Baddha Padmasana | बद्ध पद्मासन

बद्धपदमासन / बद्धपद्मासन

बद्ध से अभिप्राय है ‘बंधना’ अर्थात् इस आसन को करते समय हम अपने हाथ पैरों को बांध लेते है इसलिए इसे बद्धपदमासन कहा जाता है.

 इस आसन को महिला या पुरुष कोई भी व्यक्ति कर सकता है ये आसन सभी व्यक्तियों के लिए अति लाभदायक होता है लेकिन इस आसन का अभ्यास गर्भवती महिला या पीड़ित व्यक्ति को नहीं करना चाहिए , ये आसन थोडा सा मुश्किल जरुर है लेकिन लगातार प्रयास करने से ये जल्द ही होने लगता है इस आसन का उपयोग ज्यादातर हम कब्ज से होने वाले स्वप्नदोष, गठिया तथा जोड़ों के दर्द आदि सभी रोगों को ठीक करने के लिए अधिक लाभदायक होता है.
बद्धपद्मासन
बद्धपद्मासन
विधि – स्टेप 1. समान्तर जगह पर दरी या कालीन बिछाकर पदमासन की क्रिया में बैठ जाए.

     स्टेप 2. अपने सीधे हाथ को अपनी पीठ के पीछे से निकालकर अपने सीधे पैर के अंगूठे को पकड़ने का प्रयास करें तथा इसी तरह से अपने उल्टे हाथ को अपनी पीठ के पीछे से लाकर अपने उल्टे पैर के अंगूठे को पकड़ें.

स्टेप 3. आसन करना शुरू करें ये ध्यान रखें की आसन करते समय आपका सीना सीधा होना चाहिए और अपने ठोड़ी को अपने गले(कण्ठ) से जितना मिला सकते हो मिलाए.

स्टेप 4. अब अपनी आखों को अपनी नाक के आगे वाले भाग पर ध्यान देने का अभ्यास करें.


Baddha Padmasana  बद्ध पद्मासन
Baddha Padmasana  बद्ध पद्मासन
विशेष – इस आसन को करते समय अधिकतर लोगों के हाथ पीछे से अपने पैर के अंगूठे तक नहीं पहुचं पाते है ये इसलिए होता है क्योंकि उनके शरीर की नस सही रूप से शुद्ध नहीं होती है, लेकिन कई लोगों के लगातार प्रयास करने से भी उनके हाथ अंगूठे तक नहीं पहुंच पाते है तो हम इस आसन की एक और दूसरी विधि बता रहे जो इस प्रकार हैं.   
दूसरी विधि स्टेप 1. बद्धपद्मासन को करने की दूसरी विधि इस तरह से है कि सबसे पहले आप समतल जमीन पर अपने दोनों पैरों को मोड़कर अपनी एडियां सीवन पर लगाए तथा अपने पावों के बल जमीन पर सीधे खड़े हो जाए.

स्टेप 2. अपने दोनों हाथों को जोड़कर अपने सिर से ऊपर इस तरह से रखें जिस तरह से नमस्कार किया जाता है.

स्टेप 3. ये आसन केवल पंजों पर ही निर्भर होता है तथा मुश्किल भी होता है.

baddha padmasana
baddha padmasana
विशेष – इस आसन की विधि को करने से मनुष्य की रीढ़ की हड्डी का टेढ़ापन व दोगलापन दूर हो जाता है ये आसन सभी मनुष्य की आयु के लिए अधिक फायदेमंद होता है. इस आसन के और अनेक लाभ इस प्रकार से हैं.

लाभ - इस आसन को लगातार करने से गर्दन, कंधें, पीठ, जांघों, टखने और हाथ की मांसपेशियां पुष्ट व लचीली बन जाती हैं.

2. बुखार होने के बाद तिल्ली बढनी शुरू हो जाती है और यकृत भी बिगड़ने लगता है तो ये आसन इन दोनों को ही बिगड़ने व बढ़ने से रोकता है.
बद्धपद्मासन के लाभ
बद्धपद्मासन के लाभ 
3. पेट के वे सभी रोग जो दवाइयों से ठीक नहीं होते है वे सभी रोग इस आसन के लगातार प्रयास करने से थोडे ही समय में दूर हो जाते है.

4. बद्धपद्मासन की क्रिया प्राण-आपान  को ठीक कर देता है जिससे मन प्रसन्न तथा शरीर लचीला होने लगता है.

5. ये आसन मनुष्य के सीने को चौड़ा कर देता है और शरीर में एक्स्ट्रा चर्बी को खत्म कर देता है.

6. इस आसन से कब्ज की बीमारी से राहत मिलती है और महिलाओं के गर्भाशय विकार तथा सन्तान होने के बाद जो पेट पर धब्बे पड़ जाते है वे सभी धब्बे ठीक हो जाते है और शरीर की कमजोरी भी दूर हो जाती है.
baddha padmasana poses
baddha padmasana poses
7. ये आसन अपच भोजन को पचाने में मदद करता है साथ ही पेट में होने वाले विकार जैसे गुल्म, प्लीहा तथा यकृतादि के सभी रोग ठीक कर देता है.

8. ये आसन हमारे आंत में वृद्धि के विकारों के लिए अधिक लाभदायक होता है.

इन आसनों का सही लाभ तभी होगा जब आप हमारी बताई गई विधि या किसी योग्य गुरु की शरण में इस आसन का प्रयोग करेंगें.

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