पदमासन , पद्मासन
जैसा की आप सभी जानते है कि पदम का अर्थ होता है कमल, जिस प्रकार से कमल
बिल्कुल मुलायम होता है उसी प्रकार से इस आसन को करने के बाद मनुष्य भी मुलायम तथा
कमल के जैसा हो जाता है, इसलिए इसे पदमासन का नाम दिया गया है.
विधि – इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आप किसी समतल फर्श या जमीन पर किसी मोटे
चादर या कम्बल को बिछा ले और फिर अपने दोनों पैरों को सीधा करके बैठ जाए व अपने
दोनों पैरों को इस तरह से मिलाकर बैठे कि आपका बाया पैर दाई जांघ पर तथा दाया पैर
बाई जांघ पर रहें इस प्रकार से बैठने पर आपके दोनों पैरों की एडियां आपकी नाभि के दोनों
ओर आपके पेट से सट रहीं हो, अब अपने दोनों हाथों की अँगुलियों को थोडा सा मोड़कर
अपने दोनों घुटनों पर रखे, इस आसन का उपयोग करते समय ये ध्यान रखे कि आपकी कमर,
छाती तथा सिर आदि ये सभी भाग सीधे रहने चाहिए व अपनों घुटनों को जमीन से सटाकर
रखें, अब अपनी आखों को बंद करते हुए अपने पेट को अन्दर की ओर करें व अपने सीने को
बाहर निकालने का प्रयास करें.
पद्मासन को करते समय अपनी आखों के बीच वाली जगह अर्थात् नासिका के आगे व ऊपर वाले
भाग पर अपने ध्यान लगाने का प्रयास करें तथा इस प्राणायाम को आरम्भ में एक मिनट से
एक घंटे तक कर सकते हैं इस प्राणायाम का अधिक लाभ पाने के लिए कम से कम 15 से 20
मिनट तक करने की कोशिश जरुर करें तभी आप इस आसन का अधिक लाभ उठा सकते हैं.
ध्यान देने योग्य बातें – जिन लोगों की जांघ अधिक मोटी होती है उन लोगों को पदमासन
की जगह अर्द्धपदमासन का अभ्यास करना चाहिए तथा जब उन लोगों की जांघ समान लोगों की
तरह हो जाए तब आप पदमासन का प्रयोग कर सकते हैं.
अगर आप हमारी बताई गई विधि के अनुसार
ही तथा सारे नियमों को ध्यान में रखकर इस प्राणायाम का अभ्यास करते है तो आपका
शरीर सुडौल , निरोग तथा पुष्ट बन जाएगा.
अर्द्ध पद्मासन |
अर्द्ध पद्मासन
हमने आपको पहले पूर्ण पद्मासन के बारे में बताया था अब हम आपको अर्द्धपदमासन के
बारे में बताने जा रहे है साथ ही इसके लाभ भी बताएंगे की इससे क्या लाभ होते है,
अर्द्धपदमासन पूर्ण पदमासन से बिल्कुल मिलता झुलता आसन है तथा इसे बड़ी ही आसानी से
किया जा सकता है, जिस भी महिला या पुरुष की जांघ अधिक मोटी होती है उन महिलाओं को
सबसे पहले अर्द्ध पद्मासन का अभ्यास करना चाहिए और जब उनकी जांघ थोड़ी पतली या समान
हो जाए तब उन्हें पूर्ण पदमासन का अभ्यास करना चाहिए, तो देखिए और समझिए और इसका
पूरा लाभ उठाते हुए इस प्राणायाम को अवश्य कीजिए.
पद्मासन के चमत्कार |
विधि – अर्द्ध पदमासन को करते समय सबसे पहले आप अपने एक पैर को दूसरे पैर की
जांघ पर रखने का प्रयास करें व अपने दूसरे पैर को अपने पहले पैर के नीचे से निकालकर
पहले वाले पैर के नितम्ब तथा जांघ के जोड़ वाले स्थान पर सटाकर रखें अर्थात् आपके
दोनों पैर एक – दूसरे के ऊपर नहीं होने चाहिए. तथा जब आपको एक पैर का अभ्यास अच्छे
से हो जाए तब आप पूर्ण पद्मासन का प्रयोग कर सकते हैं. इन दोनों ही आसनों के अनेक
लाभ है जैसे :-
लाभ –(1). इस आसन को करने से गठिया, फाइलेरिया व फील पाँव जैसे सभी रोगों से
मुक्ति मिल जाती है
(2). इससे हमारी पाचन शक्ति बढ़ जाती है तथा हमारे नितम्ब गोल होने लगते है और
सुन्दर व पुष्ट भी बन जाते है.
(3). अर्द्ध पदमासन और पूर्ण पद्मासन दोनों को करने से कमर के दर्द से राहत
मिलती है और कमर के झुकाव से मुक्ति मिल जाती है साथ कमर से जुडी नसे भी मजबूत व
लचीली बन जाती हैं.
(4). ये दोनों ही आसन हमारे पैरों(टांगों) को ताकतवर तथा पुष्ट बनाता है.
योग ध्यान और पद्मासन |
(5). इस आसन को करते समय मूलस्थान अथवा गुदे और शिशन के आस-पास की सभी नसे ऊपर
की तरफ खीचने से वीर्य दोष ख़त्म हो जाता है.
(6). इन दोनों आसनों को करने से आपका शरीर पुष्ट बनेगा व सोचने की क्षमता भी
बढ़ेगी और खून में जो भी विकार होंगे वे सभी दूर हो जाएँगे.
नोट – इस आसन को हमारी बताई गई विधि के अनुसार व नियमों सहित ध्यानपूर्वक
करें.
padmasan karne ka sahi samye suryodaya ke samy hai , yedi aap pratidin yoga abhyas kare or niyam se paddmasan ki practice kare to aapke shareer ko koi bhi rog nahi gher sakta. aapka shareer hast pust hoga or rakt ka sanchaar sampurn shareer mein hoga or aapko bhookh bhi lagegi, or hazma theek hoga , iska abhyas or practice dhyan or shanti ke liye bhi kiya jaata hai , dhayn ke liye koi bhi aasan aap apnay prantu vo sulabh hona chahiye, kisi bhi aasan se shareer ko kast nahi hona chahiye, kasht hoga to dhyan kendrit or centralized nahi hoga. isliye dhyan lagane ke liye sadharan mudra hi uttam mani jaati hai.
No comments:
Post a Comment