आयुर्वेद
में खाने का और परहेज का वर्णन
जीवन
मनुष्य को शरीर के रूप में मिला है । इस शरीर की रक्षा हमे स्वयं करनी है । आयुर्वेद के अनुसार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार को जरूरी माना गया है । इसलिए मानव को स्वस्थ रहने के लिए खाने से सम्बंधित बातों का ज्ञान आवश्य होना चाहिए । मनुष्य के स्वास्थ्य को उत्तम बनाने के लिए आहार प्रमुख साधन है । हमारे ग्रंथो में पौष्टिक आहार को जीवन कहा गया है ।
दूसरी और यदि मनुष्य कुपौष्टिक आहार का सेवन करता है तो उनका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है और कई प्रकार के रोगो से ग्रसित हो जाते है । इन रोगो का असर मनुष्य के मन पर भी पड़ता है । इसलिए हमे भोजन को केवल स्वाद लेकर नहीं खाना चाहिए बल्कि अपने स्वास्थय को भी ध्यान में रख कर खाना चाहिए । मानव जाति को एक बात अवश्य याद रखनी चाहिए कि भोजन का हमारे जीवन में बहुत मुल्य है । क्योंकि जब तक मानव धरती पर रहता है तब तक उसे जीवन जीने और उसे सुचारू रूप से चलाने के लिए भोजन की आवश्यकता पड़ती है| हमारी हिंदी की पुस्तक में एक कहानी लिखी गई है इस कहानी में ऋषि चरक और वाग्भट्ट के बारे में बताया गया है ।
इस कहानी में ऋषि चरक ने एक प्रश्न किया है कि कौन सा मनुष्य स्वस्थ जीवन व्यतीत करता है इस प्रश्न का वाग्बट्ट ने बड़ी ही बुद्धिमत्ता से उत्तर दिया किजो मनुष्य अपने शरीर के अनुसार , वातावरण के अनुसार ,और अपनी महनत से कमाया हुआ भोजन करता है वही व्यक्ति स्वस्थ रहता है ।
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