गेंग्रीन का उपचार करने का तरीका |
Madhumeh Ke Rogi Ke Ghav Ko Kaese Thik Kren |
गेंग्रीन के रोग में व्यक्ति के अंग सड़ जाते है , उस स्थान पर नई
कोशिका विकसित नही होती इसके साथ ही साथ न तो कोई मांस और ना ही कोई हड्डी विकसित
होती है | शरीर की पुरानी कोशिका नष्ट होती जाती है | ऐसे में डॉक्टर को शरीर के
उस हिस्से को काटकर निकालना पड़ता है | अपने शरीर को सड़ने वाले घाव से बचाने के लिए आप
घर में एक औषधि तैयार कर सकते है | इसके लिए देशी गाय के मूत्र को किसी सूती कपड़े
से छान लें | इसमें हल्दी या गेंदे का फूल डालें ( गेंदें के फूल की केवल
पंखुड़ियों को तोडकर डालें | ) अब इन तीनो के मिश्रण को अच्छी तरह से घोलकर चटनी
बना लें | इसके बाद यह देखें की आपकी चोट कितनी बड़ी है | उसके हिसाब से गेंदे के
फूल की संख्या तय करें | यदि चोट छोटी है तो केवल एक ही फूल के काम चल सकता है |
लेकिन यदि चोट बड़ी है तो कम से कम दो या तीन गेंदें के फूल की जरूरत होगी | इस फूल
की चटनी को चोट के खुले हुए मुंह पर बांधे जंहा पर से खून निकलता हों | इस प्रकार
के उपचार को लगभग 4 से 5 दिनों तक लगातार करने से आपके घाव भरने लगेंगें |
इस औषधि
का उपयोग एक दिन में दो बार करना है | जैसे यदि इसकी पट्टी सुबह के समय बांधी है
तो इसे शाम के समय खोलें और घाव को गौमूत्र से धोएं ना कि डेटोल से | घाव को धोने
के बाद ही दूसरी पट्टी करें | इस औषधि को हमेशा ताज़ा – ताज़ा तैयार करके लगाना
चाहियें | यदि किसी को भी घाव ठीक नही होता है तो हमारी बताई हुई विधि का उपयोग
करके आप खुद ही अपने घाव भर सकते है | इस औषधि को घाव पर लगाने से घाव में से खून
निकलना बंद हो जाता है और घाव शीघ्र ही भर जाते है | यह औषधि घाव के लिए सबसे
अच्छी दवा है | इसका उपयोग हम जले हुए पर भी कर सकते है |
गेंग्रीन का उपचार करने का तरीका | Ghav Ke Sdane Pr Kya Nuksaan Hote
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