कान में होने वाली बीमारियाँ | कान का बहना


हमारा कान बहुत ही सवेदंशील इंद्री है, जिसके नाजुक होने के कारण अधिक देखभाल करने की जरुरत पड़ती है, अगर कान में किसी भी प्रकार की कोई प्रॉब्लम या समस्या है तो हमें उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, अगर किसी भी तरह का दर्द या फिर मवाद की शिकायत होती है तो तुरन्त अपने नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करे. सभी सरकारी हॉस्पिटल्स में भी इसकी जाँच मुफ्त की जाती है,

कान में होने वाली बीमारियाँ –

कर्ण स्राव ( कान का बहना )
कर्ण नांद
कन्फ़ेड
कान में दर्द 
बहरापन 

डॉक्टर से कान के बारे में सीखने योग्य बातें और प्रश्न ?

कान का दर्द किन किन कारणों से होता है ?

कान की साफ़ सफाई कैसे करे ?

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कान के स्वास्थ्य के लिए क्या भोजन करे ?

कान के परदे को डैमेज होने से कैसे बचाया जा सकता है ?


कर्णस्त्राव व बधिरता की बीमारी का ईलाज : -

सामग्री : -

सारिवादि वटी (saarivadi vati ) :- २० ग्राम

चंद्रप्रभा  वटी (chandraprabha vati ) :- ४० ग्राम

शिलाजीत  रसायन (shilajeet rasayan) :-  ४० ग्राम

त्रिफला गुग्गुलु (trifala guggal) :-  ४० ग्राम


इस सभी आयुर्वेदिक औषधियों को आपस में मिलाकर इनकी छोटी छोटी आकार की गोलियां बना लें | और किसी डिब्बे में बंद करके रख दें |  रोजाना एक एक गोली का सेवन खाना खाने के बाद हल्के गर्म पानी के साथ करे | इन औषधियों का प्रयोग एक दिन में कम से कम दो बार अवश्य करे |
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सामग्री : -
सारस्वतारिष्ट   :-   ४५० मिलीलीटर

किसी भी अच्छी आयुर्वेदिक कंपनी से सारस्वतारिष्ट नामक  औषधी खरीद कर इस औषधी की चार चम्मच की मात्रा में चार चम्मच पानी की मात्रा मिलाकर पी लें | इस प्रयोग को सुबह और शाम खाना खाने के बाद प्रयोग करे |

सामग्री : -

कायाकल्प तेल    :-  १०० मिलीलीटर

इस आयुर्वेदिक तेल को प्रभावित स्थान पर लगायें बहुत फायदा मिलेगा  |

 नोट :- इस बीमारी को दूर करने के लिए सबसे पहले डाक्टरों की सलाह लेनी चाहिए |

 १. सुदर्शन नामक पत्ते को पीसकर इसका रस निकाल लें | इस रस की २ २ बूंद कान में डालने से कर्णस्त्राव बंद हो जाता है |

 २. तुलसी के कुछ पत्तो को पीसकर इसका रस निकाल कर इस रस की २ २ बूंद की मात्रा को रोजाना कान में डालने से भी  कान का बहना ठीक हो जाता है |

 ३. इसके आलावा पत्थरचट्टे के पीले पत्ते को पीसकर इसका रस निकाल लें | और इस रस को हल्का गर्म करके अपने कानो में डाल लें | इस उपचार को करने से कर्णस्त्राव और कर्णशूल की बीमारी ठीक हो जाती है |

कर्णनाद की बीमारी का ईलाज : -

सामग्री : -

विषतिन्दुक वटी (vishtinduk vati)  :-  ४० ग्राम

चन्द्रप्रभा  वटी (chandra prabha vati)   :-    ४० ग्राम

सारिवादी वटी (saarivadi vati )     :-   २० ग्राम

इन तीनो आयुर्वेदिक औषधियों को आपस में मिलाकर छोटी छोटी आकार की गोलियाँ बनाकर किसी डिब्बे में बंद करके रख दें | रोजाना एक एक गोली दिन में तीन बार खाना खाने के बाद हल्के गर्म पानी के साथ खाएं |  इस उपचार को करने से कर्णनाद की परेशानी से छुटकारा मिल जाता है |

सामग्री : -
अश्वगन्धा  चूर्ण     :- १०० ग्राम
वातारि  चूर्ण         :-  १०० ग्राम

 रोजाना खाना खाने से लगभग आधा घंटा पहले इस औषधी के मिश्रण को हल्के गर्म पानी के साथ खाने से इस बीमारी से छुटकारा मिल जाता है |


सावधानियाँ : - 

अगर कान में किसी भी प्रकार की कोई बीमारी है तो निम्न बातों का जरूर ध्यान रखे ,

कान में पिन या सींक बिलकुल भी न डाले , 

किसी नुकीली वास्तु से कान की सफाई न करे , 

कॉटन और रुई लगा कर ही कान की साफ़ सफाई करे, 

अधिक दिन तक सर्दी जुकाम न रखे , इनका तुरंत इलाज करवाये ,

नाक साफ करते समय अधिक जोर से अपनी श्वास नाक द्वारा न निकाले, ऐसा करने से पर्दा क्षतिग्रस्त हो सकता है.

अधिक अलेर्जिक भोजन से बचे , 

सौन्दर्य प्रसाधनों का प्रयोग कम करे , 

इत्र इत्यादि के अधिक प्रयोग से बचे,

गले को साफ़ रखे , 

खांसी न होने दे , 

बिना चिकित्सक की सलाह के किसी भी प्रकार की दवा न ले , 
ड्राइव करते समय हेलमेट का प्रयोग हमारे कान को बचाता है इसलिए सैदेव हेलमेट पहने , 


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1 comment:

  1. कान बहने की वजह से कम सुनाई देता हो तो क्या करे

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