खाज , खुजली व श्वेत प्रदर रोग का उपचार :-
इस प्रकार के रोग बरसात के मौसम में या फिर नमी वाले समय
में होने के अधिक सम्भावना रहती है , मानव को यदि श्वेत प्रदर और खुजली का रोग हो तो उसे इस बीमारी को ठीक करने के लिए अगस्त के पौधे की ताज़ी छाल को पीसकर उसका रस निकाल लेना चाहिए । इस रस में एक सूती कपडा भिगोकर योनि में रखने से खुजली और श्वेत प्रदर का रोग ठीक हो जाता है।
रक्त परिसंचरण सम्बन्धी रोग का इलाज
इस
रोग में मनुष्य को अगस्त के पौधे के सूखे हुए फूल को पीसकर बारीक़ करके एक किलो भैंस के दूध में मिलाकर दही जमा दे । अगले दिन सुबह इस दही का मक्खन निकालकर रख ले । थोड़ी देर बाद इस मक्खन से शरीर पर मालिश करे । इसके बाद अगस्त पेड़ के
पत्तों को उबाल ले और गुनगुने पानी से स्नान करे , ऐसा करने के बाद फिर साफ़ पानी
से स्नान कर ले. इस प्रकार के उपचार से वातरक्त की बीमारी ठीक हो जाती है । और साथ ही साथ खाज व चर्म रोग में भी फायदा मिलता है |
तीव्र
स्मरण
शक्ति :-
कई बार मनुष्य कोई भी कार्य करते समय या कुछ सामान रख कर भूल जाता है । तो ऐसी अवस्था में मानव अपने दिमाक पर जोर डालता है । इस प्रकार से स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है । मनुष्य को अपनी बुद्धि को तेज़ करने के लिए अगस्त के पौधे के बीजो को पीसकर बारीक़ चूर्ण तैयार करके इसमें गाय का दूध मिलाकर खाने से स्मरण शक्ति तेज़ हो जाती है । इस प्रकार की विधि का उपयोग दिन में दो बार करने से जल्दी फायदा होता है।
इस बीमारी को सन्निपात या चित्तविभ्रम के नामो से भी जाना जाता है । इस बीमारी में मनुष्य चलते - चलते कहीं भी बेहोश हो जाता है| इस बीमारी को ठीक करने के लिए अगस्त के पत्तों को पीसकर इसके रस की २-४ बूंदो को नाक में डालने से मूर्छा ठीक हो जाता है ।
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