसी व्यक्ति को अल्सर का रोग मुंह में छाला आदि नही होता है तो वह इसके विष को बिना किसी नुकसान के पचा सकता है |
केरत सांप के कटाने पर :- यह सांप बहुत ही खतरनाक होता है | इस सांप के काटने पर कोई लक्षण सामने नही आते | केवल हल्की सी सुजन आती है | कोबरा और कैरेत सांप के जहर का प्रभाव बहुत ही नुकसान देने वाला होता है | यह भी माना जाता है कि सांप का जहर दिमाक और दिल या पुरे शरीर में जाने में कुल तीन से चार घंटे का समय लगता है | इसके बाद ही जहर का प्रभाव पूरे शरीर में होने लगता है | इसी समय के बीच आप किसी अच्छे डॉक्टर के पास जा सकते हैऔर यदि नही जा सकते तो घरेलू इलाज से इसके विष के प्रभाव को कम कर सकते है |इसके घरेलू इलाज इस प्रकार से है |
करैत सांप के जहर का प्रभाव
करैत सांप के जहर का प्रभाव
उपाय :- कोबरा या केरत सांप के काटने पर सबसे लगभग आधा कप घी पिलाकर रोगी को उल्टी कराने की कोशिश करें | यदि इससे उल्टी ना हो तो उसे 10 से 15 मिनट के बाद पानी को हल्का गर्म करके पिलायें | और इसके बाद उल्टी करवाएं | ऐसा करने से शरीर से विष या जहर बाहर निकल जाता है | या इसका प्रभाव कम हो जाता है |
तुअर दाल :- तुअर दाल नामक पौधे की जड़ को पीसकर रोगी को पिलायें | इसके पीने से जहर का प्रभाव कम हो जाता है | 
कंटोला :- इसका पौधा दो तरह का होता है | एक पौधें में फूल और फल दोनों उगते है और दुसरे में केवल फूल आता है | जिसमे केवल फूल आता है | उसे बाँझ कंटोला कहते है | कंटोला के पौधे की कंद को घिसकर उस स्थान पर लगायें जंहा सांपने काटा है | इस उपाय को करने से विष का प्रभाव कम हो जाता है |
लहसुन :- लहसुन हर घर में पाया जाता है | इसका उपयोग एक औषधि केरूप में भी किया जाता है | लहसुन को पीसकर उसका पेस्ट बना लें | और उस स्थान पर लगायें जंहा सांपने काटा है | इसके आलावा लहसुन के पेस्ट में थोडा सा शहद मिलाकर रोगी को खिला दें | इससे जहर का असर थोडा कम हो जाता है |  
सांप के काटने पर उसके जहर को खत्म करने के लिए कुछ आसान से उपाय :-  
पहला उपाय :- कोई भी एक चीज लोहे की ले | इसे आग पर लाल होने तक गर्म करें | अब इस लोहे की चीज को काटे हुए स्थान पर लगाकर जला दें | इस उपाय को करने से सांप को कटाने पर जो जहर चढ़ता है वह उतर जायेगा |  
दूसरा उपाय :- जिस स्थान पर सांप ने काटा है उस स्थान पर तुरंत चीरा लगाकर जहर वाले खून को बाहर निकाल दें | और उस चीरे में पोटेशियम परमेगनेट भर दें | ऐसा करने से जहर का प्रभाव पूरे शरीर में नही फैलता | इसके आलावा जहर चढ़ता भी नही है | मदनफल नामक औषधि के एक तोले चूर्ण को ठन्डे पानी के साथ पीला दें | इसे पीने के बाद रोगी को उल्टी होगी जिससे सांप का जहर शरीर से बाहर निकल जायेगा |
मिचाईकंद के टुकड़े को लें | इसे घिसकर सांप के काटे हुए रोगी को पिलायें और साथ ही साथ इसी के लेप को काटे हुए स्थान पर लगायें | इससे सांप का जहर कम हो जाता है |
तीसरा उपाय :- सांप के काटने पर जल्द से जल्द तुलसी का सेवन करना चाहिए | इससे जहर कम हो जाता है | और जान बचती है |
आक के पौधे के दुधका उपयोग
आक के पौधे के दुधका उपयोग  
जिस व्यक्ति को सांप ने काटा हो तो उस व्यक्ति को कडवे नीम के पत्ते खिलाएं | यदि रोगी को नीम के पत्ते का स्वाद कडवा ना लगे तो इसका अर्थ है कि जहर चढ़ा हुआ है |
