स्वप्न दोष , प्रमेह , शुक्रमेह, वीर्य का जल्दी निकलना , अण्डाणु और शुक्राणु से संबंधित दोष , नपुंसकता तथा बच्चा न होना आदि बीमारी में एनिमा , ठंडा – गर्म सेक , गीली मिटटी की पट्टी , आयुर्वेदिक औषधियों से बने हुए तेल से कंधे की मालिश करे , इसके आलावा , मेहन स्नान , रीढ़ स्नान , पूरे शरीर पर मिटटी का लेप करने से और सूर्य स्नान करने से इन सभी बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है | इन सभी क्रियाओ के आलावा हमे संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करने से भी हमें फायदा मिलता है | जिन पौषक तत्वों की शरीर को जरुरत है भोजन द्वारा उन पौषक तत्वों को ग्रहण कर ले. गन्दी फिल्मों और संगत से बचे. मन को अपनी पढाई या फिर काम धंदे में लगाये. मन में बुरे ख्याल न पनपने दे .
नीम के एनिमा के उपयोग से नपुसंकता
और शुक्र अल्पता की बीमारी ठीक की जाती है | इस प्रकार कि विधि के अलावा मनुष्य के
शरीर के अंग जैसे :- रीढ़ , पेडू , और पिंडलियों की मालिश की जाती है | वृषण पर
मिटटी का लेप लगाया जाता है , धूप स्नान , ठंडा कटी स्नान, मेहन स्नान आदि का
उपयोग भी लाभदायक सिद्ध हो सकता है | इन सभी उपयोगों के साथ – साथ हमें पौष्टिक और संतुलित
आहार का भी सेवन करना चाहिए |
एड्स यह एक प्रकार की खतरनाक बीमारी है इस बीमारी को ओजक्षय भी
कहते है | इस बीमारी का अधिक प्रकोप मनुष्य की जान भी ले सकता है | इसलिए हमें इस
बीमारी का उपचार समय रहते करवा लेना चाहिए | इस बीमारी की प्रतिरोधक क्षमता के
अनुसार मिटटी की पट्टी , एनिमा , कटी स्नानं , सूर्य स्नानं , करना चाहिए | इस रोग
को कम करने के लिए रोगप्रतिरोधक क्षमता वाले भोजन का उपयोग करना चाहिए |
रक्त प्रदर , श्वेत प्रदर , गर्भाशय की गाठ , मासिक
धर्म का ज्यादा स्रावित होना, मासिक धर्म में अधिक दर्द होना, मासिक विकार , गर्भ पात , गर्भ स्राव में गीली
मिट्टी की पट्टी का उपयोग कर लेना चाहिए | नीम के पानी से योनी की साफ सफाई करना चाहिए
| , नीम के पानी का एनिमा पीना चाहिए | इसके आलावा कटी स्नानं , वाष्प स्नानं ,
रसाहर , और पौष्टिक आहार का भी सेवन करना चाहिए | पौष्टिक खाना खाने से हम स्वस्थ
रहते है |
महिलाओं में सफेद पानी की समस्या |
महिलओं के चेहरे पर कील , मुहासे हो जाते है
जिससे उनके चहरे की सुन्दरता खराब हो जाती है | कील मुहासे को दुर करने के लिए
मिट्टी की पट्टी, करनी चाहिए , नीम के पानी से अपने चेहरे को धोना चाहिए , शहद तथा
निम्बू के रस से मालिश करनी चाहिए | कटी स्नान , वाष्प स्नान , आदि कुछ तरीके को
अपनाना चाहिए | इसके आलावा ताज़ा और पौष्टिक आहार के प्रयोग से भी हमें फायदा मिलता
है |
मिटटी की पट्टी और मृदु वाष्प स्नान के उपयोग से वेरीकोज
में हमे लाभ मिलता है | और हर्निया जैसे रोग में मिटटी की पट्टी, एनिमा कटी स्नान , गर्म पाद स्नानं , मालिस के बाद धुप स्नान करना चाहिए | इस बीमारी को दूर करने के लिए विभिन्न प्रकार के आसनों
और प्राणायाम का भी प्रयोग करना चाहिए |
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