कब्ज निवारण व्यायाम | Kabj Rog

कब्ज निवारण हेतु – व्यायाम

हम सभी जानते है व्यायाम हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक है, ऐसे ही कब्ज जैसी बीमारी को दूर करने के लिए इन आसनों का प्रयोग कर कब्ज को दूर किया जा सकता है व्यायाम से मनुष्य की पाचन क्रिया भी ठीक ढंग से काम करने लगती है, इन आसनों के करने से सांस और ध्यान के कारण इन आसनों का प्रभाव हमारे पूरे शरीर पर होता है इससे मनुष्य का बढ़ा हुआ पेट कम हो जाता है तथा शौच से जुडी सभी क्रियायें स्वभावितः व सामान्य होने लगती हैं |

इन आसनों को करने से पहले हमें ये ध्यान रखना चाहिये कि हमारा पेट बिल्कुल खाली होना चाहिए अर्थात् बिना कुछ खाए-पिए सुबह या शाम करने से अधिक लाभ मिलता है, इनका अभ्यास हमें धीरे-धीरे ही बढ़ाना चाहिए |

कब्ज निवारण व्यायाम
कब्ज निवारण व्यायाम
पहला चरण

 सीधे खडें होकर अपने दोनों हाथ जांघों के पास रखें थोड़े से घुटने मोड़ ले तथा ये ध्यान रखें कि पैरों की एडियां आपस में नजदीक रहे और पंजे खुले रहें.

विधि- अपनी नाक से लम्बी सांस लेते हुए पेट में जितनी सांस भर सकते हो भर ले, अपने सामर्थ्य के अनुसार सांस को पेट में ही रोक कर रखें और धीरे- धीरे अपनी नाक के द्वारा सांस को पेट से बाहर निकाल दें तथा इस क्रिया को ४ से ५ बार से ज्यादा न करें.

दूसरा चरण

 सीधे खड़े होकर अपने दोनों पैरों की एडियाँ मिलाकर रखें, व अपनी ठोड़ी को २ से ३ सेंटीमीटर ऊँची रखें.

विधि – अपनी नाक से जल्दी-जल्दी पेट में सांस भरें और बाहर निकालें, सांस भरते समय अपने पेट को फुलाएं व सांस को बाहर निकालते समय अपने पेट को बिल्कुल सिकोड़ लें, सांस भरने व निकालने की क्रिया रोजाना नियम के अनुसार ही करें.

तीसरा चरण – 

व्यक्ति को बिल्कुल सीधे खड़े होकर अपने सिर को पीछे की तरफ जितना हो सके उतना झुकायें.

विधि – व्यक्ति अपनी नाक से जल्दी – जल्दी पेट में सांस भरें और बाहर निकाल दें, सांस को भरते समय अपने पेट को पूरा फुलायें और निकालते समय पेट को बिल्कुल सिकोड़ लें, यह क्रिया २० से २५ बार से ज्यादा नहीं करनी चाहिए.

चौंथा चरण

 व्यक्ति सीधे खड़े होकर, अपनी दृष्टि सामने जमीन पर १ से २ मीटर की दूरी पर किसी निशान पर फोकस करें.

विधि – इस व्यायाम को करते समय व्यक्ति अपनी नाक से जल्दी – जल्दी सांस लें और निकालें तथा सांस लेते समय पेट को फुलायें और निकालते समय पेट को सिकोड़ लें, इस क्रिया को २०-२५ बार से ज्यादा न करें.

पाचवाँ चरण

 व्यक्ति अपनी एडियां मिलाकर सीधे खड़े हों जाये व अपने हाथ नीचे की ओर जांघों के पास सीधे रखें.

विधि – अपने गालों को फुलाकर हवा को अन्दर भरें, अपनी ठोड़ी को हवा से भरे हुए ही इतना झुकायें कि वह छाती की हड्डी को छूने लगे, सांस अन्दर की तरफ रोकते हुए अपनी आखों को बन्द कर ले और धीरे-धीरे बिना आवाज किये हुए अपनी नाक से सांस बाहर निकालें, शुरू-शुरू में यह क्रिया ४-५ बार से ज्यादा न करें.

kabj rog ka upchaar
kabj rog ka upchaar or yogasan
छठां चरण – 

इस व्यायाम को करने से पहले व्यक्ति बिल्कुल सीधा खड़ा हो जाए और आसन शुरू करते समय व्यक्ति अपने दोनों हाथ कमर पर व दोनों अगूंठों को आगे निकालकर रखें, तथा हाथ कमर पर रखकर शरीर के ऊपर वाले हिस्से को आगे को ओर कोण ६० अंश की तरह झुकायें.
विधि – अपनी नाक से सांस को पेट के अन्दर भरें और बाहर निकल दें, सांस लेते समय अपने पेट को फुलायें और बाहर निकालते समय पेट को सिकोड़ लें, यह क्रिया शुरू में ८-१० बार से ज्यादा न करें.

