भगवान विष्णु का धाम बद्रीनाथ |
भगवान विष्णु का धाम बद्रीनाथ |
बद्रीनाथ की यात्रा :- बद्रीनाथ बद्री नारायण का मन्दिर है | यह भारत के प्रसिद्ध चार धामों में से एक धाम है |यह धाम उतराखंड राज्य में अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित है |यह भगवान नारायण की गोद में बसा हुआ नीलकंठ पर्वत का भाग है | इस मंदिर को आदि गुरु शंकराचार्य के द्वारा स्थापित किया गया | इस मन्दिर के तीन भाग है | 1. गर्भ गृह 2. दर्शन मंडप 3. सभामंडप | बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का धाम है | यह एक ऐसा धाम है जंहा नर और नारायण दोनों मिलते है | यह धाम हिमालय के पूराने तीर्थ में से एक है |
नर नारायण पर्वत |
मंदिर की संरचना :- भगवान बद्रीनाथ के मंदिर को सुंदर चित्रकारी से सजाया है | इसके मुख्य द्वार का नाम सिंहद्वार है | इस मंदिर में 15 मूर्तियाँ है | इन सब मूर्तियों में से एक मूर्ति मुख्य है | भगवान विष्णु की एक मीटर ऊँची काले पत्थर वाली मूर्ति | इस मूर्ति में भगवान विष्णु ध्यान मग्न वाली मुद्रा में बैठे है | इस मूर्ति के दाई ओर कुबेर लक्ष्मी और नारायण की मूर्ति है | इस स्थान को धरती का वैकुण्ठ भी कहा जाता है | इस धाम में स्थापित भगवान विष्णु के मस्तक पर एक हीरा लगा हुआ है | इस मूर्ति के मुकुट को सोने से सजाया हुआ है | मंदिर के निकट एक कुण्ड बना हुआ है जिसका पानी हमेशा गर्म रहता है | यह मंदिर अप्रैल – मई से अक्तूबर नवम्बर तक खुला रहता है |
बद्रीनाथ का मंदिर |
विशालकाय बद्री :- बद्रीनाथ के मंदिर में भगवान विष्णु के पांच रूपों की पूजा की जाती है | इनके पांच रूपों को पञ्च बद्री के नाम से जाना जाता है | बद्रीनाथ के मुख्य मंदिर के आलावा यंहा और चार मन्दिर स्थापित है | श्री विशाल बद्री पञ्च बद्रियों में से एक है | इस रूप के बारे में एक कहावत है जो इस प्रकार से है :- धर्मराज के पुत्र नर के साथ नारायण ने बद्री नामक वन में तपस्या की थी | जिससे इंद्र का घमंड चूर – चूर हो गया था | बाद में यही नर और नारायण द्वापर युग में भगवान कृष्ण और अर्जुन के रूप में अवतरित हुए थे | जिन्हें हम विशाल बद्री के नाम से जानते है |
विशाल बद्री |
इसके आलावा श्री योगध्यान बद्री , श्री भविष्य बद्री और श्री वृद्घ बद्री आदि के मंदिर में भगवान बदरीनाथ निवास करते है |
बद्रीनाथ के कपाट साल में छ: महीने बंद रहते है | जब मंदिर के दरवाजेखुलते है तो उसमे जली हुई अखंड ज्योति के दर्शन करना अधिक फल दायक माना जाता है |
अलकनंदा का उद्गम |
अलकनंदा का उद्गम :- जब देवी गंगा धरती पर अवतरित हुई थी तो धरती उनका प्रबल वेग सहन नही कर सकी | इसके बाद गंगा की धारा बारह जल मार्गों में विभाजित कर दी गई | उनमे से एक अलकनंदा के नाम से विख्यात हुई |
बद्रीनाथ में घूमने का स्थान :- बद्रीनाथ के पास अनेक ऐसे स्थल है जंहा पर आप घूमने जा सकते है | जैसे :- १. अलकनंदा तट के पास गर्म पानी का कुण्ड | इस कुण्ड का पानी हमेशा गर्म रहता है |
घूमने का स्थान |
· सापों का जोड़ा
· शेषनाग की छाप वाली शिलाखंड
· चरण पादुका :- जंहा भगवान विष्णु के पैरों के निशान है | इस स्थान पर भगवान विष्णु बाल रूप में अवतरित हुए थे |
· बर्फ से ढका हुआ ऊँचा शिखर नील कंठ |
· भीम पुल :- यंहा भीम ने सरस्वती नदी को पार करते समय एक विशाल पत्थर को नदी के उपर रख दिया था | जिसे भीम पुल कहा जाता है |
· लक्ष्मी वन :- यह वन लक्ष्मी माता के नाम से प्रसिद्ध है |
· वसु धारा :- इस स्थान पर अष्ट वसुओं ने तपस्या की थी | माना जाता है कि जिसके उपर इस धारा की बूंद गिर जाती है | उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है | वो पापी नही होता |
· अलका पूरी :- यह धन देवता कुबेर का निवास स्थान है |
इन सभी स्थानों के आप दर्शन कर सकते है |
बद्रीनाथ जाने का रास्ता :- बद्रीनाथ जाने के लिए आप रेल मार्ग , वायु मार्ग और सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते है | बद्रीनाथ के सबसे पास का रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है | इसके लिए पहले आपको ऋषिकेश जाना होगा उसके बाद आप ऋषिकेश से रेल के द्वारा बद्रीनाथ जा सकते है | इसके आलावा आप अपनी खुद की गाड़ी में भी जा सकते है | यदि आप वायु मार्ग जाते है तो आप इंद्रा गाँधी हवाईअड्डे से जा सकते है |
बद्रीनाथ एक तीर्थ स्थल | Bdrinath Mein Ghumne Ka Sthan | Bdrinath
Ka Itihas | Bdrinath Mandir ki Visheshta |
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