हम अपने सभी कार्य इस शरीर के द्वारा ही करते है, जीवन जीने का एक मात्र सहारा ये सरीर है, अत परमात्मा के इस वरदान का हमे सम्मान करना चाहिए और इसको निरोग रखना चाहिए, अगर हम इसकी समय पर देखभाल नहीं करेगे तो समय से पहले ही ये रोगी हो जायेगा और हमारा बुढ़ापा बहुत ही कष्ट दायक होगा . इस देह को स्वस्थ और निरोग रखने के कुछ मन्त्र दिए गये है जो निम्नलिखत है .
१. मनुष्य को हमेशा अपने मन
में शांति बनाए रखनी चाहिए | और खुश रहना चाहिए | यह सुखमय जीवन जीने का सबसे बड़ा
मन्त्र है | इसके विपरीत मन की अशांति और अप्रसन्नता हमारे जीवन के उत्साह और
फुर्ती को खत्म कर देता है |
रोग मुक्त कैसे रहे !!! |
२. मनुष्य को सदा खुश रहने
की कोशिश करनी चाहिए | उसे हमेशा तनाव व चिंता से दूर रहना चाहिए | क्योंकि तनाव और चिंता से हमारे शरीर में अनेक
बीमारी उत्पन्न हो जाती है | और हमारे दिल को कमजोर बना देती है| जो हमारे
जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है |
३. डर और भय एक ऐसी चीज है
जो हमारे शरीर में वात के प्रभाव को जन्म देता है | और शरीर की ऊर्जा को हानि
पहुंचाता है | इसके आलावा क्रोध और ईर्ष्या शरीर में पित्त को जन्म देता है | और
शरीर में जहरीले पदार्थोँ को पैदा करता है | और इससे किसी भी प्रकार का रोग हो
सकता है |
४. मनुष्य को रात को जल्दी सोना
चाहिए और सुबह जल्दी उठाना चाहिए रोजाना सुबह व्यायाम और सैर करनी चाहिए| इसके लिए
हमे सूर्य उदय होने से लगभग डेढ़ घंटा पहले उठना चाहिए |
शरीर में अधिक चर्बी न जमा होने दे |
५. किसी भी मानव को जरूरत
से ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए , अपने मन में लालच का भाव नहीं उत्पन्न करना
चाहिए ओर किसी से जयादा लगाव नहीं रखना चाहिए | ऐसा करने से हमारे शरीर में कफ की
वृद्धि होती है |
६. सुबह – सुबह उठकर दो या
तीन गिलास हल्का गर्म पानी पीना चाहिए | यदि इस पानी में आधा निम्बू का रस और शहद
मिला ले और फिर इस पानी को पिए तो विशेष लाभ मिलता है | हमे कभी भी खाली पेट चाय
या कोफ़ी का सेवन नहीं करना चाहिए |
७. जब हम सुबह शोच जाते है
तो हमे अपने दांतो को भीचकर रखे ऐसा करने से बूढ़े होने पर दांत नहीं हिलते और
लम्बे समय तक मजबूत रहते है |
८. सुबह के समय अपने मुँह
में पानी भरकर ठन्डे – ठन्डे पानी से आखों पर छीटे मारे और अपने अंगूठे से तालू को
साफ़ करे इससे आखं , कान , गले , और नाक में होने वाले रोगों से छुटकारा मिल जाता
है |
जरुरत अनुसार पानी पीये न अधिक न कम , एक साथ अधिक पानी पीने से व्यक्ति रोगी हो जाता है इसलिए थोडा थोडा करके दो बार पीये |
९. नहाने से पहले अपने
दोनों पैरो के अंगूठे में सरसों का शुद्ध तेल लगाये | इससे बूढ़े होने पर आखं को
रौशनी कमजोर नहीं होती | इसके आलावा सुबह – सुबह हरी – हरी घास पर नंगे पैर चलने
से आखं की रौशनी बढती है | सप्ताह में कम से कम एक बार अपने पूरे शरीर में तेल की