कुछ लोग रोगी को इस तरह से पकड़े कि वह अपने हाथ और पैरों को ना हिला सके | इसके बाद पीपल के पेड़ के हरे चमकदार 20 से 25 पत्तों की डाली मंगवाकर उसके कम से कम दो पत्ते लें | इसके बाद एक मन्त्र का जाप करें | यह मन्त्र है :- सुपर्णा पक्षपातेन भूमि गच्छ महविष | इस मन्त्र का जाप करते हुए डंठल से निकलने वाले दूध को रोगी के सिर से कान पर डालें | यह दूध कान के पर्दे पास नही जाना चाहिए | नही तो कान का पर्दा ख्रराब हो सकता है | इससे मरीज को अधिक कष्ट होगा वह चिल्लाकर इन पत्तों को निकालने का प्रयेत्न करेगा |लेकिन उसे कसकर पकडकर रखें | जब तक मरीज चिल्लाना बंद ना करें तब तक हर दो मिनट के अंतर पर इस उपाय को करते रहे | जब सारा जहर पत्ते खीच लेटे है तो जहर पूरी तरह से उतर जायेगा और मरीज भी शांत हो जायेगा | यदि डंठल डालने पर मरीज शांत रहता है तो यह समझे कि जहर उतरा हुआ है | जब जहर उतर जाये तो पुष्टि केने के लिए रोगी को थोडा सा नमक खिलाएं | यदि नमक का स्वाद खारा लगे तो समझे जहर पूरी तरह से उतर गया है |
रोगी को ठीक करने के लिए और ताकत देने के लिए 100 ग्राम शुद्ध देशी घी में लगभग 10 नग काली मिर्च को पीसकर डाल दें | इस तरह से तैयार किये हुए मिश्रण को रोगी को पीला दें | और कानो के दर्द को ठीक करने के लिए कान में बिल्वादि तेल की कुछ बूंदों को डाल दें | इस तेल से काना नही पकता | मरीज को कम से कम 12 घंटे तक सोने ना दें और पीपल के जिन पत्तों का उपयोग किया था उसे जला दें या जमीन में गडडा खोदकर दाब दें | ताकि इन पत्तों को कोई भी जानवर ना खाएं | यदि कोई जानवर इसे खा जाता है तो वह मर जायेगा | इस उपचार को करने से सांप का काटा हुआ व्यक्ति मरते – मरते बच जाता है | चाहे वह व्यक्ति बेहोश हो गया हो या साँस नही चल पा रही हो इस उपयोग को एक बार अवश्य करके देंखे | हो सकता कि लाभ मिलें |
Rogi Ko Thik Krnr Ke Upay
Rogi Ko Thik Krnr Ke Upay 
 
जहर पीने पर उपचार करें :- चाहे कितना भी खरनाक जहर खाया हो | उसे नीम की पत्तियों का सेवन कराएं | इसके आलावा आप मद्न्फ्ल का चूर्ण , मुलहठी का बारीक़ पीसा हुआ चूर्ण , कडवी तुम्बी के गर्भ का चूर्ण और घोडेवज की एक तोले की मात्रा का रोगी को पिलाए | इससे रोगी को उल्टी होगी | रोगी को उस समय तक उल्टी करने दे जब तक उसके शरीर से नीले रंग का विष बाहर ना आ जाएँ |
क्या ये बात सच है कि सांप के काटने पर मन्त्र का उपयोग किया जाता है | आइयें जानते है कि इस बात में कितनी सच्चाई है |
पुराने समय में और आज के समय में गावं में यह कहा जाता है कि जब किसी व्यक्ति को कोई सांप या बिच्छू काटता है तो उसे जल्द से जल्द किसी तांत्रिक के पास या किसी भक्त के पास ले जाया जाता है | जंहा उसकी झाडफूंक कराई जाती है | और आश्यर्च की बात यह है कि वह व्यक्ति बिल्कुल ठीक हो जाता है | जिससे लोगों की नजर में तांत्रिक का स्थान ऊँचा हो जाता है | और लोग तांत्रिक की जय – जय करने लगते है| लोग दूर – दूर से सांप के काटने पर इलाज कराने के लिए तांत्रिक के पास आते है |
कई बार ऐसा होता है कि ओझा भक्त या तांत्रिक के झाडा लगाने के बाद भी सांप का काटा हुआ व्यक्ति नही बचता ऐसा किस लिए होता है | उसी तांत्रिक ने दुसरे किसी व्यक्ति की जाना बचाई थी लेकिन इस सांप के काटे हुए व्यक्ति को वह किस लिए नही बचा पाया | आखिर ऐसा किस कारण होता है | आइये जानते है |
