गोवर्धन पूजा :
दीवाली के अगले दिन गौरधन की पूजा की जाती है | हमारे शस्त्रों में लिखा गया
है की गायें लक्ष्मी जी का स्वरूप है जिस प्रकार वो हमें धन वैभव सुख समृद्धि प्रदान
करती है| ऐसे ही गायें हमें और हमारे जीवन की रक्षा करती है जैसे गाय का दूध
निरोगी माना जाता है इसके सेवन से कोई बीमारी नहीं होती और हमारी बुद्धि भी तेज
होती है, गाय का गोबर जो पहले खाना और भोजन पकाने के काम भी आता था (चूल्हे में
उपले जलाने के काम ) और गायें का बछड़ा बड़ा होकर खेत में हल जोतने के काम आता
था और अनाज के उत्पादन में भागीदारी देता.
आज गोबर से गैस बनाकर रसोई घर में प्रयोग की जाती है द्वापरयुग में देवराज इंद्र
की पूजा की जाती थी| एक दिन गोकुल में सभी गाव वाले इंद्र देव की पूजा में व्यस्त
है तब छोटे से बाल गोपाल ने अज्ञानता वश पूछा की “ मैया ये किसकी पूजा कर रही हो”
तब माता ने बड़े से प्यार से बेटे को बताया की “हम देव राज इंद्र की पूजा कर रही है
ताकि वो हमारी पूजा से प्रसन्न हो कर बारिश करे जिससे हमारी फसले अच्छी होगी और
अच्छी फसल होने से हमारे गाँव में सुख और समृद्धि आएगी “
तब भगवान् कृष्ण ने कहा की हमें गाय की पूजा
करनी चाहिये न की इंद्र देव की उनकी इस बात से देव राज इंद्र नाराज हो गये और
गुस्से में उन्होंने गोकुल में आंधी तूफान और वर्ष शुरू कर दी तब गोकुल निवासियों को बचाने के लिए
भगवान कृष्ण ने गोरधन पर्वत की अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया | सारे
जानवर गाव वाले गोरधन पर्वत के नीचे आ गये तब उन्होंने अपने शेष नाग को बोला की वह अपना पूरा फन फैलाकर
बारिश को आने से रोके सात दिन बारिश नहीं रुकी | तब इंद्र देव को अपनी गलती का
अहसास हुआ की ये कोई आम मनुष्य नहीं है. ये तो स्वयं विष्णु जी का अवतार है. उसके
बाद इंद्र देव ने भगवान कृष्ण जी से माफ़ी मांगी और तभी से गोवर्धन की पूजा शुरू हो
गई | उस दिन के बाद से अन्न कूट और पूरी के प्रसाद से गोरधन को भोग लगाया जाता है
गोरधन के पूजा करने की विधि :
इस
दिन ब्रह्म महूर्त में स्नान करने के बाद गाय का गोबर लायें | जिस स्थान पर आप को गोरधन की पूजा करनी है उस स्थान को
अच्छी तरह से साफ़ कर ले | फिर उस स्थान पर कृष्ण भगवान की आकृति या गोरधन बना ले |
अगर आपके घर में गाय, भैस, बैल, है तो सुबह सवेरे उन्हें स्नान करा कर उनके गले
में नई घंटी और रस्सी बांधनी चाहियें और उनका तिलक करके गुड़, चावल और मिठाई खिलाने
के बाद आरती उतारे | और शाम को प्रसाद के
लिए खीर, हलुवा, पूरी, और अन्न कूट (सभी सब्जियों को मिला कर बनाई हुई ) की सब्जी
बनाएं | और शाम को घर के सभी पुरुष और
बच्चे मिल कर गोवर्धन बाबा की पूजा करते | पूजा की थाली में देशी घी का दीया, धूप,
अगरबत्ती, बताशे, एक कटोरी में हलुवा , एक कटोरी में खीर, एक कटोरी में पंचामृत (
गंगा जल, दूध, शहद, दही, तुलसी के पत्ते, शक्कर) एक कटोरी में अन्नकूट की सब्जी और
पूरी ले | एक जल का लोटा , और अपने हाथो में खील लेले |
गोवर्धन की पूजा क्यों की जाती है और कैसे की जाती है |
उसके बाद गोवर्धन बाबा के
चारो तरफ सात बार घूमें और परिवार का मुखियां ओर दूसरे हाथ में
खील को बिखेरते हुए चले और एक हाथ में लोटा
के जल से धार बनाते हुए सात बार परिक्रमा करे | गोरधन की सुंडी (नाभि) में एक दीया
जलाया जाता है फिर उनको खीर, पूरी , हलुवे का और सब्जी का भोग लगायें | फिर परिवार
के सभी सदस्य पसाद ग्रहण करे | और इस दिन को विश्वकर्मा दिवस के रूप में मनाया
जाता है | इस दिन सभी फक्ट्री और कारखाने
जो जिस भी व्यवसाय में वो सब बंद रहते है
और वे सब उस दिन अपने औजारों की पूजा करते है | गौरधन का त्यौहार मनाने से घर में सुख, समृद्धि और
सम्पन्नता आती है
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