मधुमेह की बीमारी
का ईलाज
इस बीमारी को डायबिटीज की बीमारी भी
कहते है | इस रोग में मनुष्य के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़
जाती है यह एक भयंकर बीमारी है | इस बीमारी के कारण हमारे शरीर के कई हिस्से
प्रभावित हो जाते है | यदि किसी मनुष्य को मधुमेह का रोग हो जाता है तो यह बीमारी
उसके साथ जीवनभर रहती है | हम इस रोग को पूरी तरह केवल आयुर्वेद के माध्यम से ही ठीक
कर सकते है , परन्तु इस बीमारी के प्रति
आरम्भ में ही सजग होना जरूरी है |
मधुमेह के लक्षण और इसकी पहचान : -
अधिक थकान महसूस होना – मधुमेह के रोगी को थोडा बहुत व्यायाम और एक्सरसाइज और फिजिकल वर्क आउट
करने से ही थकान हो जाती है , ये इसका प्रमुख लक्षण है , मोर्निंग में जब आप
बिस्तर से उठते है तो पूरा शरीर टूटा हुआ लगता है और एनर्जी लेवल बिलकुल डाउन होता
है , ये दर्शाता है की आपकी बॉडी में शुगर लेवल बढ़ चुका है इसलिए तुरंत जाँच
करवाये .
अधिक और बार बार पेशाब आना – मधुमेह और डायबिटीज के रोगी को बार बार पेशाब आता है , क्योकि बॉडी में
अतिशीघ्र शर्करा इक्कठा हो जाता है और इसी कारण जल्दी जल्दी पेशाब आना शुरू हो जाता
है , ऐसे रोगी को अधिक प्यास भी लगती है ,
त्वचा के रोग से ग्रसित होना – ऐसे रोगी को त्वचा और स्किन problem बहुत ही जल्दी होनी शुरू हो जाती है , डायबिटीज
के कारण व्यक्ति त्वचा रोगी भी बन जाता है , इसको घाव जल्दी नहीं भरते , और छोटे
छोटे अपने आप भरने वाले घाव भी बड़े हो जाते है ,
इन रोगियों का वजन अचानक कम भी हो जाता है और थकन महसूस
होती रहती है ,
मधुमेह के कारण : - ये बीमारी हमारी दैनिक चर्या से होती है , ये उनको अधिक होती है जो अपने
शरीर से पसीना नहीं निकालते , जो फिजिकल वर्कआउट नहीं करते उनको इस बीमारी का
सामना करना पड़ता है. ये रोग अनुवांशिक भी हो सकता है , इसलिए इसका समय रहते हुए ही
इलाज करवा लेने अधिक लाभकारी होता है .
खाने योग्य फल एवं शब्जी – जामुन, करेला , आवंला , मौसंबी, संतरा , निम्बू ,
टीट का अचार ,
योगासन का अभ्यास प्रतिदिन कम से कम एक घंटा जरूर करे ,
इसके अलावा आप नीचे दी गई आयुर्वेदिक औषधी का प्रयोग भी कर सकते है ,
सामग्री :-
वसंतकुसुमाकर रस (vasant sukumar rasa) :- 2 ग्राम
अभ्रक भस्म (abhrak bhasma) :- 5 ग्राम
स्वर्णमाक्षिक भस्म(swaran makshik bhasma) 5 ग्राम
अमृता सत (amrita sat) :- 20 ग्राम
प्रवाल पंचामृत (praval pancha amrit) :- 10 ग्राम
मोती पिष्टी (moti pisti) :- 4 ग्राम
इन सभी आयुर्वेदिक औषधियों को मिलाकर इसकी बराबर मात्रा की ६० पुड़ियाँ बना
लें | और किसी डिब्बे में बंद करके सुरक्षित स्थान पर रख दें | प्रतिदिन एक – एक
पुड़ियां दिन में दो बार खाना खाने से आधा घंटा पहले खाएं | इस औषधि का प्रयोग मलाई
के साथ करें |
सामग्री
मधुनाशानी वटी (madhunashani vati) :- १२० गोली
किसी भी अच्छी आयुर्वेदिक कंपनी से मधुनाशानी नामक औषधि खरीदकर इस औषधि की
दो – दो गोली खाना खाने से पहले पानी के
साथ चबाकर खाएं |
सामग्री : -
आरोग्यवर्धिनी वटी (arogyavardhini vati) : - 40 ग्राम
गिलोयघन वटी (giloydhan vati) : - 40 ग्राम
इन दोनों चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि
की एक – एक गोली का प्रयोग दिन में कम से कम दो बार खाना खाने के बाद करें | इस
औषधि का प्रयोग हल्के गर्म पानी के साथ करें |
सामग्री
चन्द्रप्रभा वटी (chandra prabha vati) :- 60 ग्राम
मधु कल्प वटी (madhu kalp vati) :- 60 ग्राम
इन दोनों आयुर्वेदिक औषधियों की दो - दो का प्रयोग एक दिन में कम से कम दो
बार खाना खाने के आधे घंटे बाद ताज़े पानी के साथ या हल्के गर्म पानी के साथ करें
| और साथ ही साथ हमे शिलाजीत सत की एक – एक बूंद का भी प्रयोग करना चाहिए |
शिलाजीत नामक औषधि का प्रयोग दूध के साथ करें |
नोट :- करंज नामक बीज का चूर्ण बना कर इस चूर्ण की
आधे – आधे चम्मच की मात्रा को रोजाना खाली पेट खाने से बहुत लाभ मिलता है |
जामुन के मौसम में खूब जामुन खाये, इसका सिरका बना ले, और इसकी गुठलियों को
न फेंके , इनको सुखाकर इसका चूरण बना ले और इनको एक बंध एयर टाइट डिब्बे में रख
ले, और प्रतिदिन एक चम्मच सादे पानी के साथ ले , आपको अतिशीघ्र आराम मिलेगा.
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