रिटायर्मेंट के बाद की परेशानी का हल , Reitayrment Ke Baad Ki Preshani Ka Hal |

 Reitayrment Ke Baad Ki Preshani Ka Hal
 Reitayrment Ke Baad Ki Preshani Ka Hal
60 साल की उम्र में भी तन्दुरस्त रहने का उपाय :- जिन स्त्री और पुरुष की आयु 50 से उपर और 60 साल तक की हो जाती है | वे लोग अपनी जिम्मेदारी से फ्री हो जाते है | जो महिलाएं कामकाजी होती है , उनके जीवन में इस समय बहुत सी परेशानी आ जाती है | वो अपने आप को कैद समझने लगती है | यदि आप उनमे होने वाले कुछ बदलाव को समझ लेते है तो बहुत सी मुश्किलें आसान हो जाती है |
वृद्ध मनुष्य के सामने एक ऐसा पडाव भी आता है , जंहा उनकी पूरी जिन्दगी बदल जाती है | क्योंकि जिम्मेदारी से बाद नियमित रूप से घर से निकलना मुश्किल हो जाता है | इसलिए जरूरी है कि सेवानिवृति के बाद स्थितयों को देखते हुए अपनी जीवन शैली का चुनाव करें | इसके आलावा अपने खान – पान का भी ध्यान रखें | चिकत्सकों का मानना है कि लोग सेवा निवृत के बाद जिस चीज को लेकर अधिक डरते है , वो है , उनकी किसी भी चीज में भागीदारी ना होना , अपने सहकर्मियों से दूर होना और आय की कमी | सेवा निवृति के बाद सबसे बड़ी समस्या उनकी अहमियत की होती है | क्योंकि ऐसे समय में गाड़ी बंगला ही नही नौकर चाकर भी वापिस हो जाता है | उन्हें ये स्थित बर्दाश नही होती | इन सभी चीजों से बचने के लिए लोगो को इस बात के लिए अपने आप को पहले से ही तैयार हो जाना चाहिए | रही बात आर्थिक स्थिति की उसके लिए भी पहले से ही तैयारी कर लेनी चाहिय |
Vridh Avsatha Mein Ane Vali Dikkte
Vridh Avsatha Mein Ane Vali Dikkte
समाज में अपनी एक पहचान बनाएं रखने के लिए अपनी क्षमताओं के अनुसार जीवन शैली का चुनाव करें | इस उम्र में आप योजनाबध तरीके से अपना अनुभव प्रयोग करें | इस उम्र में ऐसे बहुत से काम है | जिनसे आपका मन लगा रहेगा और खालीपन दूर हो जायेगा | काम करने से आपको कुछ आय की भी प्राप्ति हो जाएगी | अपने अनुभव से आप लोगों का मार्गदर्शन कर सकते है | अगर आपको पढ़ने लिखने का शौक है ,तो आपके लिए अनेकों पत्र – पत्रिका के दरवाजे खुले है | यदि आप समाज की सेवा करना चाहते है , तो जरुरतमन्द बच्चों की शिक्षा बाँटने से और अच्छा काम हो ही नही सकता | इसके आलावा आप एक और काम कर सकते अहि | अपने मित्रों या सम्बन्धियों के साथ कोई भी व्यवसाय शुरू कर सकते है | ऐसा करने से इस उम्र में आपको घरेलू जीवन की भावनात्मक ठेस का समाना नही करना पड़ेगा | इस काम को करते हुए आपको ये सोचना है कि आपको अपने लिए ही नही बल्कि पीढ़ी के लिए भी जीना है |
कामकाजी मनुष्य के लिए रिटायर्मेंट उनके जीवन का एक ऐसा पडाव है | जंहा से उनकी एक नई जिन्दगी की शुरुआत होती है | जंहा सब कुछ बदल जाता है| पुरुष तो जब 60 साल का हो जाता है , तो किसी न किसी तरीके से घर से बाहर निकलने के रास्ते ढूंढे ही लेते है| परन्तु इस बार बात आती है वृद्ध महिलाओं की | जिनके सामने यह एक बहुत बड़ी समस्या है | क्योंकि वे रिटायर्मेंट के बाद घर में कैद होकर रह जाती है | इसलिए हमारे लिए जरूरी है कि हमे एक नये नजरिये से सोचना चाहिए |
समय के रहते तैयारी कर लेनी चाहिए :- आप अपने घर में किसी भी कामकाजी महिला को लें | जो कंही बाहर काम करने के लिय जाती है | जब उस महिला की उम्र रिटायर्मेंट की होती है , तो उससे पहले ही उसका मन उदास रहने लगता है | उनके मन में हमेशा यह विचार आता है कि मै रिटायर्मेंट के बाद कंहा रहूंगी और किस तरह से अपना आगे का जीवन बिताऊँगी | यही बात है कि लम्बे समय तक घर और ऑफिस में काम करने वाली महिलाओं की उपयोगिता धीरे – धीरे कम हो जाती है | जिनसे उनके मन को गहरा धक्का लगता है | उन्हें इस बात का बहुत दुःख होता है |
Vridh Avshtha Mein Koun Sa Kaam Kren,
Vridh Avshtha Mein Koun Sa Kaam Kren, 
