Lahsun Ki Kheti Karne ka Tarika |
लहसुन की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु और भूमि :- लहसुन
की खेती बहुत से किस्म की भूमि में की जाती है लेकिन जिस भूमि पर पानी की निकासी
का प्रबन्ध सुविधाजनक होता है वह भूमि लहसुन की खेती के लिए अति लाभदायक होती है |
रेतीली दोमट मिटटी जिस में जैविक पदार्थो की मात्रा अधिक पाई जाती हो उस भूमि में
लहसुन की पैदावार अधिक होती है | लहसुन की फसलो के लिए हल्की मध्यम ठण्ड अच्छी
होती है | इसके साथ – साथ भूमि का पीएच मान 5 से 7 के बीच का होना चाहिए | इस भूमि
पर लहसुन उगाने पर इसकी गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है |
लहसुन की गांठ |
लहसुन की कुछ उन्नत किस्म की फसलें निम्नलिखित है |
जी 1 :- लहसुन की इस किस्म में गांठ का रंग सफेद होता है |
इसका आकार ना ज्यादा छोटा और ना ही ज्यादा बड़ा होता है यानी यह मध्यम आकार का
सुगठित होता है | इस किस्म की हर एक गांठ में लगभग 15 से 20 कलियाँ पाई जाती है |
लहसुन की यह किस्म 160 से 170 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसकी पैदावार एक
एकड़ में कम से कम 45 किवंटल की होती है | यह सबसे अच्छी किस्म मानी जाती है |
एजी 17 :- लहसुन की इस किस्म में गांठ का रंग सफेद और
सुगठित होता है | हर एक गांठ में कम से कम 20 से 25 कलियाँ पाई जाती है | इसकी एक
गांठ का वजन 30 ग्राम का होता है | एजी 17 की किस्म बोने के बाद कम से कम 170 दिनों में पककर तैयार हो जाती है
| लहसुन की यह किस्म हरियाणा में अधिक बोई जाती है | इसकी पैदावार एक एकड़ में लगभग
50 से 55 किवंटल की होती है | लहसुन की इस किस्म में आमदनी अधिक होती है |
लहसुन की खेती
करने का समय :- लहसुन को ना ज्यादा ठण्ड में बोया जाता है और ना ही ज्यादा गर्मी
में | इसे सितम्बर के महीने के आखिरी में या अक्तूबर के शुरू होते ही बोये | यह
समय इसकी बुआई का अच्छा माना जाता है |
लहसुन को उगाने का तरीका |
लहसुन की फसल
उगाने के लिए खेत को किस प्रकार से तैयार करें :-
जिस भूमि में फसल उगानी हो उसे कम से कम 2 या 3 गहरी जुताई करें और बाद में
खेत को एक बराबर करके क्यारियाँ बना लें और साथ ही साथ सिचाई करने के लिए नालियाँ
भी बना लें |
लहसुन की खेती
में बीज की मात्रा :- लहसुन की खेती में
लहसुन की कलियों का उपयोग किया जाता है | इसकी ज्यादा उपज के लिए कम से कम 1 से 2
किवंटल अच्छी और स्वस्थ कलियों को एक एकड़ भूमि पर लगायें | इन कलियों का व्यास कम
से कम 7 – 10 मिली मीटर का होना चाहिए | इन्हें कतारों में बोयें |
लहसुन को बोने
की विधि अथवा तरीका :- लहसुन को क्यारियाँ
बनाकर एक लाइन में बोना चाहिए | लहसुन को बोते समय इस बात का ध्यान रखे की कलियों
का नुकीला हिस्सा उपर की और उठा हुआ होना चाहिए | इसकी आपस की दुरी कम से कम 15
सेंटीमीटर होनी चाहिए | जब लहसुन की कलियों को बोये तो इसे 2 से 3 सेंटीमीटर मिटटी
की तह से ढक दें | ताकि अंकुरण अच्छी प्रकार से हो |
लहसुन की उन्नत किस्म |
लहसुन की खेती
में प्रयोग की जाने वाली खाद और उर्वरक :- इसकी खेती में कम से कम 15 से 20 टन सड़े
हुए गोबर की खाद का प्रयोग करना चहिये | इसके आलावा 20 किलो फास्फोरस , 20 किलो
नाइट्रोजन और कम से कम 20 किलो पोटाश की मात्रा को आपस में मिलाकर लहसुन की रोपाई
से पहले और अंतिम जुताई के समय मिटटी में अच्छी प्रकार से मिला दें | लहसुन की
बिजाई के कम से कम एक महीने बाद 20 किलोग्राम नाइट्रोजन का खेत में छिडकाव करें |
सिंचाई :- लहसुन
की अच्छी पैदावार और अच्छे विकास के लिए इसकी सिंचाई गर्मी के मौसम में कम से कम
