इलेक्ट्रोलाइसिस विधि | थर्मोलाईसिस

इलेक्ट्रोलाइसिस विधि (स्थाई उपचार) :

इस विधि का आरम्भ वर्ष १८५७ में डॉ. चार्ल्स माइकेल द्वारा किया गया था. पूरे विश्व भर में इस विधि को स्थाई रूप से बालों को हटाने के लिए प्रयोग किया जाता था, वर्ष १९१६ में सौन्दर्य को बढ़ाने हेतु यह विधि एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया तथा धीरे धीरे इस विधि को स्थाई रूप से बालों को हटाने के लिए काफी पसंद किया जाने लगा था परन्तु आजकल नई और सरल तकनीक होने की वजह से इसका प्रचलन बहुत कम हो गया है. 

इस विधि के अंतर्गत बाल की जड़ जिसे सामान्य भाषा में गड्ढे तथा वैज्ञानिक भाषा में फालिसिल कहा जाता है, में नुकीली सुई बालों की जड़ो तक धंसाई जाती है. यह सुई बिल्कुल सही कोण और सही गहराई तक धंसाई जाती है ताकि उस सुई में से प्रवाहित किया जाने वाला करंट है, इस करंट से बालों की जड़ों . परन्तु इस प्रक्रिया द्वारा इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि सुई में से प्रवाहित किया जाने वाला करंट सही शक्ति व् सही समय तक हो. अधिक शक्ति का करंट त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है. इसमें सीधा करंट भी पास किया जाता है. जिस समय सुई त्वचा के रोम छिद्र में धंसाई जाती है उस समय बैटरी का यह करंट प्रवाहित किया जाता है, तभी जड़ में एक रसायनिक प्रतिक्रिया होती है जिससे बाल उस गड्ढे अर्थात फालिसिल से निकल जाते है. इस प्रतिक्रिया के बाद उस जगह जड़ इतनी कमजोर हो जाती है कि उस जगह दोबारा बाल नहीं उग पाते है.
इलेक्ट्रोलाइसिस विधि



इस अचूक इलाज के बावजूद भी आजकल इस विधि की लोकप्रियता धीरे धीरे कम होती जा रही है जिसका प्रमुख कारण है समय की अधिकता. इस विधि के अंतर्गत एक-एक बाल की जड़ में सुई धंसानी पड़ती है जिससे समय बहुत ज्यादा समय लगता है. इसीलिए आजकल इस विधि का प्रचलन कम होता जा रहा है, और इसकी जगह एक अन्य विधि का उपयोग किया जाता है. जिसे थर्मोलाईसिस कहते है. इस नयी विधि में इलेक्ट्रोलाईसिस विधि की अपेक्षा कम समय लगता है. 


  थर्मोलाईसिस विधि :

इस विधि के नाम से ही इसका अर्थ समझा जा सकता है, ‘थर्म’ का अर्थ है ‘ऊष्मा’. अर्थात इस विधि के अंतर्गत बालों की जड़ों (पैप्पिला) को ऊष्मा के द्वारा नष्ट किया जाता है. थर्मोलाईसिस तथा इलेक्ट्रोलाईसिस विधि में एकमात्र अंतर यह है कि जहां इलेक्ट्रोलाईसिस विधि में रसायनिक कारणों से बालों की जड़ो को खत्म किया जाता है वहीँ इलेक्ट्रोलाईसिस विधि में यही कार्य ऊष्मा की सहयता से किया जाता है. जड़ों में ऊष्मा का प्रयोग करने से जड़ों में दुबारा बाल उगने की शक्ति समाप्त हो जाती है. उपरोक्त विधियों को अपनाने से पूर्व हम सभी के मन में अनेक तरह के संदेह उत्पन्न होते है, जैसे 

  • क्या यें विधि स्थाई उपचार है या नहीं ?

  • इन विधियों को अपनाने से त्वचा पर कहीं कोई दाग या निशान न रह जायेंगे ?