सातवाँ चरण – 

इस आसन को करने से पहले व्यक्ति बिल्कुल सीधा तन कर खड़ा हो जाये और आसन शुरू करते समय दोनों हाथ कमर पर और अंगूठे को आगे रखें तथा हाथ कमर पर रखकर शरीर के उपरी हिस्से का झुकाव आगे की ओर ९० डिग्री तक होना चाहिये.

विधि – अपनी नाक के द्वारा सांस पेट के अन्दर भरें और बाहर निकालें, सांस लेते समय अपने पेट को पूरा फुलाए और सांस धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए अपने पेट को अन्दर की ओर सिकोड़ लें, तथा यह क्रिया ८-१० बार से ज्यादा न करें.
नौली क्रिया कब्ज का निवारण
नौली क्रिया कब्ज का निवारण 
आठवाँ चरण

 इस आसन की क्रिया को नौली भी कहते हैं, इस आसन में सीधे होकर, फिर ९० डिग्री की तरह आगे की और झुककर दोनों हाथ अपने घुटनों पर रखें.

विधि – इस व्यायाम को करने से पहले अपने दोनों हाथ घुटनों पर इस तरह से रखे की व्यायाम करते समय आपके हाथ ढीलें न पड़े तथा पेट में भरी हुई सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए अपने पेट को अंदर की ओर सिकोड़ ले और अपने पेट को इधर-उधर अर्थात् दायें से बायें घुमाने की कोशिश करें.

इस व्यायाम को करने से बहुत से लाभ होते है जैसे भूख लगना, शरीर फुर्तीला होना, रक्त की रफ्तार बढ़ना, पाचन ग्रन्थियों की शक्ति में वृद्धि होना, फुला हुआ पेट का कम होना और अनेक बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए इसी व्यायाम का प्रयोग किया जाता है, इस व्यायाम का सम्बन्ध मनुष्य की बड़ी आंत से होता है इसलिए अपने शरीर को फुर्तीला व सुंदर बनाने के लिए ये आसन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.

नौवा चरण – 

इस व्यायाम को करते समय यह ध्यान रखें कि जिस जगह हमें व्यायाम करना है वो जगह समतल होनी चाहिये तथा समतल जगह पर चटाई या कम्बल बिछाकर पीठ के बल लटें, तथा अपने घुटनों को समेट कर अथवा मोड़ कर, अपने जांघों और पिण्डलियों को आपस में मिलाये और अपनी एडियों को नितम्बों से मिला लें.
विधि – अपने दोनों हाथों को पेट से सटाकर हल्के हाथ से पेट को धीरे-धीरे दबाते हुए सांस को बाहर निकालें व अंदर करें अथवा सांस बाहर निकालने के तुरंत बाद उतनी ही सांस अंदर की ओर खीच लें यह प्रक्रिया ५ से १० बार तक ही करें.
कब्ज के लिए घरेलु योग क्रिया
कब्ज के लिए घरेलु योग क्रिया 

दसवाँ चरण

 इस चरण को करने से पहले समतल जमीन पर कम्बल या चादर बिछाकर पीठ के बल लेट जायें तथा अपने घुटनों को मोड़कर एडियों को नितम्बों के नजदीक लाए और अपने दोनों हाथों को शरीर से सटाए तथा अपनी हथेलियाँ जमीन के समीप इस तरह से रखे जिससे हमारी हाथों की अंगुलियां एडियों को छूती रहें.

विधि – इस व्यायाम को करने की विधि है की व्यक्ति अपने शरीर के बीच के भाग को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाते हुए अपने कंघे, गर्दन और पैर के पंजों पर रख दें, इस तरह से ४५ डिग्री कोण की भांति अपने शरीर को सीधा रखने की कोशिश करें तथा हमारे सांस लेने की गति सामान्य ही रखें, जितने समय तक अपने शरीर को इस स्थिति में रख सकते हो रखों और थक जाने पर अपने शरीर को धीरे-धीरे नीचे की ओर उतारें, यह क्रिया ४ से ५ बार से ज्यादा न करें.

लाभ – इस व्यायाम को करने से अनेक लाभ है इससे हमारी मांसपेशियों खुल जाती है तथा हमारी मांसपेशियां सही से कार्य करने लगती है तथा कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है और भूख लगने लगती है तथा चेहरे पर सुन्दरता आने लगती है, इस व्यायाम को करने से हर्निया की बीमारी भी दूर हो जाती है.

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