तेजपत्ता या सिनामोममतमाला की खेती | Tejpatte ya Sinamommatmala Ki Kheti

v तेजपत्ता ( दालचीनी) की जैविक उन्नत खेती :-
Tejpatte ya Sinamommatmala Ki Kheti
Tejpatte ya Sinamommatmala Ki Kheti
तेजपत्ता लोरेसी कुल में आता है | इसका वैज्ञानिक नाम सिनामोममतमाला है | इसे और भी कई नामों से जाना जाता है | जैसे दालचीनी , तमालका , इन्डियन केसिया आदि | तेजपत्ता की खेती हिमाचल प्रदेश , उत्तराखंड , जम्मू- कश्मीर , सिक्कम और अरुणाचल प्रदेश में की जाती है | तेजपत्ता एक सीधा बहुवर्षीय वृक्ष है | जो कई सालों तक लगातार उपज देता रहता है | तेजपत्ते की खेती में कम लागत लगती है और अधिक मुनाफा मिलता है |
v     तेज पत्ते का उपयोग और उसका रासायनिक संगठन :- तेज पत्ते के पेड़ से हमे दो तरह के मसाले प्राप्त होते है | इसके पेड़ की सुखी पत्तियां और इसकी छाल से हमे दालचीनी नामक मसाला मिलता है | वैसे तेज पत्ते का उपयोग मसाले के रूप में ही किया जाता है | इसके आलावा इससे मानव शरीर की बिमारियों का भी शमन होता है | तेज पत्ते के सेवन से उपच , गले के रोग , कफ  और वमन जैसी बीमारी नही लगती | तेज पत्ते को bay लीफ के नाम से भी जाना जाता है | तेज पत्ते का स्वाद थोडा सा कडवा होता है | इसलिए हम इसे कोरा नही खा सकते | इसका उपयोग सब्जियों में स्वाद को बढ़ाने के लिए और सुगंध बढाने के लिए किया जाता है |
Tejpatte ki kheti ke Liye Bhumi
Tejpatte ki kheti ke Liye Bhumi 
v तेज पत्ते की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु :- यह शीतोष्ण जलवायु का वृक्ष है | इसलिए इसे हिमालय के शीतोष्ण और हिमाद्री भाग में 1000 मीटर की ऊंचाई पर उगाया जाता है | इसकी खेती के लिए नम और छायादार भाग अत उत्तम होता है | ऐसी जलवायु में तेज पत्ते की वृद्धि अच्छी तरह से होती है |
v तेज पत्ते की खेती के लिए भूमि का चुनाव :-
जिस भूमि में उचित जीवांश की मात्रा  उपस्थित होती है वह भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त होती है | इसके आलावा भूमि में जल निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए |
v तेज पत्ते के लिए खेत की तैयारी :- तेज पत्ते की खेती करने से पहले इसकी पहले नर्सरी बनाई जाती है | जिसमे इसके छोटे – छोटे पौध तैयार किये जाते है | पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले क्यारियां बनाये | इसके बाद क्यारियों में रेत और गोबर की खाद डालकर इसमें बीज बिखेर दें | बीज बोने के बाद क्यारियों की हल्की सी सिंचाई कर दें और पुराल से ढक दें | इसके पौध तैयार करने के लिए बीजों को मार्च या अप्रैल के महीने में करनी चाहिए | बिजाई करने के लगभग २ महीने में बाद जब पौधे की लम्बाई 10 से 15 सेंटीमीटर की हो जाए तो इसे रोपण करने की विधि शुरू कर दें |
तेजपत्ते की फसल में खाद प्रयोग
v बुआई का तरीका :- इसके पौधे के रोपण करने के लिए खेत में 50 सेंटीमीटर के व्यास के 60 सेंटीमीटर गहरा गड्डा खोदें | इस तरह सारे खेत में गड्डे खोद लें | इसके बाद हर एक गड्डे में गोबर की खाद और 200 से 250 ग्राम माइक्रो भू पावर भरकर मानसून के महीने में रोपण करें |v तेज पत्ते की फसल में खाद और उर्वरक का प्रयोग :- इसकी अच्छी फसल लेने के लिए बनाये हुए गड्डे में 10 से 12 किलोग्राम गोबर की खाद और 200 से 250 ग्राम माइक्रो भू पावर डाल दें | यह कार्य पौध रोपण से पहले करें |v सिंचाई करने का तरीका :- इसकी फसल में अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती | पूरे साल में केवल गर्मी के मौसम में सिंचाई करें | v खरपतवार की रोकथाम करने के लिए :- तेज पत्ते की फसल को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए | इसके लिए गड्डे के आस – पास 3 या 4 बार अपने हाथ से निराई – गुड़ाई करें |तेज पत्ता के वृक्ष पर किसी तरह का कोई रोग नही लगता |  यह रोगमुक्त फसल होती है | इसके आलावा इसके पेड पर कोई कीट का भू कुप्रभाव नही होता |v फसल पकने के बाद कटाई :-इस पेड़ को यदि एक बार लगाया गया तो यह 100 सालों तक उपज देता रहता है | रोपण करने के 6 साल बाद जब इसका पेड़ पूरी तरह से विकसित हो जाता है तो इसकी पत्तियों को इक्कठा कर लिया जाता है | पत्तियों को इक्कठा करने के बाद इन्हें छाया में सुखाया जाता है | तब ये पत्तियां उपयोग करने के लिए तैयार हो जाती है | इसके पेड़ से किउ छाल से हमे दालचीनी मसाला भी मिलता है |
Tejpatte Ka Upyog 
 
v फसल की कटाई करने का बाद :- इसकी पत्तियों को छाया में सुखाया जाता है | तेज पत्ते का तेल निकालने के लिए आसवन यंत्र का प्रयोग किया जाता है | इसकी पत्तियों से हमे 0. 6 % खुशबूदार तेल की प्राप्ति होती है |उपज की प्राप्ति :- इसकी खेती करने से हमे लगभग 120 से 125 किवंटल तक की अच्छी उपज मिल जाती है |  

 

 

 

 

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