मोतियाबिंद और ग्लूकोमा की बीमारी का ईलाज :- आँखे इंसान को परमात्मा द्वारा दिया गया एक तोहफा है जिसको प्रत्येक व्यक्ति बड़ी देखभाल से रखना चाहिए. आँखों की बीमारी से बचने का एक ही तरीका है केवल इनका बचाव. मोतियाबिंद आखों से जुड़ा हुआ रोग होता है | इस बीमारी
में आखें कमजोर हो जाती है | जिसके कारण मनुष्य को देखने में कठनाई होती है | यह बीमारी ज्यादा आयु वाले मनुष्य को हो जाती है | जैसे ४० वर्ष के मनुष्य को यह रोग आसानी से हो सकता
है | इस बीमारी को ठीक करने के लिए आयुर्वेद में कुछ
उपाय दिए गये है जिनका उपयोग करने से इस बीमारी को ठीक किया जाता है | ये दिया गया फार्मूला केवल चिकित्सक से सलाह के बाद ही प्रयोग करे , बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार की कोई दवा नहीं लेनी चाहिए.
![]() |
मोतियाबिंद , Motiyabind Ka Ilaj , मोतियाबिंद के लक्षण, मोतियाबिंद का उपचार, |
सामग्री : -
आमलकी रसायन (aamalki rasayan) :- २०० ग्राम
सप्तामृत लौह (sptamrit loh) :- २० ग्राम
मुक्ता शुक्ति (mukta shukti) :- १० ग्राम
उपरोक्त आयुर्वेदिक औषधियों को मिलाकर एक चम्मच की मात्रा का सेवन खाना खाने
से पहले ताज़े पानी के साथ या शहद के साथ करे | इस उपचार के साथ – साथ दृष्टि आईड्राप की एक – एक बूंद अपनी दोनों आखों में डालें | इस प्रकार
का उपचार करने से मोतियाबिंद की शिकायत दूर हो जाती है |
नोट :- इस बीमारी को ठीक करने के लिए महात्रिफला धृत की २०० ग्राम की मात्रा
खरीद लें और इसकी एक चम्मच की मात्रा को खाना खाने के बाद दूध के साथ खाए |
सावधानियाँ -
आँखों को धूल मिट्टी से बचा कर रखे ,
साफ़ पानी से समय समय पर आँखों को साफ़ करते रहे.
अधिक मसाले दार भोजन न करे,
कब्ज न होने दे ,
पानी अधिक पीये ,
धूप में सन ग्लासेज का प्रयोग करे, ( काले चश्मे )
( मोतियाबिंद व
ग्लूकोमानाशक आई ड्राप्स )
सामग्री
:-
1. सफेद प्याज का रस :- 10
मिलीलीटर
2. अदरक का रस :- 10
मिलीलीटर
3. निम्बू का रस :- 10
मिलीलीटर
4. शहद :-
50 मिलीलीटर
उपरोक्त सभी सामग्रियों को मिलाकर एक शीशे की
बोतल में भरकर धूप में रख दें | थोड़ी देर बाद इन सभी सामग्रियों के मोटे पदार्थ नीचे बैठ
जायंगे और ऊपर हमारी औषधी के रूप में तरल पदार्थ बच जायगा | इस साफ तरल औषधी को किसी साफ
सूती कपड़े से छानकर कांच की शीशी में भरकर रख लें | जिस व्यक्ति को मोतियाबिंद
की बीमारी है उसे नियमित रूप से इस आयुर्वेदिक औषधी की 2 – 2 बून्द आखों में डालनी
चाहिए | इससे उसका
मोतियाबिंद ठीक हो जायगा | ग्लूकोमा के रोगी का आखों का दबाव कम हो जाता है और यह रोग
धीरे – धीरे ठीक हो जाता है
|
motiabind ke lakshan, motiyabind kya hai, motiabind kyo hota hai, eyes ki bimari hai, aankhon ka rog, yeh bimari 40 se 50 varsh ki aayu ke baad hota hai , is bimari mein hume kisi bhi prakaar ki motiabind ka gharelu upchaar, kya kin kin baaton ka dhyan rakhna chahiye, dwa lene aankhon ko saaf rakhe, paani se jaroor dhoye, मोतियाबिंद क्यों होता है कब होता है , मोतियाबिन्द में देसी नुस्खे,
No comments:
Post a Comment