डॉक्टर का यह मानना है कि सेवा निवृति के बाद लोग को जिस चीज से सबसे अधिक डर लगता है | वह है , कामों में उनकी भागीदारी का कम होना , अपने सहकर्मियों से दूर होना और आय में कमी होना | अत: समय रहते इन परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयारी कर लेनी चाहिए | जिससे आप रिटायर्मेंट के बाद आने वाली स्थिति के बदलाव को बड़ी ही आसानी से निपट सकते है | डॉक्टरों का यह भी कहना है कि आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए पहले से ही तैयारी कर लेनी चाहिए | जिस समय आप नौकरी करते है | उस समय के दौरान नियमित रूप से बचत करना बहुत जरूरी होता है | ऐसा करने से रिटायर्मेंट तक आपके पास अच्छा खासा पैसा जमा हो जाता है | क्योंकि आजकल पैसे पर ही दुनिया में आपका स्थान बना रहेगा | जब आपके पास अच्छा पैसा होगा तो परिवार में और समाज में आपकी पहचान बनी रहेगी | इससे आप रिटायर्मेंट के बाद भी आत्मविश्वास से भरे रहेंगे |  इसके आलावा समाज में अपनी स्थिति को बनाये रखने के लिए यह जरूरी आर्थिक स्थिति की उसके लिए भी पहले से ही तैयारी कर लेनी चाहिय | समाज में अपनी एक पहचान बनाएं रखने के लिए अपनी क्षमताओं के अनुसार जीवन शैली का चुनाव करें |बढती हुई उम्र का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि रिटायर्मेंट से पहले सभी फैसले उम्र को ध्यान में रककर करते है | लेकिन रिटायर्मेंट के बाद अपना नजरिया बदलना होगा | इस उम्र में आप अपनी इच्छा के अनुसार काम का चुनाव कर सकते है | अपने मनोरंजन के लिए शौक को जिन्दा किया जा सकता है |
 Khane Peene Ka Rutin Naa Bdlen
 Khane Peene Ka Rutin Naa Bdlen
अपना रूटीन ना बदलें:- दुनिया में बहुत सी महिलाएं ऐसी है | जिनके लिए रिटायर्मेंट किसी अभिशाप से कम नही है|ऐसी ही कुछ महिलाओं में से एक महिला के बारे में हम आपको बता रहे है | इस महिला का नाम श्री मति माया देवी है | दो साल पहले तक इनका शरीर बिल्कुल फिट था | वह हमेशा दिन रात काम करती रहती थी | काम करने में तो उन्होंने अपनी बहुओं तक को मात दे दी थी | लेकिन आज वो चलने – फिरने में बहुत ही लाचार हो गई | उनका इलाज हड्डियों के डॉक्टर के पास चल रहा है | डॉक्टर का यह मानना है कि रिटायर्मेंट के बाद यह परेशानी आ सकती है | क्योंकि जब आप रिटायर नही होते है तो उस समय आपकी नियमानुसार दिन के काम होते है | लेकिन रिटायर्मेंट के बाद तो दिनचर्या में पूरा बदलाव हो जाता है | जो परेशानी का कारण बन जाती है | दूसरी सबसे बड़ी समस्या है | खान – पान की और कम ध्यान देना | क्योंकि लोग रिटायर्मेंट के बाद अपने खान – पान पर पहले की तरह ध्यान नही देते | ऐसी अवस्था में उन्हें स्वास्थ्य से जुडी हुई समस्याओं का सामना करना पड़ता है | जब व्यक्ति की अवस्था वृद्ध हो जाती है | तो उस समय उन्हें हड्डियों की बीमारी , जैसे घुटनों में दर्द , कमर में दर्द या गर्दन में दर्द आदि आम बात हो जाती है | जिस तरह से उम्र बढ़ने के साथ शरीर के अन्य अंगों में कुछ बदलाव आते है | उसी तरह से हड्डियाँ बढने से उसके बनावट में भी कुछ बदलाव आ जाते है | अगर कोई भी महिला और पुरुष अपने रोजाना के रूटीन को नही बदलते है तो बढती उम्र में आने वाली परेशानियाँ कुछ कम हो जाती है | इसके आलावा रिटायर्मेंट के बाद रोजाना सुबह और शाम के समय खाना खाने से पहले 10 – se 15 मिनट तक एक्साइज करना चाहिए | इसके साथ ही साथ संतुलित और सादा भोजन करना चाहिए |
 Smay Se Phle Hi Taiyri Kren
 Smay Se Phle Hi Taiyri Kren