  • क्या इसका कोई अन्य दुष्प्रभाव है ?

  • इस विधि को कितने समय अन्तराल पर अपनाना चाहिये ? 

  • इसके अलावा एक अन्य प्रश्न वो ये कि क्या यें विधि केवल महिलायों के लिए ही है या पुरुष भी इस विधि को अपना सकते है?


आइयें हम एक-एक करके इन प्रश्नों के बारे में जानते है:

·         इलेक्ट्रोलाईसिस या थर्मोलाईसिस विधि को अपनाने वाली महिलाएं इन विधियों से पहले अन्य विधियों जैसे थ्रेडिंग, वेक्सिंग आदि को अपना चुकी होती है. परन्तु इनसें वें बालों से स्थाई रूप से छुटकारा नहीं पा सकी होती है. अपितु इससे बालों की जड़े और मजबूत हो जाती है. परन्तु इलेक्ट्रोलाईसिस या थर्मोलाईसिस विधि से बालों की जड़े एक बार में तो नहीं परन्तु दो से तीन बार इनके उपयोग से जड़े पूर्णत: नष्ट हो जाती है. अत: यह एक स्थाई इलाज माना जाता है.

·         दाग-धब्बे या निशान की बात की जाए तो यदि यें प्रक्रियाएं किसी विशेषज्ञ द्वारा करवाई जाये तो उस स्थिति में किसी तरह के निशान आदि रहने की सम्भावना नहीं होती है. प्रशिक्षित व्यक्तियों को इस बात की पुरी जानकारी होती है कि सुई कितने कोण में कितनी गहराई तक धसानी है. हां, यदि इलाज किसी अप्रशिक्षित या किसी अनाडी से कराया जाये तो अवश्य ही दाग या निशान रह सकते है.

·         सामान्यत: इन प्रक्रियाओं से किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है परन्तु कभी कभी शुरुआत में कुछ निशान अवश्य पड़ सकते है परन्तु यें समान्य होते है तथा कुछ दिनों में धीरे धीरे गायब होने लगते है.

·         इन प्रक्रियाओं को कितने समय अन्तराल में कराना चाहियें यह आपके बालों पर निर्भर करता है, यदि आपके बाल अधिक घने है और उनमे वृद्धि तेजी से होती है तो इस इलाज को कई बार कराना पड़ सकता है. शुरुआत में प्रत्येक सप्ताह अर्थात् सप्ताह में एक बार करने की जरूरत पड़ती है, बाद में महीने में दो बार कराने की आवश्यकता रह जाती है. इसके अलावा पुरी तरह से बालों से मुक्ति पाने के लिए डेढ़ से दो साल तक यदि इलाज कराया जाये तो बाल पूरी तरह से गायब हो जाते है.

·         अब यदि हम महिला या पुरुष की बात करे तो ऐसा कुछ नहीं है कि केवल महिलाएं ही इस विधि को अपना सकती है पुरुष भी कंधो, हथेलियों के पिछले हिस्सों पर उगे अनचाहे बालों को हटाने के लिए इस विधि का प्रयोग कर सकते है.

इस विधि की खास बात यह है कि इस विधि द्वारा पूरे शरीर के किसी भी हिस्से का इलाज किया जा सकता है. आमतौर पर सम्पूर्ण चेहरे, सीना, पेट पर उगे अनचाहे बालों का इलाज किया जाता है.

electrolaisys vidhi bhaut purani or takneek hai is takeen mein baalon ki jadon mein or unki root ko kamjoor kar diya jaata hai jisse vo panpna band kar dete hai , is lazer technique mein ye ilaj kaafi lambe time mein complete hota hai isliye aajkal iska prachlan kam ho gaya hai , is vidhi mein baalon ki jadon mein needle ghusaai jaati hai chest , back side mein ya phir shoulder par uge hue baalon ki problems ka samadhaan karna bhaut adhik jaroori hai, thermolaisys teachnique in hindi, 

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