सामान्य रोग और उनका उपचार

सिर दर्द , अक्षि शूल और पूरे शरीर में दर्द आदि बीमारी में ठन्डे व गर्म पानी से सेकने से हमें फायदा मिलता है | इस अवस्था में हमें हल्के भोजन का सेवन करना चाहिए |

जिस  किसी  व्यक्ति को आधे सिर में दर्द हो तनाव रहता हो, जीर्ण मस्तिस्क दर्द , अवसाद इत्यादि मानसिक बीमारियों में जलनेति, मिटटी क्रीडा, स्नेह नेति, गीली मिटटी की पट्टी, सिर की मालिश और पूरे शरीर पर मिटटी के लेप लगाने से मनुष्य के  सिर में दर्द , और तनाव आदि रोग ठीक हो जाते है | और हमें बहुत शांति मिलती है | इन विधियों के आलावा पीड़ित व्यक्ति को केवल तरल पदार्थों का सेवन ( रसो उपवास ) , फल पर निर्भर रहना  और जलोपवास ( केवल जल पर ही निर्भर रहना)  करना चाहिए | रोगी को संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करना नहीं भूलना चाहिए | क्योंकि मात्र शुद्ध और पौष्टिक आहार खाने से ही हमारे शरीर की अनेकों बीमारी ठीक हो सकते है |

कई मनुष्य चर्म रोग से पीड़ित हो जाते है | चर्म रोग जैसे :- सोरायसिस , खुजली , दाद ,  एग्जिमा आदि इस बीमारी में मनुष्य बहुत ही परेशान हो जाता है | चर्मरोग में हमे मिटटी की पट्टी , एनिमा , वाष्प स्नान , धूप स्नान , करना चाहिए | इस रोग को कम करने के लिए हमे चिकित्सा के आलावा कडवे पदार्थोँ और शोधक पदार्थो का सेवन करना चाहिए जैसे नीम की पत्तियां , संतरा , मौसंम्बी, नीम्बू इत्यादि |

वृक्क से जुडी हुई समस्या में हमे पेडू और वृक्क पर ठन्डे और गर्म पानी का सेक करना चाहिए | इस बीमारी में हमे कटी स्नानं , वाष्प स्नान , धूप स्नानं , आदि प्रयोगों से हमें लाभ मिलता है | और अधिक लाभ पाने के लिए आयुर्वेदिक तेल की मालिश करनी चाहिए , नीम के पानी का एनिमा पीना चाहिए | इससे हमे बहुत फायदा मिलाता है |


प्राकृतिक चिकित्सा और रोगी की बीमारी जिसके बारे में हमने पहले वर्णन किया है वो सभी  उपयोग व किर्याये पीड़ित व्यक्ति की स्थिति के अनुसार करना चाहिए | यदि रोगी की स्थिति कमजोर है तो उसे पूरे दिन का उपवास नहीं करना चाहिए | बल्कि उसे पौष्टिक और संतुलित आहार करना चाहिए | प्राकृतिक चिकित्सा और योगासन दोनों एक दूसरे के विपरीत होते है | अत: अलग – अलग बीमारियों में प्रणायाम , षट्कर्म , और ध्यान का प्रयोग करना बहुत जरूरी हो जाता है | 

प्राकृतिक चिकित्सा में बताई गई विधि और उपयोगो को करने से मनुष्य जीवनभर विभिन्न प्रकार की बीमारियों से मुक्त होकर सुख से अपना जीवन व्यतीत करता है | अत: हमे प्रक्रितक चिकित्सा  का उपयोग बहुत ही सूझ बुझ के साथ करना चाहिए |

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