खुजराहों का मंदिर
जिस प्रकार विश्वभर
में कामसूत्र का नाम प्रसिद्ध हैं. ठीक उसी प्रकार खुजराहों के मंदिर भी अपनी खास
विशेषताओं के लिए पूरे विश्व भर में जाने जाते हैं. इस मंदिर की प्रसिद्धि विशेष
रूप से इस मंदिर के दीवारों पर बनाएं गये कामक्रिया से परिपूर्ण चित्र हैं. जिनमें
कामक्रिया के विभिन्न आसनों को प्रदर्शित किया गया हैं. कहा जाता हैं की कामसूत्र
में एक वैज्ञानिक की दृष्टि को ध्यान में रखकर ही कामभावना का और कामकला का अध्ययन
किया हैं और इसके आधार पर ही कामभावना को विश्लेषित किया गया हैं. जिस प्रकार कामसूत्र
में कामक्रिया को उल्लेखित किया गया हैं ठीक उसी प्रकार खुजराहों के मंदिर की बहरी
दीवारों पर इन भावनाओं को चित्र के द्वारा दर्शाया गया हैं.
विश्व प्रसिद्ध खुजराहों का मंदिर |
खुजराहों के मंदिर
का इतिहास
खुजराहों का मंदिर
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित हैं और इस स्थान और मंदिर का इतिहास बहुत ही
प्राचीन हैं. इस स्थान पर स्थित खुजराहों मंदिर के नामकरण के पीछे यह माना जाता
हैं कि क्योंकि यहाँ पर बहुत सारे खजूर के पेड़ थे और इन पेड़ों के बगीचों को खाजिरवाहिला
के नाम से जाना जाता था. इसीलिए इस स्थान पर निर्मित मंदिर का नाम खुजराहों माना
गया.
इस मंदिर का निर्माण
राजा विद्याधर के द्वारा किया गया हैं. राजा ने इस मन्दिर को मोहम्मद गजनवी को
दूसरी बार हराने के बाद बनवाने का निर्णय लिया था. अगर इस मन्दिर के निर्माण की
सही जानकारी प्राप्त करना चाहें तप यह कहा जाता हैं इस मंदिर का निर्माण लगभग 1065
ई हुआ था. इस मंदिर की बाहरी दीवार पर नर – नारियों, नर - किन्नर, सुर – सुन्दरी,
देवी देवता तथा प्रेमी युगल की मूर्तियाँ हैं. इन सभी मूर्तियों के मध्य कुछ
मैथुनी चित्र प्रदर्शित करने वाली मूर्तियाँ भी हैं.
खुजराहों के मंदिर
में विशेष
कहा जाता हैं कि
खुजराहों के मन्दिर की मैथुनी मूर्तियाँ हैं. जिसमें शारीरिक सम्बन्धों को दर्शाया
गया हैं. लेकिन इसके पीछे यह तथ्य दिया जाता हैं कि यह मूर्तियाँ किसी आम स्त्री
पुरुष की मूर्तियाँ न होकर दैवीय मूर्तियाँ हैं. जिनके चेहरे पर दैवीय आभा झलकती
हैं. इसके साथ ही जब इन मूर्तियों को आप प्रत्यक्ष रूप से देखते हैं तो इन्हें
देखने के बाद अश्लीलता या भोंडेपन का आभास बिलकुल नहीं होता. बल्कि भारतीय इतिहस
के लिए यह मंदिर और इस मंदिर की दीवारों पर चित्रित मूर्तियाँ अमूल्य धरोहर हैं.
Vishva Prasiddha Khujrahon Ka Mandir |
मंदिर की संरचना
खुजराहों का
प्रसिद्ध मंदिर सबसे ज्यादा विशाल और विकसित शैली का मंदिर माना जाता हैं. यह 117
फुट ऊंचा हैं तथा 66 फुट चौड़ा हैं. जिस प्रकार हर स्थापत्य कला की एक विशेष शैली
होती हैं. उसी प्रकार इस मन्दिर का निर्माण भी एक विशेष शैली जिसे सप्तरथ शैली के
नाम से जाना जाता हैं. इस शैली में इस मंदिर की मूर्तियों को निर्मित किया गया
हैं.इस मंदिर के चारों ओर सदियों पहले उपमंदिर बने हुए थे, जिनका अस्तित्व खो चुका
हैं.इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर जो मूर्तियाँ बनाई गयी हैं उनकी कूल संख्या 646
हैं. इस मन्दिर के अंदर भी कुछ मूर्तियाँ हैं जिनकी संख्या 226 हैं.
मुख्य रूप से शिव को
समर्पित
यह मंदिर प्रमुख रूप
से भगवान शिव शंकर की आराधना के लिए हैं और इसीलिए यह मंदिर शिवजी को ही समर्पित
हैं. जैसा की आप सभी जानते हैं कि यह मंदिर अपनी शिल्पकला के लिए ही विश्व में
प्रसिद्ध हैं इसीलिए इस मन्दिर में कन्दारिया महादेव के मन्दिर के प्रवेश द्वार की
नौ शाखाएं हैं. इन प्रवेश द्वारों पर कमल का पुष्प, नृत्यमग्न अप्सराएँ तथा व्याल
आदि वस्तुएन्ब्नि हुई हैं. शिवजी की सरदल पर शिव जी की चारमुखी प्रतिमाएं बनी हुई
हैं. इन प्रतिमाओं के आस – पास ही ब्रह्मा, विष्णु भी स्थापित किये गये हैं. इस
मन्दिर में एक गर्भगृह भी हैं. जिसमें एक संगमरमर की विशाल मूर्ति स्थापित की गया
हैं.इस मंदिर के मंडप की संरचना भी बड़ी ही अद्भुत हैं. क्योंकि इसके मंडप पर पाषाण
कला का प्रयोग कर सुन्दर चित्र उकेरे गये हैं.
कामसूत्र के
सिद्धांत की अनुकृति
इस मंदिर में एक साथ
तिन मूर्तियों एक के बाद एक ऊपर से लेकर नीचे के कर्म में बनी हुई हैं. जिनके बारे
में ऐसा कहा जाता हैं कि यह मूर्तियाँ कामसूत्र के एक सिद्धांत की हुबहू अनुकृति
हैं. इन मूर्तियों में मैथुन क्रिया के आरम्भ के संकेत जैसे आलिंगन और चुंबन करते
हुए पूर्ण उत्तेजना के स्तर को प्राप्त करते हुए दर्शाया गया हैं. इसके बाद वाली
मुर्तियों में एक पुरुष शीर्षासन की मुद्रा में हैं और वह तीन स्त्रियों के साथ
रतिरत हैं.
Kamsutra Ke Siddhant Ki Anukriti Khujrahon Ki Murtiyan |
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