अर्श रोग का इलाज :-
इस बीमारी का दूसरा नाम बवासीर है । बवासीर से होने वाले दर्द को ठीक करने के लिए अजमोद को गर्म करके किसी कपडे में बांधकर गुदा को सेकने से इस दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है । अजमोद को पानी में
उबालकर उसको गुनगुना होने पर एक टब में डालकर उसमें बैठ जाये और गुदा की सिकाई करे
ऐसा करने से अर्श पीड़ा कम होगी और धीरे धीरे ठीक होने लगेगी.
पथरी रोग का उपचार :-
सामग्री :- 1. अजमोद का चूर्ण = ३
ग्राम
2. मूली के पत्तों का रस = ५००
मिलीग्राम
3. जवाखार
= ५०० मिलीग्राम
इन
सभी को आपस में मिलाकर रोजाना सुबह - और
शाम पीने से अश्मरी अथार्थ पथरी गलकर मूत्र मार्ग द्वारा धीरे
धीरे बाहर निकल जाती है ।
वायु
प्रकोप :-
वायु से प्रभावित होकर कई बार
हमारे मूत्राशय में कुछ परेशानी आ जाती है । जिसके कारण मूत्र रुक
रुक कर आता है या फिर इसमें जलन भी होती है इसे दूर करने के लिए अजमोद और नमक को एक साफ कपड़े में बांधकर सेकने से वायु नष्ट होकर मूत्राशय की सारी परेशानी ठीक हो जाती है । इसका दुसरा इलाज है कि
पानी में अजमोद को उबालकर गुनगुना होने पर काला नमक डालकर पी जाये इससे आपको लाभ
मिलेगा .
बच्चों के कृमि रोग या चुरने का उपचार :-
बच्चों को गुदा में चुरने या कृमि रोग हो जाने पर थोड़ी से आग पर अजमोद छिड़ककर धुँआ देने से या अजमोद को पीसकर बच्चों की गुदा में लगाने से कृमि या चुरने की शिकायत दूर हो जाती है ।
सर्वांग
शोथ :-
इस बीमारी को ठीक करने के लिए कुछ सामग्रियों की आवश्कयता होगी जो इस प्रकार है ।
सामग्री :-
1. अजमोद
2. छोटी पीपल
3. गिलोय
4. सोंठ
5. अश्वगंदा
6. शतावरी
7. सोंफ
इन
सभी पदार्थों को एक समान मात्रा में लेकर पीसकर महीन व् बारीक़ चूर्ण बना लें । इस तैयार चूर्ण की डेढ़ ग्राम की मात्रा को १० ग्राम गाय के घी के साथ एक दिन में कम से कम दो बार खाने से लाभ मिलता है ।
गठिया रोग का उपचार अजमोद से
गठिया रोग का लिए निम्न सामग्री से उपचार किया जा सकता है
सामग्री :-
1. अजमोद वायबीडिंग
= १० ग्राम
2. देवदारु = १० ग्राम
3. चित्रक =
१० ग्राम
4. पिपला मूल =
१० ग्राम
5. सोंफ =
१० ग्राम
6. पीपल =
१० ग्राम
7. काली मिर्च = १० ग्राम
8. शुंठी = १०० ग्राम
9. हरड़ विधारा = १०० ग्राम
इन
सभी सामग्रियों को मिलाकर बारीक़ करके पीस लें । और इसे पुराने व बिना मसाले वाले गुड के साथ लगभग ६ ग्राम चूर्ण की मात्रा मिलाकर थोड़े गर्म पानी के साथ खा लें । इस प्रकार की विधि के उपयोग से सामान्य वात रोगों का
इलाज संभव है जैसे जोड़ों
का दर्द , पीठ व जांघो का दर्द , शोथ
इत्यादि
ये सभी वात से होने वाले रोगो से छुटकारा मिल जाता है । और शरीर हल्का और स्वस्थ महसूस होता है ।
गर्भवती महिला अजमोद का सेवन न करे
अजमोद
के खाने के बाद छाती में जलन पैदा हो जाती है । गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए । क्योकि यह गर्भाशय उत्तेजिक होती है इसके उपयोग से गर्भपात भी हो सकता है ।
अपस्मार
से पीड़ित रोगी को भी अजमोद का सेवन नहीं करना चाहिए ऐसा करने से हानि हो
सकती है ।
अजमोद का अधिक सेवन निषेध है ये डॉक्टर की सलाह से ही लेना
चाहिए .
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