अपनी दिनचर्या के बदलने से आता है बदलाव :- बढती उम्र के साथ मनुष्य को अचानक कोई न कोई शरीरिक परेशानी आ सकती है | क्योंकि जब व्यक्ति की रिटायर्मेंट नही होती है तो उस समय व्यक्ति की एक अलग दिनचर्या होती है | उनका पूरा दिन भाग दौड़ में चला जाता है | लेकिन बाद में बदली हुई दिनचर्या और बंद हुई भाग दौड़ भरे जीवन में बहुत ही शरीरिक परेशानी आ जाती है | जब व्यक्ति की उम्र 60 साल की हो जाती है | तो उन्हें हड्डियों से जुडी हुई परेशानी घेर लेती है | जैसे घुटनों में दर्द , कमर में दर्द ,या गर्दन में दर्द आदि | जिस तरह से व्यक्ति की उम्र बढती है ठीक उसी तरह से व्यक्ति के शरीर के अंगों में परिवर्तन आने लगता है| उनकी हड्डियाँ बढ़ जाती है | और शरीर की बनावट में भी कुछ बदलाव आ जाते है| मनुष्य के शरीर में यह बदलाव लगभग 40 से 50 साल की उम्र के बाद शुरू हो जाता है | इन परेशानी से राहत पाने के लिए व्यक्ति को प्रौढ़ावस्था में अपने खाने – पीने का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए | क्योंकि उम्र के बढ़ने के साथ खान – पान में भी बदलाव की जरूरत होती है | उन्हें ऐसा भोजन देना चाहिए | जिससे उनके शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत मिल सके | प्रौढ़ावस्था के दौरान कुछ उपाय का नियमित रूप से पालन करें |
रोजाना सुबह और शाम के समय कम स एकम 10 मिनट तक व्यायाम करें | इसके आलावा सुबह के समय ताज़ी हवा में सैर करने तो जरुर जाएँ |
MAN KO ACCHA LGNE VALA KAAM KREN
MAN KO ACCHA LGNE VALA KAAM KREN 
जिस भोजन में कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है उस तरह का भोजन खाएं | इसके आलावा हरी सब्जियों का सेवन अवश्य करें |
अपने शरीर की लगातार डॉक्टर से जाँच कराते रहे | जैसे बी पी या शुगर की जाँच | यदि कोई समस्या हो जाती है ,तो समय रहते उपचार करवाएं |
सर्द गर्म होने से अपने शरीर को बचाए रखें | यदि नही बचा पाए तो जोड़ों का दर्द हो सकता है |
डॉक्टर से सलाह लेकर रोजाना एक्साइज करें |दर्द होने पर जरूरत से अधिक दर्द निवारक दवा का सेवन नही करना चाहिए |
घुटनों में दर्द होने पर पानी में नमक मिलाकर गर्म कर लें | और तौलिया को पानी में भिगाकर दर्द वाले स्थान पर सिकाई करें |  
जब व्यक्ति की उम्र 60 साल की हो जाती है | तो उस व्यक्ति को थोड़ी – थोड़ी मात्रा में कई बार खाना चाहिए | एक दिन में कम से कम 5 से 6 बार खाने की कोशिश करें | जैसे तीन बार भारी खाना और तीन बार हल्का खाना खाएं |  
बढती हुई उम्र में कब्ज का होना बहुत ही हानिकारक होता है | इससे बचने के लिए फाइबर युक्त भोजन का उपयोग करना चाहिए|
अपने भोजन में सलाद की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए | इसके आलावा फलों का सेवन भी करना चाहिए | यदि आप सेब खाते है तो उसे छिलके सहित खाएं | यदि आपको सेब या गाजर चबाने में कोई परेशानी हो रही हो तो , इनके छोटे – छोटे टुकडें कर लें इसके बाद खाएं |
दलिया चोकर वाला आटा , गेंहू , जौ आदि का सेवन करना चाहिए | इसके आव हरी पत्तेदार सब्जियां , दालें , कमल ककड़ी आदि प्रचुर मात्रा में खाना चाहिए | विटामिन सी वाले फलों का सेवन करना चाहिए जैसे :- निम्बू , टमाटर , केला , अंगूर , चीकू , आंवला और अन्य खट्टे फल आदि |
व्यक्ति की उम्र के साथ हड्डियाँ कमजोर हो जाती है | इसलिए व्यक्ति को कैल्शियम वाले पदार्थ का सेवन करना चाहिए| जैसे मछली, सोया मिल्क दूध और दूध से बने हुए पदार्थ |
इस उम्र में किन चीजों से परहेज करना चाहिए | इसकी जानकारी इस प्रकार से है |
इस उम्र में तली हुई चीजे ना खाएं | जैसे ब्रेड, समोसा , आदि इसे खाने से शरीर में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ जाता है|
TAZE FLON KA SEVN KREN
TAZE FLON KA SEVN KREN 
जिस अनाज पर पोलिश की जाती है | उनका सेवन भी वर्जित होता है | जैसे :- मैदा , नुडल्स , आलू , सभुत दालें आदि के सेवन से बचना चाहिए |
इस उम्र में शुगर को बढ़ाने वाली चीजों का भी सेवन नही करना चाहिए | इससे शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है | जिससे आपके शरीर को हानि हो सकती है |






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