Anar ki kheti krne ka trika ,अनार की खेती करने का तरीका |



Anar ki kheti krne ka trika
Anar ki kheti krne ka trika 

अनार की खेती करने का तरीका :- अनार एक स्वादिस्ट और शरीर के लिए एक लाभकारी फल है | अनार खाने से मनुष्य के शरीर के खून में वृद्धि होती है | तो आज हम अनार की खेती कैसे करते है इस बात की जानकरी आपको दे रहे है | अनार का पौधा लगाने के कम से कम तीन या चार बाद पेड़ बनकर फल देने लगता है | इसका एक पेड़ लगभग 25 साल तक फल देता है | अनार की प्रति हेक्टयर उत्पादकता बढ़ाने के लिए अगर दो पौधे के बीच की दुरी कम कर दें तो इसकी पैदावार पर कोई असर नहीं होगा | परन्तु ज्यादा पेड़ होने के कारण इसका उत्पादन प्रति हेक्टयर लगभग 1.5 ( डेढ़ ) गुना बढ़ जाता है | अगर हम अनार को परम्परागत तरीके से बोते है तो प्रति हेक्टयर में कम से कम 400 पौधे ही लग पाते है | लेकिन यदि अनार की रोपाई में दुरी को कम कर दिया जाये तो 400 पेड़ की जगह पर 600 पेड़ लगाकर इसकी पैदावार को बढ़ा सकते है | ऐसा करने से इस पौधे के बढ़ने और फलने – फूलने पर कोई असर नहीं होता |
Anar Ki Kheti Se Prapt Upaj
Anar Ki Kheti Se Prapt Upaj
अनार के एक पेड़ से हम कितने फल प्राप्त कर सकते है :- अनार का एक पौधा एक सीजन में कम से कम 80 किलोग्राम फल देता है | यदि इसके बीच की दुरी को कम कर दिया जाये और 400 पेड़ की जगह पर 600 पेड़ लगाये जाये तो इसकी पैदावार प्रति हेक्टयर 4800 किवंटल हो जाती है | इस हिसाब से एक साल में एक हेक्टयर से लगभग 8 से 10 लाख तक की कमाई हो जाती है | अनार की खेती करने में जो लागत लगती है उसे छोडकर भी हमे अच्छा लाभ मिलता है | यदि हम नई तकनीक का उपयोग करते है तो इसकी खाद और उर्वरक की लागत में कुल 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी होती है | साथ ही साथ अनार की पैदावार 50 फीसदी बढ़ जाती है और नुकसान से भी बचा जा सकता है | नई विधि के उपयोग से पौधे के बीच की दूरी कम होने के कारण तेज धूप और ठण्ड दोनों से पौधे का बचाव हो जाता है | इसके साथ ही साथ पक्षियों से होने वाला नुकसान भी कम हो जाता है | भारत के राज्यस्थान के कुछ किसानो ने इस नई तकनीक का उपयोग किया है और इसके फायदे भी उठाये है | इस उपाय से किसानो को बहुत लाभ मिला है |  
Anar Ko Bone Ka Sahi Smay Or Trika,
Anar Ko Bone Ka Sahi Smay Or Trika, 
अनार के पौधे लगाने का उचित समय मार्च या फरवरी या अगस्त का होता है | खरीफ के सीजन के समय में अनार के पौधे की रोपाई करते है तो अनार की रोपाई के बाद लगभग 3 या 4 साल बाद पेड़ फल देना शुरू कर देता है | अगस्त के महीने में अनार के पौधे की रोपाई करते है तो इसकी रोपाई के चार साल बाद की पौधा फल देने लगता है | इसकी खेती में अगर हम एक बार आमदनी लगाते है तो हमे कई सालों तक लाभ मिलता रह्र्ता है |
अनार की खेती में प्रयोग होने वाली खाद :- अनार के पौधे से जून या जुलाई के महीने में फल लेने के लिए जून के महीने में 3 साल के पौधे में 150 ग्राम यूरिया लगता है | इसके आलावा चार साल के पौधे में 200 ग्राम और पांच साल के पौधे में कम से कम २५० ग्राम यूरिया डालकर पौधे की सिंचाई करनी चाहिए | इतनी मात्रा केवल एक अनार के पौधे के लिए है | अनार के छोटे – छोटे पौधे में भी जून के महीने में ही यूरिया का प्रयोग कर सकते है | छोटा पौधा यदि एक साल का है तो उसके लिए 50 ग्राम यूरिया और यदि दो साल का है तो 100 ग्राम यूरिया प्रति एक पौधा में डालकर सिंचाई करें | जुलाई और अगस्त में जब अनार से फल प्राप्त होता है तो उस समय बाजार का मूल्य भी ठीक रहता है और उपज भी प्राप्त होती है |
