नैनीताल अनेक झीलों का घर |
नैनीताल झीलों का घर :- नैनीताल भारत के
उत्तराखंड राज्य में एक सुंदर सी जगह का नाम है | नैनीताल का अर्थ है :- नैनी मतलब आंख और ताल का
मतलब झील | कुमांऊ के क्षेत्र में नैनीताल का एक विशेष महत्व है | नैनीताल की
सुंदर जगह पर साठ मनोरम और आकर्षक झील है | इसलिए इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा
जाता है | नैनीताल चारों और से झीलों से घिरा हुआ है | यह उत्तराखंड का सबसे
प्रसिद्ध घूमने का स्थान है | नैनीताल बर्फ के पहाड़ों और झीलों से घिरा हुआ एक
सुदर स्थान है | इस स्थान पर नैनी नाम की एक बहुत ही आकर्षक और सुंदर झील है | इसी
झील के कारण इसका नाम नैनीताल रखा गया | नैनीताल एक ऐसी जगह है जिसे जिधर से भी
देखते है , यह एक खूबसूरती का एक खजाना लगती है |
नैनीताल की प्रकृति
नैनीताल की प्रकृति :- नैनीताल तीनों ओर
से घने – घने पेड़ की छाया और ऊँचे – ऊँचे पहाड़ों के बीच में है | यह समुन्द्र तल
से 1938 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है | नैनीताल के झीलों के पानी की सबसे बड़ी
विशेषता यह है कि ये झील पहाड़ों और पेड़ों की छाया में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है
| आकाश में छाए हुए बादलों की परछाई झील के पानी में इतनी सुंदर लगती है कि इस
दृश्य को देखने के लिए दूर – दूर से पर्यटक आते है | झील के पानी में तैरते हुए
बतखो का झुण्ड देखने में बहुत ही आकर्षक लगती है | रात के मौसम में जब चाँद और
तारे आसमान पर छा जाते है तो इन झीलों की सुन्दरता पर चार चाँद लग जाते है | नैनीताल
के झीलों के पानी की एक खास विशेषता है कि गर्मियों के मौसम में इन झीलों के पानी
का रंग हरा हो जाता है , बारिश के मौसम में मटमैला और सर्दी के मौसम में इसके झील
का पानी का रंग नीला हो जाता है | इन सब विशेषताओं के कारण देश – विदेशों से
पर्यटक नैनीताल घुमने के लिए आते है और इसकी खूबसूरती का आनन्द लेते है |
नैना देवी मंदिर
नैनीताल में उपस्थित नैना प्रसिद्ध नैना
देवी मंदिर :- नैनीताल में नैनी नदी के उत्तरी किनारे पर बनाया गया है | इस मंदिर
में सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है | इस मंदिर में दो नेत्र( आंख ) है | जिसे
नैना देवी के नाम से पुकराते है | नैना मंदिर के बारे में यह कहावत है की जब भगवान
शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे तो उस समय माता सती के
शरीर के अंग कहीं – कंही गिरते जा रहे थे | जंहा भी सती के अंग गिरे थे , उन
स्थानों पर शक्तिपीठ की स्थापना की गई | उन्ही स्थानों में से नैना देवी का यह
मंदिर है | इस स्थान पर माता सती के नेत्र गिरे थे | इसी से प्रेरित होकर यंहा
मन्दिर की स्थापना की गई | कहते है कि यंहा माता सती की कृपा हमेशा अपने भक्तों पर
बनी रहती है | माता हर भक्त के दुखों को दूर करती है | साक्षात् माता सती इस
मन्दिर में विराजमान है | इस मंदिर में हर साल नैना देवी का मेला आयोजित किया जाता
है |
देवीनंदा का मन्दिर |
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