इस बात को कोई नही झुठला सकता की मन्त्र में शक्ति नही होती | क्योंकि मन्त्रों में अपने आप ही वह शक्ति मौजूद होती है | जो हर मन्त्र में होती है | लेकिन इन मन्त्रों का उपोयग करने के लिए किसी साधक की जरूरत नही होती | सर्प दंश के मन्त्र से सांप का जहर कहने को तो उतर जाता है लेकिन वह शरीर से बाहर नही निकलता | इसका यह अर्थ है कि जहर को बेअसर कर दिया गया है | अर्थात निष्प्रभावी कर दिया गया है | जैसा की हमने पहले हीबताया है कि जहर शरीर से बाहर नही निकलता वह शरीर के अंदर खून में मिला रहता है | फिर भी इसका इलाज संभव है | 
पीपल के पत्ते से करते है तंत्रिक उपचार
पीपल के पत्ते से करते है तंत्रिक उपचार 
साँपों पर अध्यन करने से इस बात की पुष्टि हुई है कि लगभग 80 से 90 % साँपों में जहर नही होता है | और यदि होता है तो बहुत कम होता है | इन सांपो के काटने पर व्यक्ति की मौत नही होती बल्कि थोडा सा नशा चढ़ जाता है और सिर घुमने लगता है , चक्कर आता ई | लेकिन कुछ घंटों के बाद सांप के जहर का असर खत्म हो जाता है | इसके बाद व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है | लेकिन जब कोई सांप किसी व्यक्ति को अचानक काटता है तो व्यक्ति डर जाता है , उसे यह लगता है कि उसके शरीर में अब जहर फैल जायेगा | इसी डर के कारण व्यक्ति के हाथ – पैर डर से कांपने लगते है | बहुत से व्यक्ति ऐसे होते है जो इस डर के कारण बेहोश हो जाते है | इसी कारण से लोग सांप के काटे हुए व्यक्ति को झाड़फूंक करवाने के लिए तांत्रिक के पास ले जाते है | कुछ समय बाद जब जहर का प्रभाव खत्म हो जाता है तो उसे होश आ जाता है और व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है | सका कारण है कि व्यक्ति अपने आप ही स्वस्थ हुआ है न कि तांत्रिक की झाड़फूंक से | इसी से लोगों का अंधविश्वाश तांत्रिकों की और बढ़ जाता है | इसलिए जब किसी व्यक्ति को सांप ने काटा है तो सबसे पहले प्राथमिक चिकित्सा दे इसके बाद किसी अच्छे अस्पताल में ले जाकर इलाज करवाएं | ना की किसी भक्त या तंत्रिक के पास जाएँ |
यही बात बिच्छू के काटने पर भी लागू होती है | लेकिन बिच्छु के काटने पर किसी भी व्यक्ति की म्रत्यु नही होती | लेकिन जब बिच्छु किसी व्यक्ति को काटता है तो उसे बहुत दर्द होता है | बिच्छू का जहर शरीर में धीरे – धीरे फैलता है और अपने आप हु उतर जाता है |
बिच्छु के काटने पर उपचार
बिच्छु के काटने पर उपचार 
कई बिच्छू का जहर बहुत ही देरी से उतरता है लेकिन अपने आप ही उतर जाता है | परन्तु इस बात को कोई नही मानता | जिस व्यक्ति को बिच्छू ने काटा है , वह किसी तांत्रिक के पास जरुर जायेगा और घंटों तक झाड़फूंक करवाता है | अंत में जहर तो अपने आप ही उतरता है | लेकिन इसमें भी तांत्रिक का ही नाम आता है कि तांत्रिक ने अपने जादू से जहर को उतारा है |
आयुर्वेद में सर्पदंश का इलाज :- आयुर्वेद में प्राचीन समय से ऐसे हजारों जडीबुटी का नाम है जिसके माध्यम से सांप के जहर को उतार सकते है | ऐसी ही कुछ जडीबुटी  के बारे में हम आपको बता रहे है |
निर्विषी :- निर्विषी नामक जडीबुटी को बारीक़ पीसकर चूर्ण बना लें | इस तैयार चूर्ण की एक – एक चम्मच की मात्रा को पानी के साथ रोगी को पिलायें | इस उपाय को हर एक घंटे में करें | इस जडीबुटी को रोगी को देने से कुछ ही देर में सांप का विष उतर जायेगा और व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है |