रोगों से बचाने का तरीका
रोगों से बचाने का तरीका
अनार के पौधे को रोगों से बचाने का तरीका :- अनार के फल में छेद होने के खतरे के साथ – साथ पौधे को सडाने वाले कीड़े भी लग जाते है | इसे दूर करने के लिए हमे कीटनाशक दवा का छिडकाव करना चाहिए | दवा के आलावा हमे पौधे के आस – पास सफ़ाई करने से भी हानिकारक कीड़ो से बचा जा सकता है | अनार के पौधे के लिए गर्मियों का मौसम ठीक रहता है लेकिन सर्दियों के मौसम में इन पौधे को बचाने के लिए गंधक का तेज़ाब छिडकते रहना चाहिए | यदि अनार के पौधे में नियमित रूप से पानी डाला जाता है तो ये सर्दी के प्रकोप से बच जाते है | सर्दी के मौसम में फलों के फटने का डर ज्यादा रहता है | इसी कारण हमे पौधे को सर्दी से बचाना चाहिए ताकि हमे अच्छी उपज प्राप्त हो सके | किसान इसी प्रकार से खरीफ की और दूसरी  फसल के साथ अनार के पेड़ लगाकर भी एक अच्छी इनकम ( कमाई , आमदनी ) प्राप्त कर सकते है |
अनार के पौधे की रोपाई का उचित समय :-  अनार के पौधे को अगस्त या फरवरी – मार्च के महीने में लगाना चाहिए |  यह समय इसकी रोपाई का उपयुक्त होता है | यदि किसान अगस्त के महीने में अनार का पौधा लगाता है तो वह पौधा 3 या 4 साल बाद पेड़ बनकर फल देने लगता है | अनार की खेती में एक बार निवेश करने पर किसानो को कई सालों तक अच्छा लाभ मिलता है | आजकल अनार की खेती करने का एक नया तरीका है जिसे अपनाकर आमदनी को कई गुना बढ़ा सकते है |
पौधे की रोपाई में दुरी का ध्यान
पौधे की रोपाई में दुरी का ध्यान 
अनार के पौधे की रोपाई करते समय इनमे दूरी :- अनार के पौधे की पैदावार को बढ़ाने के लिए दो पौधे के बीच की दूरी को कम के दिया जाता है  | इससे पौधे के फलने – फूलने पर कोई असर नहीं पड़ता और अनार की उपज में भी कम से कम डेढ़ गुना बढ़ोतरी होती है | अनार के एक पौधे को लगभग 5 मीटर की लम्बाई और 5 मीटर की चौड़ाई के हिस्से की जमीन पर लगाया जाता है | पौधे को नई तकनीक के द्वारा बोया जाता है तो  इनके बीच की दूरी कम हो  जाती है जिसके कारण पौधे को तेज गर्मी और धूप से बचाव होता है साथ ही साथ ज्यादा ठण्ड और कोहरे के कारण होने वाले नुकसान से भी इन्हें बचाया जा सकता है | गर्मियों के मौसम में छोटे  पौधो को पक्षियों से बचाने के आवश्कता पड़ती है | जब अनार का पौधा बढ़कर 2 फूट ऊँचा हो जाये तो इसे नेट से ढकना चाहिए | अनार के पौधे  की बीच की दूरी कम होने के कारण पक्षियों के द्वारा फलों को होने वाला नुकसान भी कम हो जाता है | इस नई  अनुसन्धान ( नई तकनीक ) को अपनाकर किसानो को बहुत लाभ मिला है | पुराने तरीके से अनार के पौधे की रोपाई करने पर प्रति हेक्टयर में कुल 400 पौधे ही लग पाते है | लेकिन नए तरीके के अनुसार पौधे की रोपाई करते है तो प्रति हेक्टयर 600 अनार के पौधे लगाये जाते है | इस प्रकार से रोपाई करने पर पौधों के फलने – फूलने पर किसी भी प्रकार का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता | इसके साथ ही साथ उपज में भी बढ़ोतरी होती है | अनार के एक पौधे से एक सीजन में लगभग अस्सी किलो तक के फल मिल जाते है |
स्वस्थ अनार
स्वस्थ अनार 
यदि किसान पुराना तरीका अपनाकर अनार की खेती करता है तो उसे एक हेक्टयर में केवल ३२०० किवंटल ही फक प्राप्त होंगे जबकि नया तरीका अपनाकर पौधे के बीच की दुरी को कम करके किसान ३२०० किवंटल के स्थान पर 4800 किवंटल अनार के फल प्राप्त कर सकता है | इस तरीके से किसान अपनी खेती पर एक बार आमदनी लगाकर कई वर्षो तक अच्छा कारोबार करके लाभ प्राप्त कर सकते है | 


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