एक सप्ताह के अंदर करनी चाहिए और सर्दी के मौसम में एक महीने में कम से कम दो बार
अवश्य करें | इसकी खेती में पानी का निकास अच्छी तरीके से होना चाहिए |
लहसुन की रोगग्रस्त फसल |
खरपतवार पर
नियन्त्र्ण के तरीके:- लहसुन की जड़ भूमि के अंदर बहुत ही कम गहराई में होती है |
इसलिए इस पर छोटे – छोटे खरपतवार बहुत जल्द निकल जाते है | इसकी रोकथाम के लिए हमे
2 या 3 बार खुरपी से उथल – उथल के निराई करनी चाहिए | इसके आलावा लहसुन को बोने से
पहले खेत में फ्लुक्लोरिन की 400 से 600 ग्राम की मात्रा को 250 लीटर पानी में घोल
कर इसका छिडकाव करें | इस दवा को कम से कम एक एकड़ भूमि पर प्रयोग करें |
पेंडीमेथालिन नामक दवा को २५० लिटर पानी में मिलाकर भी छिडकाव किया जा सकता है |
लहसुन को बोने के लगभग 10 दिन के बाद जब इसके पौधे जमीन के अंदर व्यवस्थित हो जाये
और छोटे – छोटे खरपतवार उग जाये तो इस दवा का छिडकाव करके आप उगे हुए खरपतवार को
नष्ट कर सकते है | और अपनी फसल को नुकसान से बचा सकते है |
फसल तैयार होने के बाद कटाई |
फसल तैयार होने
के बाद कटाई :- जब लहसुन के पौधे की पत्तियाँ सुखकर पीले रंग की हो जाये तो समझो
की आपकी फसल तैयार है फिर इसकी सिंची करना बंद कर दें | फसल पकने के समय जमीन में नमी नहीं रहनी चाहिए
| नहीं तो पत्तियाँ दोबारा बढ़ने लगती है | और कलियों में अंकुरण आरम्भ हो जाता है
| जिसके कारण लहसुन का भण्डारण प्रभावित हो जाता है | इसलिए कुछ दिन पहले ही
सिंचाई बंद कर दें | इसके कुछ दिनों के बाद इसकी खुदाई करना शुरू कर दें | जब सारे
लहसुन की खुदाई हो जाये तो इनकी गांठो को 4 या 5 दिनों तक छाया में सुखाएं |
सुखाने के बाद इसकी पत्तियों को 3 सेंटीमीटर छोडकर काट दें | अब इन सभी की २५ – २५
गांठो की गुछियाँ ( लच्छा ) बना लें | इन
सभी लच्छो को भंडारण के लिए रख दें |
लहसुन के भण्डारण |
लहसुन के भण्डारण के लिए :- जिस स्थान पर लहसुन का भण्डारण
किया जा रहा हो वह स्थान सुखा और हवादार होना चाहिए | लहसुन की गुछियाँ बनाकर
बोरियो में भरकर या किसी लकड़ी से बनी हुई
पेटियो में रख सकते है | इसका भंडारण ०.2 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर कम से कम 4
से 5 महीने तक रख सकते है |
लहसुन की पैदावार :- इस फसल की पैदावार की उपज 5 से 8 टन
प्रति एक ह्येक्टर की हो सकती है|
रोगग्रस्त लहसुन |
लहसुन की फसल के रोग और उसके लक्षण :- लहसुन की फसल पर
ज्यादातर बैगनी रंग के धब्बे हो जाते है | जब इसका कुप्रभाव ज्यादा बढ़ जाता है तो
इसकी पत्तियों पर जमुनी या गहरे भूरे धब्बे बनने लगते है | जिसके कारण लहसुन के
पौधे की पत्तियाँ नीचे गिरने लगती है | जब मौसम में ज्यादा आद्रता और तापमान बढ़
जाता है तो इस बीमारी का प्रभाव बढ़ जाता है | इस बीमारी को रोकने के लिए इंडोफिल
एम् 45 या कोपर ओक्सिक्लोराइड की 400 से 600 ग्राम की मात्रा को 250 से 500 लीटर
पानी में घोलकर प्रति एक एकड़ भूमि पर छिड़क दें | इस दवा के साथ किसी चिपकने वाले
पदार्थ को मिलाकर एक महीने में दो बार छिडकाव करें |
( चिपकने वाले पदार्थ :- सैल्वेत 99 , 10 ग्राम ट्र्रीटान
की 50 मिलीलीटर की मात्रा को एक एकड़ में प्रयोग करे | )
लहसुन की उन्नत
खेती करने का तरीका, Lahsun
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Kheti Karne ka Tarika, Lahsun
ki Fasal
Ke Liye Upyukt Bhumi or Jalvayu , Lahsun ki Fasal Mein Kharpatvar Ko kaese
roken,Lahsun Ki Fasl ko Keeton Se Bachayen
लहसुन की खेती पर बहुत अच्छी जानकारी
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