पुराने घाव का ईलाज : -
हमारे शरीर में साधारण छोटी – मोटी चोटें लगती रहती है , जो अपने आप भर जाती
है. परन्तु कभी कभी समस्या गंभीर हो जाती है और घाव गहरा हो जाता है. जब कभी भी
आपको चोट लगे तो सबसे पहले उस पर आप अपना मूत्र प्रयोग करे, तुरंत , अगर ताजा गौ
मूत्र मिले तो वो भी इस्तेमाल किया जा सकता है. फिर घाव पर हल्दी को पीसकर लगा ले,
तला हुआ खाना बिल्कुल भी न खाये, नमक , मिर्च और खटाई से परहेज करे. अगर आपको घाव
है तो उस अवस्था में दूध के परहेज करे, हाँ दूध में हल्दी डालकर उसको उबाले और
उसका सेवन करे. घाव होने पर थोडा कम खाये या फिर एक दो दिन का उपवास भी कर सकते है , उपवास से घाव जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है,
कायाकल्प क्वाथ(kaya kalp kawath):- १०० ग्राम (Gram)
दशमूल क्वाथ (dashmool kwath) :- १०० ग्राम (Gram)
बनाने की विधि :- एक बड़े बर्तन में ४०० मिलीलीटर पानी ले |
इसमें कायाकल्प क्वाथ और दशमूल क्वाथ की एक चम्मच की मात्रा मिला दें, और मंद
अग्नि पर पकाएं | पकते – पकते जब इसका पानी १०० मिलीलीटर रह जाए तो इसे छानकर सुबह
के समय और शाम के समय पी लें |
सामग्री : -
कायाकल्प वटी (kayakalp vati) :- २० ग्राम
मोती पिष्टी (moti pishti) :- ४ ग्राम
प्रवाल पिष्टी (praval pishti) :- १० ग्राम
अमृता सत (amrita sata) :- २० ग्राम
माणिक्य रस (manikya rasa) :- २ ग्राम
इन सभी आयुर्वेदिक औषधियों को आपस में मिलाकर एक
मिश्रण बनाए | इस तैयार मिश्रण की बराबर मात्रा में ६० पुड़ियाँ बनाकर किसी डिब्बे
में बंद करके रख दें | रोजाना एक पुडिया सुबह के समय और एक पुड़ियाँ रात के समय
ताज़े पानी के साथ या शहद के साथ खाए | पीड़ित व्यक्ति की जीर्णावस्था में १ से २
ग्राम स्वर्णबसंतमालती रस को इन खुराकों
के साथ खाएं | पुराने घाव बहुत जल्दी ठीक हो जायेंगे |
सावधानियाँ – घाव को धूल मिटटी से बचा कर रखे, आम का अचार , दही इत्यादि का परहेज करे,
चावल का परहेज करे, नीम की पत्तियों का सेवन करे उनको चबा चबा कर खाना चाहिए.
नीम की पत्तियों को रगड़कर उनका
लेप बना ले और गौ मूत्र और अरंडी के तेल के साथ भूनकर और मिलाकर घाव पर लेप करे , ऐसा करने से भी छोटा
मोटा घाव जल्द ठीक हो जाता है.
सामग्री : -
कैशोर गुग्गुलु (kaishor guggal) :- ६० ग्राम
आरोग्यवर्धिनी वटी (aarogya vardhini vati):- ४० ग्राम
नीमघन वटी (neemghan vati) :- ४० ग्राम
इन तीनो आयुर्वेदिक औषधियों की
एक – एक गोली की मात्रा को दिन में कम से कम दो बार खाना खाने के बाद ले | इन
गोलियों का सेवन हल्के गर्म पानी के साथ करे |आपके घाव भरने में जरूर आपको मदद
मिलेगी.
नोट : - त्रिफला क्वाथ या पंचवल्कल क्वाथ से अपने घाव को
धोने से विशेष प्रकार का लाभ मिलता है | इसके आलावा जात्यादी तेल का इस्तेमाल
लगातार करते रहना चाहिए |
aam roj ki zindgi mein khel kood mein school ki masti mein ya phir exercise mein hume chot lagti rahti hai, in sabhi chot ke chhote ghaav apne aap hi bhar jaate hai, prantu kabhi kabhi ye ghaav bharne mein bhaut time laga dete hai, in ghaavo ko hum apne desi nuskho se theek kar sakte hai, prakartik tareeke se in ghaavo or wound ka hume upchaar or ilaj kar sakte hai, har prakaar ke zakham bharne ke liye gharelu nuskho ka prayog kare to sahi hoga ye bhaut hi saral or sadharan hote hai, trifala kwath or panchvalkal kwath bhi ghaav ko bharne mein hamari madad karti hai , haldi or neem ghaav se liye bahut hi jaroori hai , ghaav ko dhoop jaroor de, lekin dhool mitti se bachaaye,
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