बार - बार होने वाले गर्भपात में
यदि किसी महिला को गर्भ ठहरने के
बाद जल्दी गर्भ गिर जाता है तो ये ध्यान देने योग्य बात है , और इसका तुरंत इलाज
करवा लेना चाहिए, स्त्री के गर्भ गिरने के पीछे कई कारण हो सकते है, जैसे –
- असंतुलित भोजन ,
- रक्त की कमी
- गर्भाशय नली में ही अंडे का निषेचन होना ,
- निषेचित अंडे के साथ छेड़ छाड़ होना , या फिर कोई अन्य गड़बड़ी होना ,
- महिला का स्वास्थ्य रूप से कमजोर होना
- महिला का गिरने या झटका लगने से भी गर्भ पात हो सकता है ,
- महिला द्वारा अधिक मात्रा मैं शराब और अत्यधिक फिजिकल वर्क भी इसका कारण हो सकता है ,
- अधिक मात्रा में धुम्रपान से भी गर्भपात का चांस बढ़ जाता है , इसलिए गर्भ धारण करने के बाद महिला को धुम्रपान और शराब जैसे नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए,
- गर्भाशय में किसी प्रकार के इन्फेक्शन या संकर्मण होना.
गर्भपात होने की पहचान –
आरम्भ में हल्का रक्त स्राव होता
है और साथ में नाभि के पास और उसके नीचे हल्का दर्द महसूस होता है जैसा सामान्य
तौर पर मासिक धर्म के दौरान होता है , लेकिन जल्दी ही रक्त स्राव बढ़ जाता है. संदेह
होने पर तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करे और उपचार करवाये .
नीचे दिए गये प्राकर्तिक और आयुर्वेदिक
औषधियों का प्रयोग भी किसी आयुर्वेदाचार्य से सलाह के बाद ही करे.
सामग्री :-
कहरवा पिष्टी (kaharva pisti) :- १० ग्राम
प्रवाल पंचामृत (praval panchamrit) :- १० ग्राम
मोती पिष्टी (moti pisti) :- ४ ग्राम
स्फटिक भस्म (saftik bhasma) :- ४
ग्राम
वसंतकुसुमाकर (vasantkusumakar) :- २ ग्राम
अमृता सत (amrita sat) :- १० ग्राम
उपरोक्त आयुर्वेदिक औषधियों को मिलाकर मिश्रण तैयार करे | इस
मिश्रण की बराबर मात्रा में ६० खुराक बराबर मात्रा की बना लें | प्रतिदिन एक खुराक
सुबह के समय और एक खुराक रात को खाना खाने से आधा घंटा पहले खाए | इन औषधियों का
सेवन ताज़े पानी के साथ , गाय के दूध या बकरी के दूध से , शहद के साथ , या मलाई के
साथ करें | यदि गाय के दूध के साथ इनका सेवन करते है तो बहुत लाभ मिलता है |
उपाय - ढ़ाक ( पलास ) के पत्तों का
दूध के साथ प्रयोग
जब कोई स्त्री गर्भ से हो और
उसका गर्भ ना रुकता हो तो उसे गर्भ धारण
करने से पहले ही महीने में ढाक के पत्तों का प्रयोग आरम्भ कर देना चाहिए | इन पत्तों
का प्रयोग करने की विधि :-
पहले महीने में :- १
पत्ता , दूसरे महीने में दो पत्ते , तीसरे महीने में तीन पत्ते , चौथे महीने में
चार पत्ते इसी तरह नौ महीने तक पत्तो की सख्यां बढ़ा कर गाय के एक गिलास दूध में अच्छी
तरह पकाकर रोजाना सुबह और शाम पी लें | इस प्रकार की विधि का उपयोग करने के आलावा हमें
डाक्टरों की भी सलाह लेनी चाहिए |
१. धतुरे के पौधे की जड़ को छोटे – छोटे टुकड़ो में कटकर काले रंग के उनी धागे
में बांध कर अपनी कमर में बांध ले इससे गर्भ स्त्राव नहीं होता है |
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