विरेचन चिकित्सा
प्रणाली
जब रोगी की आंतो में मल इक्कठा हो जाए तो उस व्यक्ति को
बहुत सारी बीमारियों का निमंत्रण आने लगता है , अत आंतो में जमा मल को आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग द्वारा गुदा मार्ग से बाहर निकालने के लिए विरेचन
विधि का उपयोग किया जाता है | यह एक साधारण व महत्वपूर्ण उपचार है | इस विधि
का उपयोग सामान्य रूप से सर्दी के मौसम में किया जाता है | लेकिन यदि बीमारी बहुत
ज्यादा बढ़ गई हो तो इस विरेचन तकनीक का प्रयोग किसी भी मौसम में कर सकते है |
सामान्य रूप से शरीर की बीमारी को ठीक करने और उसकी शुद्धी
करने के लिए विरेचन विधि का उपयोग किया जाता है | इस बीमारी के आलावा कुछ और
बीमारी है जिसका उपचार विरेचन विधि से किया जाता है | जैसे :- पित्त का रोग , खाना
न पचना और उससे होने वाले रोग , अफरा और गैस संबंधी परेशानी , कुष्ठ जैसे चर्म रोग
, कब्ज की समस्या , इन्द्रियों में शक्ति हीनता , बुधि में ताजगी के लिए , रक्त रस शोधन आदि में, धातुओं और मनुष्य के शरीर
में शक्ति लाने में विरेचन विधि का प्रयोग किया जाता है | यह पंचकर्म
चिकित्सा का महत्वपूर्ण व अभिन्न अंग है |
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