स्तनपान का आरम्भ
माँ को हमेशा शिशु
को आराम से दूध पिलाना चाहिए | जो महिलाएं शिशु को लेटे – लेटे दूध पिलाना सरल
समझती हैं | वे शिशु को दूध पिलाने के लिए उसे अपने बिस्तर पर एक ओर लिटा ले और
खुद उसकी तरफ करवट लेकर लेट कर भी दूध पिला सकती हैं | माँ को हमेशा शिशु के नजदीक
रहकर ही दूध पिलाना चाहिए |
माँ को शिशु के इतने करीब रहना चाहिए कि
स्त्नार्ग शिशु के होठों से लगा रहे | अगर शिशु को स्तनपान के समय सांस लेने में
परेशानी होती हैं तो स्त्नार्ग को अपनी उँगलियों के बीच में रख ले | जिससे उसे
शिशु को सांस लेने में आसानी हो |
माँ को हमेशा शिशु
को अपने सुविधा के अनुसार ही दूध पिलाना चाहिए | अगर माँ शिशु को सुबह और रात को
गोद में लेकर दूध पिलाये तो यह शिशु और माँ के लिए काफी लाभदायक होता हैं |
शिशु को दूध पिलाते
समय माँ का प्रसन्नचित रहना बहुत आवश्यक होता हैं | माँ के प्रसन्नचित रहने से दूध
आराम से उतरता हैं और माँ के परेशान रहने से या की मानसिक तनाव में रहने से दूध का
बहाव रुकने लगता हैं , प्रसन्नचित मुद्रा में दूध पिलाने से बच्चे और माँ , दोनों
के स्वभाव में फर्क पड़ता है |
navjaat ko stnpaan kab or kaise karwaye, स्तनपान करवाने का सही समय, स्तनपान के लाभ व फायदे, |
कुछ सप्ताह में माँ
के दूध के उतरने का प्रभाव बच्चे की भावनाओं पर निर्भर करता हैं | जब बच्चा रोने
लगता हैं तब माँ के स्तनों में दूध का बहाव अपने आप ही बढ़ने लगता है |
सभी शिशु के स्तनपान
करने का ढंग अलग होता हैं | कुछ बालक बहुत तेजी से स्तनार्ग को मुहं में खीचते हैं
और उनके मुहं से स्तनार्ग बाहर आ जाती हैं | और कुछ शिशु बहुत आराम से स्तनपान
करते हैं |
जब बच्चा दूध पीता हैं
तो उसे आराम से दूध पीने दे | यदि आप उसके गालो को दबाकर उसका मुहं खोलना चाहते हैं
या उसका सर पकड कर उसे दूध पीलाना चाहते हैं ऐसा नही करना चाहिए | बच्चे को
जबरदस्ती बिल्कुल पसंद नही होती और वह हिलने लगता हैं हाथ – पैर मारने लगता हैं |
जिससे आप परेशानी हो जाती हैं | शिशु को कुछ समय तक दूध पिलाते – पिलाते उसे खुद
आदत हो जाती हैं |
जब शिशु जन्म लेता हैं
उसके अठारह घंटे में शिशु को स्तनपान कराया जाता हैं | दो – तीन दिनों तक माँ का
दूध नही निकलता हैं, बल्कि खीस नाम का तरल पदार्थ निकलता हैं | इसी कारण बच्चे को
भूख नहीं लगती हैं, और वह दो – तीन दिनों तक चुपचाप ही सोता हैं | इन दिनों में
स्तनपान पांच मिनट से ज्यादा नही कराना चाहिए, और रात को दो बच्चों को स्तनपान नही
करा सकते हैं |
क्योंकि उस समय माँ
को प्रसव की थकान बहुत होती हैं |
शिशु
के जन्म लेने के तीसरे या चौथे दिन में दूध सही मात्रा में उतरने लगता हैं | जिन
माताओं के पहले कई बच्चे हुए होते हैं उन्हें दूध जल्दी उतरने लगता हैं | और नई
माताओं को तीसरे या चौथे दिन उतरता हैं | शुरू के दिनों में स्तन दूध से भरे रहते हैं
और दूध शिशु के उत्तेजना के अनुसार उतरता हैं | इसका कारण हैं की बाद में शिशु की
उत्तेजना का कम हो जाना | इसलिए बाद में शिशु को जितनी भूख होती हैं, उसके अनुसार
ही दूध उतरता हैं |
शिशु को शुरू के कुछ दिनों तक पांच मिनट से
ज्यादा देर तक दूध नही पिलाना चाहिए |
फिर कुछ समय बाद समय बढ़ा कर बीस मिनट कर दे | ऐसे
ही धीरे – धीरे शिशु के स्तनपान का समय बढ़ाते रहे | ऐसा करने से सत्नार्गों पर कोई
प्रभाव नही होगा बल्कि आप स्वस्थ ही महसूस करेगी | इसके बाद जब सत्नार्गों को
खिंचाव से दर्द नही होता हो, तो आप बच्चे
की सुविधा के अनुसार और अपनी इच्छा से स्तनपान करा सकती हैं |
जब माँ के स्तन से पूरी मात्रा में दूध उतरने
लगता है तब एक ही स्तन का दूध शिशु के भूख मिटा सकता हैं | कभी – कभी शिशु ज्यादा
भूखा होता है उस समय शिशु को दोनों स्तनों से स्तनपान करना चाहिए | अगर बच्चा
ज्यादा स्तन चूसने लगता है तो उसे ज्यादा देर तक स्तनपान करायें | लेकिन ऐसा भी
चालीस मिनट से ज्यादा नही करना चाहिए | स्तनों को हमेशा बदल बदल कर दूध पिलाये, एक
स्तन को अधिक पिलाना और दूसरे को कम पिलाने से दोनों के साइज़ में अंतर पैदा कर
सकता है.
कुछ शिशु पेट भर जाने के बाद भी स्तनपान करते
रहते हैं और कुछ दो – चार मिनट में ही स्तन छोड़ देते हैं | ऐसे समय में माँ के लिए
यह पता लगाना बहुत मुस्किल होता हैं की शिशु का पेट भर गया हैं या नही | लेकिन
शिशु अपनी भूख के अनुसार दूध पी लेता हैं | अगर शिशु ज्यादा देर तक स्तनपान करता हैं
तो ऐसा भी हो सकता हैं वह सिर्फ खेल रहा हो |
कभी – कभी शिशु स्तनपान के बाद भी रोता रहता हैं,
ऐसा शिशु जरुर किसी रोग से पीड़ित होता हैं, इसलिए उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए
| इससे उसका स्वभाव भी बिगड़ने लगता हैं |
जो माँ अपना आत्मविश्वास खो देती हैं उन्हें
हमेशा यह संदेह रहता हैं की उसका दूध शिशु को पूरी मात्रा में मिल भी रहा हैं या
नही | इसलिए हमेशा खुश रहना चाहिए खुश रहने से दूध की मात्रा बढती है |
माँ को हमेशा स्तनपान करने से पहले स्तनार्गों की
मालिश करनी चाहिए | स्तनपान कराने से पहले अपने हाथों और स्तनों को अच्छी तरह से
धो लेना चाहिए | ऐसा करने की सलाह डॉक्टर भी देते हैं |
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