कुचला :- कुचला नमक औषधि को बारीक़ पीसकर चूर्ण बनाएं | इस चूर्ण की 2 रती की मात्रा को पानी के साथ मिलाकर रोगी को पिलायें | इसके आलावा इक चूर्ण का एक तोला लेकर पानी में घोलकर एक लेप बनायें | इस लेप को उस स्थान पर लगायें जिस स्थान पर सांप ने काटा हो | इस उपाय को करने से सांप के काटे हुए बेहोश व्यक्ति को भी होश आ जाता है | और वह स्वस्थ हो जाता है | यदि व्य्र्की की स्थिति गंभीर है तो उसे कुचला के 5 से 6 रती के चूर्ण को निम्बू में मिलाकर व्यक्ति के मुंह में एक – एक बूंद टपका -  टपका कर डालें | इस उपाय से रोगी का शरीर जहर से मुक्त हो जायेगा और व्यक्ति स्वस्थ हो जायेगा |
अंकोल :- अंकोल नामक औषधि की जड़ लें | इसे पीसकर बारीक़ चूर्ण बनाएं | इस तैयार चूर्ण की एक – एक तोला यदि व्यक्ति को पिलाते है तो उल्टी के माध्यम से सारा जहर शरीर से बाहर निकल जाता है | जब जहर शरीर से बाहर निकल जाता है तो व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है |
अकान , आक या मदार का पौधा :- जिस स्थान पर सांप ने काटा है उस स्थान पर आक के पौधे की पत्ती को तोडकर उसमे से निकलने वाले दूध को टपकायें | कुछ ही समय में दूध का रंग जहर के कारण काला हो जाता है | इसके बाद इस काले दूध को पोछकर उस स्थान पर फिर से पत्ती का ताज़ा दूध भर दें |और काला होने पर दूध को पोछे | इस उपाय को उस समय तक जब तक कि दूध का रंग सफेद ना आ जाएँ | जब दूध का रंग सफेद रह जाता है तो समझे कि जहर उतर गया है |
द्रोणी पुष्पि :- द्रोणी पुष्पि के रस में थोड़ी सी काली मिर्च पीसकर एक मिश्रण बनाएं | इस मिश्रण की दो – दो तोले की मात्रा को रोगी के कान , नाक और आंख में डालें  | इस उपाय को करने से व्यक्ति को जल्द से जल्द आराम मिलता है |
ये कुछ जडीबुटी है जिनका उपयोग सांप के जहर को उतारने के लिए प्रयोग किया जाता है | ऐसे ही और भी जडीबुटीयां है | जिसके उपयोग से हम सांप के जहर को उतार सकते है | परन्तु आज के समय में लोग जडीबुटी पर कम विश्वाश करते है और तांत्रिक भक्त , ओझा पर अधिक विश्वाश करते है | यह एक मुर्ख और बुधिहीन व्यक्ति की पहचान होती है | यदि हमे सांप के काटे हुए व्यक्ति की जान बचानी है तो हमे उसे जडीबुटी देनी चहिये या प्राथमिक चिकत्सा देकर किसी अच्छे डॉक्टर के पास इलाज करवाना चाहिए |
ओंकल के बीज का उपयोग
ओंकल के बीज का उपयोग 
सांप के काटने पर काया नही करना चाहिए |
किसी व्यक्ति को सांप ने काटा है तो उस सांप को बिल्कुल भी ना ढूंढे | इससे सांप भडक जायेगा और वह और दुसरे व्यक्ति को भी शिकार बना लेता है |
किसी व्यक्ति को सांप  ने काटा है तो झाडफूंक और आयुर्वेदिक जडीबुटी के चक्कर में अपना समय बर्बाद ना करें | क्योंकि सांप के काटे हुए व्यक्ति के इलाज में कोई देरी नही करनी चाहिए | यदि थोड़ी सी भी डरे हो गई तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है | 
सांप के काटे हुए व्यक्ति को यदि सिर में दर्द होता हो तो उस समय रोगी को किसी प्रकार की दवाई ना दें | और ना ही कोई घरेलू नुस्खा आजमायें | यह उसके लिए खतरनाक हो सकता है |  
इन सभी सावधानियों को बरतें और रोगी को किसी अच्छे अस्पताल में ले जाकर इलाज शुरू करवाएं | इसी से व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है | 



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