मूर्छा का इलाज :-
इस बीमारी को सन्निपात और मूर्छा भी कहते है । इस बीमारी को ठीक करने के लिए सोंठ , पीपर
और गुड या शक्कर की बराबर की मात्रा में अगस्त के पेड़ के पत्तों के रस में मिलाकर एक से दो बून्द नाक में लेने से फायदा मिलता है ।
गले सम्बन्धी रोग का उपचार :-
यदि
किसी मनुष्य को सूखी खांसी , जीभ
का फटना , कफ या मलगम के साथ खून निकलना और स्वर भंग का रोग है तो ऐसे रोगी को अगस्त की पत्तियों को उबालकर ठंडा करके गरारे करने से ये सभी बीमारी से छुटकारा मिल जाता है ।
पेट
में
दर्द :-
इस बीमारी को ठीक करने के लिए अगस्त के पेड़ की २० ग्राम छाल को उबालकर ठंडा कर लें । फिर इसमें २० भुनी हुई लौंग और सेंधा नमक मिलाकर पीये । इस विधि को एक दिन में कम से कम दो बार करने से पुराने से पुराना पेट का दर्द और पेट में शूल ठीक हो जाता है।
बुद्धकोष्ठ :-
इस बीमारी को ठीक करने के लिए अगस्त के पौधे की लगभग २०० ग्राम पत्त्यिां लेकर इसे ४०० ग्राम पानी में पका लें । जब पानी पकते - पकते लगभग १०० ग्राम रह जाये तो इसे ठंडा करके थोड़ा - थोड़ा
दिन में दो बार पीयें । इस प्रकार की विधि का प्रयोग करके बुद्धकोष्ठ की शिकायत को दूर किया जाता है ।
गठिया
का
रोग :-
इस रोग में मनुष्य को जोड़ो में दर्द होता है जिससे वह उचित प्रकार से उठ - बैठ भी नहीं सकता और चलने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है । इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए अगस्त के पौधे की जड़ और धतूरे के पौधे की जड़ को बराबर मात्रा में लेकर बारीक़ पीसकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से दर्द दूर हो जाता है । जब जोड़ो में दर्द कम हो तो लाल अगस्त के पौधे को पीसकर उसका लेप लगाने से इस दर्द से छुटकारा मिल जाता है और साथ ही साथ सूजन भी ठीक हो जाती है ।
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