मालिश जरुर करनी चाहिए |
१०. रोजाना अपने दांतो को
साफ़ करने के लिए बबूल या नीम की दातुन का प्रयोग करना चाहिए | इसके प्रयोग से दांत
मजबूत बनते है |
११. रात के समय भोजन करने के
बाद और सोने से एक बार अपने दांतो को ब्रश से साफ़ करे | इससे दांतो में फसे अन्न
के कण साफ़ हो जाते है | और मुँह की दुर्गंद भी दूर हो जाती है |
प्रसन्न रहना सबसे बड़ा रोग प्रतिरोधक है |
१२. पानी में निम्बू का रस
मिलाकर नहाना चाहिए | ऐसा करने से शरीर की बदबू दूर हो जाती है |
१३. मनुष्य को रोजाना शोच और
नहाने के बाद अपने आस – पास के योग कक्षा में किसी योगगुरु से योगासन , जोगिंग ,
और प्रणायाम आदि को नियमित रूप से करे | क्योंकि प्रणायाम एक एक ऐसा मन्त्र है
जिसके करने से अनेक रोग दूर हो जाते है | और हमारा शरीर स्वस्थ हो जाता है | मन को
शांति मिलती है और हमारा आत्मबल भी बढता है |
१४. मनुष्य को सुबह नाश्ते
में हल्के व रेशेयुक्त खाद्य पदार्थो का प्रयोग करना चाहिए | जैसे :- अकुरित अन्न
, ताज़े फल , और दलिया आदि | का प्रयोग लाभदायक होता है |
१५. खाना खाने के बाद कम से
कम लगभग दस मिनट तक वज्रासन करे | और रात को खाने के बाद थोडा सा टहलना चाहिए |
इससे खाना जल्दी पच जाता है |
पौष्टिक भोजन कितना जरूरी है |
१६. एक दिन मनुष्य को कम से
कम दस से बारह गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए | इसे हमारे शरीर में पानी की कमी की शिकायत दूर हो जाती है |
१७. हमे हमेशा अपनी कमर को
सीधा करके बिना सहारे के बैठने की कोशिश करनी चाहिए | और अपने नाखुनो को दांतो से
कभी नहीं काटना चाहिए |
१८. भोजन करने के लगभग आधे
घंटे बाद पानी का सेवन करना चाहिए | भोजन के समय हमें पानी का सेवन नहीं करना
चाहिए | और पानी को हमेशा थोडा – थोडा यानि घूट - घूट भरकर पीना चाहिय |
१९. भोजन को सदा चबा – चबाकर खाना चाहिए |
२०. मनुष्य को तेलिये पदार्थ
, कोल्ड , ड्रिंक , सिगरेट और शराब का प्रयोग नहीं करना चाहिए | यह हमारे
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है |
२१. जीवन को जीने के लिए खाए
न की खाने के लिए जीवन जिए | इसलिए हमें कम खाना चाहिए | जो जल्दी पच जाए | अपने शरीर
का आधा हिस्सा भोजन के लिए , चोथाई हिस्सा पानी के लिए , ओए शेष हिस्सा वायु के
लिए रखे | हमे अपने शरीर को कब्रिस्थान न बनाकर उसे देवालय बनाने की कोशिश करनी
चाहिए |
सुबह जल्दी उठाना और रात को समय पर सोना अच्छे स्वास्थ्य का मूल मन्त्र है |
२२. हमे पानी को हमेशा बैठकर पीना चाहिए | खड़े होकर
पानी पीने से हमारे घुटनों में दर्द होने लगता है |
खाने को खूब चबा – चबाकर खाना चाहिए | और भोजन को हमेशा
जमीन पर बैठकर करना चाहिए | खाना खाते समय चुप रहे , हमे बोलना नहीं चाहिए
टेलीविजिन के सामने भोजन नहीं करना चाहिए | इससे खाना गले में फस सकता है | इसलिए
हमे अपना पूरा ध्यान खाने पर ही रखना चाहिए |
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